खुशी एक मायने अनेक
खुशी एक मायने अनेक
हैप्पीनेस कक्षा के दौरान मानवी अपने छात्रों से- "आप को ख़ुशी कब कब मिलती है या वो कौन सी परिस्थिति थी जब आप सबसे ज्यादा खुश हुए थे।" यह सुन सभी छात्र अपने अपने अनुभव बताने के लिए बहुत उत्साहित हो गए।
सौरभ : मैडम, जब मेरी मम्मी मेरे पसंदीदा बेसन के लडडू बनाती है तो मैं बहुत खुश होता हूँ।
पुलकित: मेरे पापा ने मेरे जन्मदिन पर जब मुझे नई साइकिल ले कर दी थी तब मुझे बहुत खुशी हुई थी।
ज़ाहिद: मेरे कहने पर मेरे चाचा जब मुझे चिड़ियाघर दिखाने ले गए थे तो मैं बहुत खुश हुआ था।
प्रियंक: जब मैं अच्छे अंक ले कर हर साल कक्षा में प्रथम आता हूँ तब मुझे बहुत खुशी होती है।
इसी दौरान आख़िरी बैंच पर बैठा युवराज गहरी सोच में डूबा था। अरे, युवराज ! तुम नहीं बताओगे की तुम कब खुश होते हो ? मानवी ने अचानक पूछा।
युवराज खड़ा हुआ और कुछ क्षण के लिए चुप रहा। फिर अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए युवराज ने कहा- "जिस दिन मेरी मम्मी मेरे स्कूल आने के लिए ऑटो के 5 रुपये दे पाती हैं तो मुझे बहुत खुशी होती है, वरना तो मुझे 3 किलोमीटर ...."
युवराज अपनी बात पूरी भी नहीं कह सका पर शायद उसके सभी मित्र उसके अनकहे दर्द को समझ गए थे और कक्षा में कुछ वक़्त के लिए चुप्पी छा गई।