हिसाब किताब
हिसाब किताब
"अरे , मम्मा ! लो ये 20 रुपए भी मेरे पर्स में रख दो । सामने वाली आंटी के घर की कंजक से मिले हैं । आज तो मेरे बहुत पैसे इकट्ठे हो गए । " 6 साल की पीहू ने चेहरे पर प्यारी सी मुस्कुराहट दिखाते हुए अपनी मम्मी से कहा ।
मम्मी बिटिया के पैसे संभालते हुए - "आज तो तुम्हारे पर्स में 20-20 के खूब सारे नोट हैं । मैं इनमें से पाँच नोट ले कर 100 का नोट तुम्हारे पर्स में रख देती हूं क्योंकि मुझे खुले पैसों की जरूरत पड़ती रहती है ।"
मम्मी के हाथ से पर्स छीनते हुए छुटकी सी पीहू ने मुंह बनाते हुए कहा - "बिल्कुल भी नहीं , ये मेरी कमाई के पैसे हैं मम्मी। मैं एक भी नोट किसी को नहीं दूंगी । "
छोटी सी पीहू के शब्दों के बाण से घायल मम्मी बड़े प्यार से समझाते हुए - अरे ,अरे रुको जरा ! मैं तुम्हारे पैसे ले नहीं रही बस नोट बदल रही हूं । "
नन्ही पीहू आंखों की पुतलियों को चारों दिशाओं में घुमाते और अपना हिसाब लगाते हुए - "मम्मी , अगर आपको को 20 के 5 नोट चाहिए तो आपको मुझे 100 का एक नोट नहीं बल्कि 2 नोट देने होंगे।"
बिटिया की चालाकी देख मम्मी ने कहा - मुझे ये घाटे का सौदा नहीं करना ।
पीहू शैतानी भरी मुस्कुराहट के साथ मम्मी को पर्स थमाते हुए - "जैसी आपकी मर्जी ।"
