सुरक्षा पौधों की
सुरक्षा पौधों की


"सोनू! किससे बात कर रहे हो इतनी देर से ? जब देखो तब यह मोबाइल में ही घुसा रहता है ये लड़का" माँ के आवाज में नाराजगी और चिंता दोनों थी।
पता नहीं आज कल के बच्चों को क्या भूत सवार हो गया है इस मोबाइल का। "माँ', सोनू को डांट ही रही थी , कि सोनू , माँ के तरफ एक नजर उठाकर देखा और फिर वापस मोबाइल में घुस सा गया।"
यह माँ भी न, जब देखो तब मेरी जासूसी में ही लगी रहती है। अरे! फोन पर बात ही तो कर रहा था, मैं। इस घर में तो बात करना ही गुनाह हो गया।" सोनू अपने मन मे ही भुनभुनाया।
कल मेरे स्कूल में वृक्षारोपण का कार्यक्रम है। मैम ने कहा है कि पेड़( वृक्ष) लगाना ही काफी नहीं है, उन्हें बड़े होने तक बचाना भी है जैसे- एक माँ अपने बच्चे की सुरक्षा बचपन से लेकर बड़े तक करती है, ठीक उसी तरह हम सभी बच्चो को अपने पौधों के लिए "वृक्ष सुरक्षा"की इंतेज़ाम करनी हैं,जिससे हमारे पौधे सुरक्षित बढ़ सकें।"सुरक्षा पौधों की"हैं, इसलिए मैं अपने दोस्त भानू से बताने के लिए ,यही बात कर रहा था।"सोनू अपने माँ से अपनी सफाई देते हुए कहा।
"छोटे पौधों को बढ़ने के लिए उनका विकास करने के लिए, एक सही सुरक्षा और किट पतिंगों व आवारा जानवरों से बचाने के लिए 'वृक्ष सुरक्षा कवच लगाते है न, जो सब करते है, वही मैं भी कर रहा हूं।"
मां, सोनू की तरफ वगैर अर्थ के ही चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए अपने दैनिक रोजमर्रा के काम के तरफ बढ़ गई।