Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Anjali Srivastav

Inspirational

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Anjali Srivastav

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ब्रेकिंग न्यूज़

ब्रेकिंग न्यूज़

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इतने दिनों से कोरोना के वजह से लॉक डाउन चल रहा है। समझ नही आ रहा है कि... आर्थिक स्थिति कैसे सम्भलेगी।वैसे भी ज्यादा कमाई नही होती थी और जो होती भी वो सब सोना के बापू शराब पी पीकर सत्यानाश कर दिए।अभी तो जैसे तैसे जो बचाकर रखी थी। उससे तो गुजारा तो हो ही रहा है। मगर अब आगे का क्या होगा?

सतरह मई तक बढ़ा है लॉक डाउन । न जाने और कितना बढ़ेगा? बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी सब चूल्हे में चला जा रहा है।वैसे भी ये दोनों पढ़ते नही थे । अब तो और भी खुली छूट मिल गई है।

समझ नही आ रहा है कि क्या होगा?छोटी जीजी की शादी की जिम्मेदारी भी मेरे ही ऊपर है। वो भी नही हो पा रही है।इनके साँवले और कम पढ़ें लिखे होने के वजह से।राम जाने क्या होगा। इन्हें तो कुछ फ़र्क़ ही नही पड़ता है की इनके ऊपर कोई जिम्मेवारी भी है। अम्मा और बाबू जी को, जो वादा किये थे । उसे निभाना तो पड़ेगा ही।चाहे रो कर चाहे हँस कर।


रात भर करवटें बदलती रही।आँखों से नींद कोसो दूर थी ।चिंता के कारण।सलोनी का चिंता करना भी जायज था।पूरी रात बस सोचती विचारती, पास में सो रहे अपने पति रमेश का शक्ल देखकर खिसियाती भी। फिर मुँह फेर कर (दोनों बच्चों) सोना और राघव को ममतामयी निगाहों से देखती और उनके बालों को सहलाकर असीम प्यार उड़ेलती । फिर नम आँखों को फेर कर बेटी व बहन के समान छोटी ननद सिया को निहारने लगी और फिर न जाने कब आँखों ही आँखों मे पूरी रात गुजर गई । पता ही नहीं चला।


टूटी हुई खिड़की से सूरज की सिंदूरी लाली छनकर सलोनी के मुख पटल पर आकर मोती भाँति बिखर गई । तब जाकर वह विचारों की गुत्थी से निकल सकी।

सलोनी उठते ही रोजाना के तरह अपने दिनचर्या के मुताबिक काम मे जुट गयी। तभी थोड़ी ही देर में सिया भी जगकर आदतन बाहर से अखबार ले आयी। जिन्हें परम्परा नुसार हमारे गाँव बामनौसी में ननद को ...छोटी हो या बड़ी उन्हें आदर से जीजी ही कहते है जो बड़ी ही तेजी से आकर बोल पड़ी -" ये लो आज का बहुत बड़का तड़का वाला समाचार है । सुन लो भाभी!"


"क्यों क्या हुआ? जीजी...."


"क्या बताएं आपको आज का ब्रेकिंग न्यूज़ पढ़कर तो माथा ही ठनक गया मेरा तो। आप सुनोगी तो सीधे ही बेहोश ही हो जाओगी। पक्का है।"


"अरे जीजी कुछ बताओगी भी भला। की क्या ख़बर है?"


"तो सुनो आज का "ब्रेकिंग न्यूज़" बेवड़ो के लिए उनके ठेके खोल दिये गये है। सरकार द्वारा ये बहुत ही जरूरी है और स्कूल कॉलेज मन्दिर मस्जिद सब बन्द ।"


"वाह रे सरकार हम गरीबों को तो कहीं का नहीं छोड़ रही है। ऐसे चीज को क्यो बढ़ावा दे दी जिससे घर बन नही बिगड़ ज्यादा रही है।

माँ बाप और हम जैसी दुख की मारी पत्नियां तो अब और भी पीड़ाग्रस्त हो जायेंगीइन शराबियों का क्या ?

घर मे रोटी बने या न बने पर उन्हें बोतल तो रोज संझा सवेरे चाहिए ही।चाहे हम सब मरे या जीयें इससे इन्हें क्या फ़र्क़। सरकार को भी क्या लेना देना उसे तो बस उसकी सरकार चलनी चाहिए। जेब उसकी भरी रहे। चाहे हम कंगाल ही क्यो न हो जाये। आज तो सारे शराबियों के लिए न्यूज बड़ी ही दिलकश "ब्रेकिंग न्यूज" होगी।

हूंहह............"


ऐसा कहकर सलोनी घर की सफाई करते करते रुककर धम्म से शिथिल काया लेकर भू पृष्ठ पर बैठ गयी।





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