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Anjali Srivastav

Drama

3  

Anjali Srivastav

Drama

हम लड़कियां

हम लड़कियां

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"तेरा ही अच्छा है यार ,दीपिका!तू तो बड़ी किस्मत वाली निकली। भले ही तू लव मैरिज में विलिव नहीं करती थी।पर तेरा तो अरेंज मैरिज ही मस्त है।तू तो ऐसी ही शादी करना चाहती थी। 

सो तेरी तो हो गई।"


"नहीं यार सब कहने की बात होती है।लव मैरिज से अच्छा अरेंज मैरिज है।"


"ख़ैर चाहे जो हो सब लड़की को ही झेलना पड़ता है। निकिता!"


"बात तो सही है। मगर हुआ क्या?तू तो मस्त जंदादिल वाली लड़की थी। अब क्या हो गया?

प्रो० साहब घुमाते फिराते नहीं क्या?या तुझे खुश नहीं रखते। कमाते तो मस्त है। खूब दबाकर रखी हो न.....न....."निकिता , दीपिका को कुछ छेड़ती हुई अंदाज से बोली।


"अरे! कहाँ यार , वो अपने मे ही व्यस्त रहते हैं ।उन्हें मै नहीं पसँद हूँ।" उदासी भरी आवाज़ से दीपिका बोल पड़ी ।

चौक कर निकिता बोली- "मतलब क्या.....?"


"अरे! वो घरवालों के दबाव से मुझसे शादी किये थे। उन्हें गाँव की लड़की से नहीं करनी थी शादी। इसलिए वो जिस शहर में पढ़ाते है वहीं किसी तितली से शादी कर चुके हैं।मैं तो बस... उनकी माँ बाप की सेवा करती हूँ। मेरी जिंदगी अब यही हो गई है।मैं तो अब कहीं की नहीं रही। यार!मैं तो बस जीती जागती कठपुतली सी हूँ बस... या अब एक नौकरानी।"

टीस भरी साँस लेती हुई कुछ देर ठहर कर बोली- "पत्नी तो कभी बन ही नहीं पाई।सब भाग्य की बात है।माँ की याद आ रही थी। इसलिए आई थी। कुछ दिन के लिए। परसो फिर चली जाऊँगी। तू मिल गई तो दिल का बोझ थोड़ा हलका हो गया।ये सब बात तो माँ से भी नहीं बोल सकती। नहीं तो वो जी नहीं पायेगी। हम लड़किया सिर्फ़ कठपुतली हैं। निकिता! बस.... कठपुतली।"


"अच्छा ....!!तुमसे ये किसने कहा कि हम लड़कियां कठपुतली होती हैं।तू चाह ले बस कुछ भी कर सकती है।"


"वो कैसे..?"


"सुन,मैं मानती हूँ, कि तू गाँव की है। पर पढ़ी- लिखी भी तो है।अब यही मौका है । तू फैसला ले अपने लिए। थोड़ी हिम्मत जुटाना पड़ेगी तुम्हें।बस,हम दिखा देंगे कि हम गाँव की लड़कियां किसी से कम नहीं है।प्रो० को छोड़ दे। उसके घर मत जा। फ्री की नौकरानी मत बनो।

अपने आत्मस्वाभिमान के लिए।उसे भी दिखा दो कि हम गाँव की लड़कियां क्या कर सकती है। हम किसी से कम नहीं है।"


दीपिका,निकिता की बात सुनकर खुशी से झूम उठी और आगे बढ़ने के लिए आँसुओं को पोंछकर, निकिता के गले गयी।उसकी यह जज़्बे को देखकर दीपिका उसके पीठ पर थपकी देती हुई खुद को गर्वान्वित महसूस करने लगी।जैसे कोई जंग जीत कर आई हो।




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