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Anjali Srivastav

Drama

3  

Anjali Srivastav

Drama

शुभ नाम संस्कृति

शुभ नाम संस्कृति

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बड़े मन्नतों के बाद मेरी पड़ोसी पूजा के घर में एक बेटी जन्मी, जो चाँद चकोरी जैसी उजली - उजली -सी नन्ही सी परी पैदा हुई।

बेटी के नाम करन के लिए पण्डित जी ने पत्रा देखकर तीन शुभ नाम बताए, जिसमें रुद्राणी, शाम्भवी और संस्कृति।

पण्डित जी पूजा और पूजा के पति शेषर से तीनों नाम में से एक नाम चुनने को कहा... तो पूजा तपाक से संस्कृति नाम बोल पड़ी। यह सुनकर पण्डित जी पूजा से प्रश्न पूछ बैठे- "ये नाम आप क्या सोच कर बोली है ? आप अपने विचार मुझे अवगत कराएं।"

  पण्डित जी! कन्या देवी की रूप होती है। जिस घर में बेटी पैदा होती है वह घर धन- धान्य व खुशियों से भर जाता है।

बेटियाँ हर कला, संस्कृति में परिपूर्ण होती है। वो अपने विचारों व स्नेह के डोर से सभी अपनो को बाँधे रहती हैं।

बेटी से हर घर में रौनक छाई रहती है। बेटी ही अपनी ख़ुशियों को ताख पर रखकर पहले अपने अपनों का ख़्याल करती है चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हों।

बेटी हर कला में निपुण होती है।वह जिस घर में पैदा होती है, उस घर को अपने प्यार अपने संस्कार से सींचती है और फिर बाद में वह अपने ससुराल को सींचती है। इसलिए मेरी बेटी का नाम संस्कृति ही होगा। अगर आपको उचित लगे तो.....।

पूजा पण्डित जी के सामने हाथ जोड़कर बड़े ही नम्रता से अपने विचारों को व्यक्त की। जिसे पण्डित जी के चेहरे पर एक आशीर्वाद से परिपूर्ण मुस्कान की लहर उमड़ पड़ी। और बेटी को गोद में लेकर प्यार भरी आँखों से निहारकर बोले-- "मेरी प्यारी बिटिया संस्कृति! तुम भाग्य से नहीं सौभाग्य से आई हो। इस घर में। सदा खुश रहना। सभी को खुशियाँ देना।

इतना बोलकर - पं० जी जय हो माँ ! लक्ष्मी कहकर जोर- जोर से जयकारा लगाने लगे।


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