Neeraj pal

Abstract

3  

Neeraj pal

Abstract

सुन्दर विचारों की खेती ।

सुन्दर विचारों की खेती ।

2 mins
261


मानो तुम अच्छा बीज भी ले आए।परंतु यदि उसे बोया नहीं तो बीज वैसा का वैसा ही तुम्हारे पास कहीं रखा रहेगा, लाभ कुछ नहीं।यह बीज बोना ही तो उपासना है। तुमने सुंदर विचार सुने, एक कागज पर लिख भी लिए, परंतु उससे क्या हुआ, कि वह तुम्हारे घर में रखे ही रहे।

एक बार एक महात्मा अपने कुछ शिष्यों को पास गए।

एक के घर पहुंचे, एक दिन ठहरे और चलते समय उन्होंने एक सेर चने उसे दिए।

बोले -अब तीसरी साल ही आ सकूंगा, इन को संभाल कर रखना, मैं आकर ले लूंगा।दूसरे के यहां पहुंचे, उसे भी एक सेर चने दिए और यही बात कही।तीसरे को भी एक सेर चने दिए और चले गए। पहले शिष्य ने सोचा -गुरु जी, बहुत दिन बाद ही आएंगे, चनों को एक सुंदर कपड़े में बांधकर संदूक में रख दिया।

दूसरे ने सोचा -चनों में घुन लग जाए, खराब ना हो जाए, एक पाउडर मिलाकर संदूक में रख दिए। तीसरे ने सोचा -महात्मा जी के लौटने में 2 वर्ष तो लगेंगे ही।बोने का समय है, बढ़िया जूता हुआ खेत भी तैयार है, इनको बो क्यों ना दूं, बढ़ते ही रहेंगे।

बस उसने वह चने अपने खेत में बो दिए। समय पर पानी भी मिल गया, कुछ वर्षा भी हो गई। कई मन चना पैदा हो गया। दूसरी वर्ष उसने वह सब फिर बो दिए, चनों की एक बहुत बड़ी राशि पैदा हुई। तीसरी वर्ष वह महात्मा जी अपने उन तीनों शिष्यों के पास गए।

पहले से जाकर चने मांगे। उसने तो उस दिन से चने देखे भी नहीं थे, ढूँढे, निकाल कर दिए, वह सब घुन चुके थे। दूसरे के पास पहुंचे- चने मांगे, वह गया, ज्यों का त्यों उतने के उतने ही रक्खे थे, ना घटे ना बड़े। तीसरे से जाकर अपने चने मांगे। वह बोला- महाराज चने तैयार हैं, परंतु आप उन्हें कैसे ले जाएंगे। मैं एक गाड़ी में भरकर आपके पास पहुंचा दूंगा।महात्मा जी ने देखा कि उसका घर चनों से भरा हुआ था। वह बहुत प्रसन्न हुए और बोले तुम सबसे समझदार हो। तुमने मेरा भला किया, अपना भला किया, साथ ही देश का भला किया।

अतः इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अच्छे विचारों को जितना फैलाओगे, समाज उतना ही अच्छा बनेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract