दो घोड़े।
दो घोड़े।
मेरे घर के आगे सड़क के ठीक सामने एक खेत है, जहां दो घोड़े रहते हैं। दूर से देखने पर दोनों घोड़े एक जैसे प्रतीत होते हैं लेकिन अगर हम उनके पास जाकर देखें तो हमें उनकी आँखों में देखकर आश्चर्य होगा कि उनमें से एक घोड़ा नेत्रहीन है। उसके मालिक ने उस घोड़े के दृष्टि न होने के बावजूद उसे कम नहीं समझा और उसके लिये एक अच्छा घर बनाया। यह अपने आप में ही एक अद्भुत बात है...अगर हम उनके पास खड़े होकर सुनेंगे तो हमें घंटी की आवाज भी सुनाई देगी...
घंटी की ध्वनि के स्रोत के लिए चारों ओर देखने पर हम पाएंगे कि यह आवाज़ मैदान में खड़े उस दूसरे छोटे घोड़े की तरफ से आ रही है। उस छोटे घोड़े की लगाम में एक छोटी घंटी लगी हुई है। इस घंटी की आवाज़ से उसके नेत्रहीन दोस्त को पता चल जाता है कि उसका दोस्त कहां है, ताकि वह उसका अनुसरण कर सके।
जैसे ही हम खड़े होकर इन दो दोस्तों को देखते हैं तो हम पाएंगे कि घंटी वाला घोड़ा हमेशा नेत्रहीन घोड़े पर नज़र रखता है, और नेत्रहीन घोड़ा हमेशा घंटी को सुनकर धीरे-धीरे उस दूसरे घोड़े के पीछे-पीछे चलता है, उस पर भरोसा करते हुए कि वह उसे सही राह पर ले जाएगा।
जब घंटी वाला घोड़ा हर शाम खलिहान की ओर लौटता है तो वह कभी-कभार रुक जाता है और पीछे मुड़कर यह सुनिश्चित करता है कि उसका नेत्रहीन दोस्त घंटी सुनने के लिए बहुत पीछे तो नहीं है। इन दो घोड़ों के मालिक की तरह ही हमारे ईश्वर भी हमारा साथ नहीं छोड़ते, चाहे हम कितने भी नाकाबिल हों, या हमारे पास समस्याएँ और चुनौतियाँ हों। वह हम पर नजर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर हमारी मदद करने के लिए दूसरों को हमारे जीवन में भेजते हैं। कभी-कभी हम नेत्रहीन घोड़े की तरह होते हैं जो उन लोगों की घंटी से निर्देशित होते हैं जिन्हें भगवान ने हमारे जीवन में भेजा हैं। और कई बार हम उस मार्गदर्शक घोड़े की तरह होते हैं जो दूसरों को अपना रास्ता खोजने में मदद करते हैं।
अच्छे दोस्त भी ऐसे ही होते हैं... जरूरी नहीं है कि वे हमेशा हमारी नज़रों के सामने हों... लेकिन हम जानते हैं कि वे हमेशा हमारे साथ हैं।
हमें भी अपने आस-पास से मिल रही प्रेरणा की ओर सजग रहना चाहिए... एक-दूसरे की घंटी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए...
उदारता की हद तक प्यार कर, हृदय की गहराई से सहायता कर और हृदय से दयालु बन, हम हमारे और दूसरों के जीवन को पूरी तरह से आनंदमय बना सकते हैं।
*क्योंकि हम दृष्टि से नहीं विश्वास से चलते हैं।*