सुखना

सुखना

1 min
454


अस्सी बरस की सुखना, जगत अम्माँ, मुहल्ले की कष्ट निवारक गोली का कल मुंडन लल्ला का, गाँव की ज्योनार, मिठू हलवाई बीमार, जिन चिंता कर बहुरिया, कड़ाह हम सम्भाल लेंगे।"

"मुन्नी का ब्याह, अरे पांच सेर की बड़ी हमाए जुम्मे।"

बलदेव बीमार, बल्लू की बहुरिया, तुम तनिक सुस्ताय लेव, हम धरती है पानी की पट्टी बल्लू के माथे पे।"

गाँव के बच्चे पूछते, "सुखना अम्माँ, तुम इतना काम कैसे कर लेती हो।"

वो हँस कर बोलती, "तुम जानो, हमाय समय में जनी भोर भये उठ जाती, अनाज पीसती, चूल्हा लीपती, कुएँ से पानी लाती, आदमी खेत खलिहान जाते और बताएँ आजकल की तरे दिन भर पलंग नहीं डरे रहते थे किि इते उते से आये और पसर गए। खटिया हती भुनसारे खड़ी कर दी जाती और सोते बिरिया डलती। जनी मानस सारे दिन खटते।

"अम्माँ तुमने तर माल खाया होगा खूब अपने समय में।"

"एल्लो कर लो बात। कोऊ के पास इतना पैसा नहीं होत रहा। सबई मोटा अनाज खात रहे। मुदा मिलावट नहीं रही वा जमाने में, जो भी मोटा झोटा खात रहे निखालिस शुद्ध रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama