saabi .

Abstract Classics Fantasy

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सर्दियों की फुसफुसाहट

सर्दियों की फुसफुसाहट

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कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग कहते हैं, सच में ये स्वर्ग है सर्दियों में इसकी खूबसूरती कई गुना बड़ जाती है,

यहां एक छोटा सा इलाका जहां घर लकड़ी के बने थे चांद जगमग करता इन्हें रोशन कर रहा था रात का आखिरी पहर था हर तरफ ठंडी हवाएं उन खाली गलियों की आगोश में ले रही थीं.. 

चांद उन सुकुन से सोए, लोगों की खिड़कियों से झांकने की कोशिश कर रहा था,वहां एक लकड़ी का दो मंजिला घर जिसको हाथ की कारीगरी से इतना खुबसूरत रूप दिया गया था की कोई भी बस उसे देखता रह जाए..

वहां चांद एक खुली खिड़की से झांक रहा था, ठंडी हवाएं अंदर आ रही थी।

वहीं वहां सोई एक खुबसूरत लड़की जिसके रेशमी बाल तकिए पर बिखरे थे सोते हुए वो किसी परी की तरह लग रही थी, उस कमरे में एक तरफ अंगीठी जल रही थी, जिससे कुछ गर्माहट थी, ठंडी हवाएं उस को छूकर गुजरती तब वो खुद को उस कंबल में समेटने लगती..

एक सर्द हवा का झोका आया और उसे कंपकपी दे गया ..

उसने अपनी अपनी आँखें खोली और पूरे कमरे को नींद भरी आंखों से देखते हुए बोली, "ये क्या सारे इंतजाम करने के बाद आप मोहतरमा यहां कैसे मौजूद है, ये उस ने उन ठंडी हवाओं से कहा था"..

ये बोलते हुए वो उठी और उसने जमीन पर पैर रखा हालांकि वो लकड़ी का था लेकिन फिर भी उसे अपने पूरे शरीर में ठंडक का अहसास हो गया, जल्दी से चप्पल पहन, वो खिड़की बंद करने के लिय भागी लेकिन उसकी नज़रें बाहर ही थम गई|

बाहर बर्फ गिर रही थी जो उस जगह को और खूबसूरत दिखा रही थी बर्फ से ढकी चोटियां और घरों की छतें उन भूरे रंग की छतों पर सफेद बर्फ बहुत खूबसूरत लग रही थी|

उसने चमकती आंखों से सब तरफ देखा ज़मीन जो बर्फ से ढक सफेद दिख रही थी पेड़ पौधें सब हरे और सफेद दिख रहे थे..

इस मौसम में सब अपने घरों में बंद हो कर सोए थे जैसे सर्दी नही कोई बला आ गई हो..

उसने अपनी शॉल उठाते हुए कहा, "चल जोया जन्नत का दीदार करले, ये बोल वो बाहर की तरफ़ भागी।"

नीचे आने पर उसे ठंड और अहसास हुआ लेकिन वो मंत्रमुग्ध खूबसूरती किसी को भी अपनी ओर खींचे..

कुछ दूरी पर तालाब में बर्फ जम चुकी थी, जिसमें चमकते चांद की रोशनी पूरे तालाब पर बिखर रही थी.. और आस पास खड़ी वो डोंगा नाव, हाउसबोट और खूबसूरत दिख रही थी, जोया ने अपने हाथों को पहला कर उन पर बर्फ को लिया, वो ठंडा अहसास बहुत सुकूनदेह था की लोग ठंड में होने बाली अपनी परेशानियों को भूल जाएं..

वो बर्फ से इधर उधर खेलने लगी तभी एक घर से आवाज आई, "जोया रानी क्या कहबा पियोगी?"

जोया ने पलट कर देखा, बड़े से स्वेटर और टोपे उसके ऊपर पश्मीना शॉल से ढकी एक अम्मा अपने घर से झांक रहीं थी जैसे वो अभी बाहर निकलेंगे और ठंड उन्हे जकड़ लेगी।

जोया भाग कर गई और उनके हाथ से कहवा ले आई उसने वही आड़ में बैठ कहवा पीते हुए उस सफेद बर्फ से ढके खूबसूरत इलाके को देखा फिर खुद से कहा, "इस बर्फ के बीच कहवा पीने का एक अलग ही मजा है।"


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