बेबसी..
बेबसी..
एक छोटा लेकिन सलीके से सजा हुआ सुंदर घर, किचन से चूड़ियों की आवाजें आ रही थी और बाहर एक चार साल का बच्चा फर्श पर बैठा हुआ खिलौनों से खेल रहा था..
एक बार किचन से उस लड़की ने झांक कर देखा तब उस के लम्बे बाल हवा में लहरा गए, वो अपनी भूरी आंखो को इधर उधर करते हुए अपने बच्चें को देखने की कोशिश कर रही थी..
उसने वैसे ही आवाज दिया, बाबू.. किधर हो आप?
एक बच्चे की प्यारी सी आवाज आई अम्मी ताय पीने वाला हूं..
ये सुनते ही उस के चेहरे पर घबराहटआ गई, उसने अपने हाथों को देखा जो आटे में सने हुए थे..
वो तेज़ से बाहर की तरफ आने लगीं, उस लड़की ने जैसे ही सामने देखा उस की मानो सांसे गले में अटक गई उस छोटा बेटा गर्म चाय के कप को पकड़ने वाला था..
वो जल्दी से बोली, आयान छूना नहीं..
लेकिन आयान ने उस की तरफ देखा, आयान का हाथ कप पर लगने ही वाला था की उसने उसे झट से अपनी गोद में उठा लिया और वो चाय का कप उस के पैर पर गिरा..
दर्द से उस की चीख निकल गई..
उसे ऐसे देख कर आयान जोर से रोने लगा, और बोला, निगा..
वो अपनी अम्मी को हमेशा उस के नाम से बुलाता था, लेकिन छोटा था इस लिए नाम से सहीसे नहीं ले पाता था..
आयान को मुश्किल से उस ने अपनी गोद में उठाया और रूम की तरफ देखते हुए बोली, सुनिए..
उस ने आवाज दी ही थी की अंदर से एक लम्बे कद का लड़का आया उस के सलीके से सैट किए हुए बाल, ब्लैक पेंट और शर्ट में वो बेहद हैंडसम लग रहा था उस के चेहरे के है भाव काफी अच्छे थे..
उसने sofe पर बैठते हुए बिना भाव के कहा, निगार नाश्ता दो?
निगार जो ज़मीन पर बैठें हुए ही अपने दर्द को बरदाश्त करते हुए आयान को छुपा रही थी उस ने अपनी आंखों में आए आंसुओ को अपनी आंखों में ही बांधते हुए कहा, आप आयान को चुपा दीजिए वो डर गया है..
उस ने घूर कर निगार को देखा और बोला, तुम्हारे बाप ने इसी काम पर रख है मुझे तुम दोनों मां बेटे का यही ड्रामा है कुछ न कुछ करते ही रहते हो जाकर अपने पैर पर कुछ लगाओ, वरना तुम्हारा बाप कहेगा मैं टॉर्चर करता हूं..
निगार ने मुश्किल से उठ कर आयान को उस के पास छोड़ा और लगड़ाते हुए किचन की तरफ चली गई..
कुछ देर में वो एक ट्रे में ऑमलेट फ्राई ब्रेडऔर चाय रख कर लाई उसे टेबल पर रखते हुए बोली, मैं पराठे बनाकर लाती हुं..
उस ने निगार को देखा और रूखेपन से बोला, कोई जरुरत नहीं इतना फालतू टाइम नहीं है तुम्हारी तरह दिन भर घर में खाली बैठ कर बच्चें नहीं संभालना नहीं है? बहुत काम है मुझे?.
ये बोल वो अपना नाश्ता करने लगा, निगार ने उसे देखा एक आंसु आंख से गालों पर आ गया जिसे उस ने उस के देखने से पहले ही साफ कर लिया क्योंकि इस का दर्द भी उसे ही भुगतना पड़ता..
वो ऐसे ही खड़ी रही तभी उसने अपना सिर उठा उसे देखते हुए कहा, क्या मेरे सर पर खड़ी रहोगी..
निगार ने आयान को मुश्किल से अपनी गोद में उठाया और चुपचाप किचन में चली गई..
उसने आयान के लिए दूध लिया तब तक वो नाश्ता कर अपने काम को जा चुका था..
निगार ने जाकर gate lock किया और अपने room में आ गई.. आयान को bed पर बिठा उसे दूध का glass देते हुए कहा, बच्चा इसे पियो अम्मी अभी आती है.
ये बोलते हुए वो उठ कर balconey में आई, अब आंखो में रूके आंसु गालों पर लकीरें बनाने लगें, तंग आ चुकी थी वो अपनी ज़िंदगी से और जब उस का मन हद से ज्यादा भर जाता तब ऐसे ही छिप कर रो लिया करती थी, चार साल दो महीने हो चुके थे उस की शादी को लेकिन आज तक उस के शौहर ने मोहब्बत से दो लफ्ज नहीं बोले थे उसे..
क्योंकि उस की शादी जवरदश्ती निगार से कराई थी, बची कूची कसर निगार के पापा ने जेवर कम लाने पर निगार के सांस ससुर और उस के शौहर की बेइज्जती कर कर दी थी..
शादी की पहली रात वो बहुत रोई थी और आज तक रोते आ रही थी..
अपनी मुट्ठी को खोल कर उसने उस पर मेंहदी से लिखे नाम को देखा जिस पर निगार आहान खान लिखा था लेकिन ये नाम सिर्फ उसे कागजों में मिला, आहान से उसे मोहब्बत नहीं मिली..
निगार ने अपने मुंह पर हाथ रख सिसकियो को दवा दिया ताकि उस का बच्चा न सुन ले अक्सर वो ऐसे ही करती थी..
वो चाहती थी की सब छोड़ कर यहां से दूर चली जाएं लेकिन बेबस थी अपने हालातों पर क्योंकि मां बाप ने उसे दसवें तक पढ़ाया था और उसे घर के काम के सिवा कुछ नहीं आता था, वो दूसरे पर मुनहसिर (निर्भर) थी, वो अपने बेटे को लेकर कहीं चली भी जाएं तो क्या करेगी कैसे पालेगी? अपने मासूम बच्चे को और उस की ममता अपने बच्चें को छोड़ने की इजाजत नहीं देती थी..
एक अनचाहा रिश्ता अजाब बन गया था उस के l
लिए..
तभी उसे अपने पैर पर ठंडा ठंडा फील हुआ.. निगार ने झुक कर देखा तब आयान उस के पैर पर फूंक मार रहा था, आयान ने सिर उठा कर निगार को देख कर कहा, दर्द हो रहा है अम्मी? अब्बा ने आपको चोट लगने पर भी डांटा वो गंदे हैं न?.
निगार ने उसे गोद में उठाया और अपने सीने से लगाते हुए बोली, वो गंदे नहीं है आपकी अम्मी पागल है..
उसे याद है जब उस ने अपने अब्बा को ये सब बताया था और कहा था की एक बार वो अपने किए की माफ़ी मांग ली शायद उस के लिएं कुछ अच्छा हो जाएं..
तब उस के अब्बा ने अपनी झूठी शान के आगे साफ इंकार कर दिया, और बोला, धीरे धीरे सब सही हो जायेगा..
आज निगार खुद की किस्मत को ही कोसती है शायद अगर वो कुछ करती होती उसे कुछ आता होता तब वो किसी पर निर्भर नहीं होती उसे ये सब सहना नहीं पड़ता.. अफसोस होता है उसे खुद की नाकाबिलियत पर.. काश वो अपनो पैरों पर खड़ी होती.. तब ये न होता..
आयान ने उस के आंसु साफ करते हुए कहा, आप रो नहीं निगा..
ये सुनते ही निगार के उदास चेहरे पर मुस्कान खिल गई, उस का बेटा ही तो था उस का सहारा अब यही उस के चेहरे की मुस्कान की वजह था, ..
हालांकि आयान के पैदाइश के बात हालात थोड़े सुधरे थे..
लेकिन पूरी तरह सही नहीं हुए..
आयान को सीने से लगाए वो एक बार फिर फफक कर रो पड़ीं कुछ देर में निगार ने अपने आंसु साफ किए और वापस अपने काम में लग गई क्योंकि यही उस की किस्मत में लिख गया था शायद..
बस इतना ही....