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SAABI ..

Drama Inspirational

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SAABI ..

Drama Inspirational

पापा इजाजत दे दो..

पापा इजाजत दे दो..

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एक लड़की, काली आँखें, बड़ी बड़ी पलकें, साफ रंग और सुर्ख होंठ, उस का छोटा सा गोल चेहरा और क़मर तक आते काले बाल, जिसने प्लाजो और कुर्ती पहनी थी, गले में सलीके से दुप्पटा पड़ा था देखने में बहुत ही खूबसूरत लेकिन उस के चेहरे पर उदासी थी, उसकी गहरी काली आंखो मे घबराहट साफ देखी जा सकती थी, वहीं उस के पास एक 45 साल की महिला खड़ी थी जिन्होंने उस का हाथ पकड़ा हुआ था शायद उसे हिम्मत देने के लिए।

उन के सामने एक आदमी जिनकी उम्र यही 50 साल होगी खड़े थे उनके चेहरे पर गुस्से वाले भाव साफ दिख रहे थे। 

उन्होंने कहा, आयत कहो क्या कहना है ?

वो लड़की अपना नाम सुनकर अपनी पास खड़ी अपनी अम्मी को देखने लगी उन्होंने आंखो से ही उसे बोलने का इशारा किया तभी एक बार फिर उन की गुस्से वाली आवाज़ आई आयशा को क्या देख रही हो तुम्हें हमसे बात करनी थी ?

आयत ने जल्दी से हां में सिर हिलाते हुए कहा, जी पापा..

उन्होंने कहा, तब बोलो ?

आयत ने घबराते हुए कहा, वो पापा, हमें हमें आपसे..

तभी पीछे से एक बूढ़ी औरत की आवाज़ आई, हारून तुम्हारी बेटी के पंख निकल आएं हैं? अब उसे दूसरे शहर, दूसरे शहर क्या ही दिल्ली जाकर पड़ना है? शर्म हया तो सब भूल गई है? बस एक ही जिद लगा रखी है मना किया था तुझ से आठवीं के बाद घर बिठा दे चूला चौंका सीखा लेकिन नहीं तुझे तो बेटी को पढ़ाना था, अब करो फरमाइश पूरी?.

आयत ने लाचारी से अपनी दादी को देखा तभी उस के पापा ने कहा, आयत ये सच है?.

आयत घबरा रही थी, उस ने वैसे ही अपना सिर हां में हिला दिया|

उस के पापा ने कहा, तुम जानती हो की हमारे खानदान में लड़कियों को आठवीं के बाद घर से निकलने की इजाजत नहीं है फिर भी ये सब?.

तभी उस की अम्मी ने कहा, आप ने उसे कहा था की वो जितना पढ़ना चाहेगी आप उसे रोकेंगे नहीं पढ़ाएंगे और अब..

तभी दादी ने कहा, सब किया हुआ इस तुम्हारी बेगम का है? इस ने ही ये पढ़ाई का कीड़ा उस के दिमाग में डाला है वरना खानदान में और भी लड़कियां है भला कोई ऐसी जिद करे तो, कोई नहीं करती यही मोहतरमा हैं जिन्हें अपनी ख्वाहिशें परवान चढ़ानी हैं|

उनकी बात सुनकर पास बैठे आयत के दादा ने कहा, कुछ गलत ख्वाहिश नहीं है हमारी नातिन की अगर वो इस चारदीवारी से निकल कर कुछ करना चाहती है तब गलत क्या है मेरा कहना है हारून उसे इजाजत दे दो?

तभी दादी ने कहा, हां इजाजत दे दो, खानदान की इज़्ज़त नीलाम करने की, उछालती फिरे ये हमारे घर की इज़्ज़त को?

उनकी बात सुनकर आयत की आंखों में नमी आ गईं उसने नम आंखों से अपने पापा की तरफ देखा तभी उन्होंने कहा, आप लोग हमें बात करने देंगे हम जानना चाहते हैं हमारी बेटी क्या चाहती हैं?

उन्होंने आयत की तरफ देखा और बोले, तुम जानती हो तुम्हारे ख़्वाब इस गांव की रिवाज़, जो एक लड़की को बिना शादी से यहां से जाने के खिलाफ़ है, उस के खिलाफ़ है? लोग इसे अपनी इज्ज़त से जोड़ते हैं? हम

अपनी इज़्ज़त को नहीं गवा सकतें?

आयत मायूस हो उनके सामने बैठ उन के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोली, पापा ऐसा बेड़ी न डाले मेरे पैरों में आप जानतें हैं आप की इज्ज़त को आपकी बेटी ने अपनी जान से आगे रखा है? आज तक किसी गलत इंसान क्या किसी गलत चीज़ की तरफ मैंने आंख उठा कर नहीं देखा सारी दुनियां में आपसे बेहतर मुझे कोई नहीं जानता है और आप बखूबी जानते हैं मुझे? 

मुझे आपकी इजाजत चाहिए, दिल्ली जाकर upsc की तैयारी करने की, पापा इजाजत दे दो? मेरे ख़्वाब को हकीकत बदलने के लिए आपकी इजाजत चाहिए? 

उन्होंने कहां अगर इजाजत न मिले तब?

आयत अपनी बड़ी बड़ी आंखों में आंसू लिए उन्हे देखने लगी, उस ने कुछ कहना चाहा लेकिन उस का गला भर गया था, कुछ देर बाद वो अपना सिर नीचे किए ही बोली, मर जाऊंगी?.

सब हैरानी से उसे देखने लगे तभी आयत ने कहा, पापा मेरा जिस्म होगा लेकिन रूह वो तो मेरे ख़्वाब हैं न? अगर मैं ख़्वाब पूरा न कर सकी तब मैं जी नहीं पाऊंगी ? ख्वाबों को पूरा करना आपको देख कर सीखा है ? कैसे एक उम्मीद के सहारे चलते जाना फिर अपने मंजिल को पाना है? फिर आप कैसे वाकिफ नहीं हैं मुझसे ?

आपको भरोसा नहीं हैं मुझ पर ?

उस के ये बोलने पर वो उसे देखने लगे और आयत की आंखों से आंसु उस के गालों पर लुड़क आए, आपको अपनी बेटी पर भरोसा नहीं है?..

ये बोल उस ने अपना सिर नीचे कर लिया, उन्होंने उस का चेहरा ऊपर करते हुए कहा, भरोसा है? लेकिन कैसे करोगी सुबह आँखें खोलते ही तुम्हें अम्मी चाहिए होती हैं ?

आयत ने कहा, पापा कर लुंगी सब कर लुंगा अकेले भी रह लुंगी आप पैसे न दे तब भी कोई बात नहीं मैं वहां कुछ कर लुंगी, पैसे भी कमा लुंगी, बस आप इजाजत दे दें ?

उस की इस बेवकूफों वाली बात पर वो हँसते हुए बोले, पैसे क्यों नहीं दुंगा पागल हैं ? 

आयत उनकी तरफ़ उम्मीद से देखने लगी, उन्होंने उस के चेहरे को छूते हुए कहा, दी इज़ाजत, है तुम्हें इजाजत अपने ख्वाबों को मुक्कमल करने की? याद रहे ये सफर नया होगा लेकिन आयत पुरानी वाली ही होनी चाहिए..

उसने जल्दी जल्दी हां में दो तीन बार सिर हिला दिया ये देख उन्होंने उस के सिर पर मारते हुए कहा, ये क्या ढाई किलो का सिर हिला देती हो मुंह से बोला करो ये बोल वो जानें लगे तभी उन्होंने रुक कर कहा, आयत याद रहे तुम्हारे बाप के लिए उस की इज्जत से बड़कर कुछ नहीं है?

आयत ने उनकी तरफ देखते हुऐ कहा, पापा जिस दिन मेरी वजह से आपकी इज्ज़त पर कोई बात आई उस दिन आपकी बेटी मरना पसन्द करेगी?

उन्हें शायद उस से इसी जवाब का इंतेजार था और वो चले गए|

आयत मुड़ कर अपनी अम्मी के गले लग गई क्योंकि उसके इम्तेहान के साथ उन्होंने भी एक इम्तेहान दिया था, आयत के चेहरे पर खुशी और आंखों में चमक थी, अपने ख्वाबों को मुकम्मल कर पाने की खुशी, नई उड़ान की खुशी खुले आसमान में पंख फैलाने की खुशी, वो उड़ सकती थी... 


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