स्पर्श....
स्पर्श....
सरकारी स्कूल में नौकरी लगी, मैं बहुत खुश था कि चलो अब घरवालों को मुझसे कोई शिकायत नहीं रहेंगी,घर में दो छोटे भाइयों की तो कब की नौकरी लग चुकी थी,एक मैं ही सबसे बड़ा भाई नाकारा बैठा था।।
किसी छोटे से गांव में पोस्टिंग हुई, मैं प्राइमरी स्कूल का सरकारी मास्टर, वहां बहुत दिनों से कोई अध्यापक नहीं पहुंचा था,स्कूल पहुंचते ही मैंने प्रधानाध्यापक को अपना परिचय देते हुए नियुक्ति पत्र दिखाया,वो बहुत खुश होकर बोले,चलो कोई तो सहयोगी आया।।
मैंने पूछा,क्यो आपके साथ कोई शिक्षामित्र नहीं है?
उन्होंने कहा, हैं तो सही लेकिन ना होने के बराबर।।
मैंने फिर पूछा, ऐसा क्या है भला।।
उन्होंने कहा, पता चल जाएगा, थोड़ी देर में।
तभी प्रधानाध्यापक के कमरे में एक सुंदर सी नवयुवती उपस्थित हुई।।प्रधानाध्यापक बोले,ये हैं हमारी शिक्षामित्र पूनम।।
उन्होंने मुझे मुख से बोलकर मेरा स्वागत किया क्योंकि इतनी सुन्दर होने के बावजूद उसके हाथ नहीं थे, लेकिन इस बात से उसके चेहरे का आत्मविश्वास कम होता नहीं दिखाई दे रहा था।।
उसके जाने के बाद मुझे प्रधानाध्यापक जी ने बताया कि बचपन में किसी हादसे में उसे अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े,विधवा बूढ़ी मां और एक छोटी बहन के साथ वो रहती है,उसकी तनख्वाह से गुजर बसर चलता है, अच्छा हुआ आप आ गए नहीं तो मुझे बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था।।
फिर छुट्टी होने के बाद__प्रधानाध्यापक जी ने मेरे रहने के विषय में पूछा।।मैंने जवाब दिया कि अभी तो कोई ब्यवस्था नहीं है।।
तभी पूनम बोली, आपको एतराज़ ना हो तो आप मेरे घर में रह सकते हैं, अभी दो कोठरियां खाली पड़ी है,आंगन में हैंडपंप, स्नानघर और शौचालय भी वहीं पर है,अभी कुछ महीने पहले ही नया बनवाया है आपको वहां रहने में कोई परेशानी नहीं होगी और मेरी छोटी बहन आपके खाने और चाय-पानी का इंतजाम भी कर दिया करेंगी।।
प्रधानाध्यापक जी बोले,पूनम का सुझाव एकदम ठीक है,मान लो फ़ायदे में रहोगे।।
बस फिर क्या था मैंने पूनम के घर में अपना डेरा जमा लिया, धीरे धीरे पूनम मुझे अच्छी भी लगने लगी।।
एक रोज एक घटना हुई,सुबह का समय था, पूनम को स्कूल जाने के लिए उसकी छोटी बहन ने उसे तैयार कर दिया था और उसकी बहन भी मां के साथ खेतों में काम करने निकल गई थी, मैं उस दिन उठ ही नहीं पाया, मुझे बहुत तेज बुखार था शायद गांव के वातावरण में मैं खुद को ढ़ाल नहीं पाया था।।
पूनम ने आवाज दी,मेरा दरवाजा खुला ही था मैं बुखार से एकदम अचेत पड़ा था, मेरी हालत देखकर पूनम ने अपने गाल का स्पर्श मेरे गाल पर रखकर मेरी तबियत के बारे में पता करना चाहा।
वाकई उस समय मुझे बहुत तेज बुखार था,वो भागी भागी बहन और मां को बुलाकर लाई और प्रधानाध्यापक जी के पास खबर भेजकर फ़ौरन डाक्टर को बुलवाया।।
उसने और उसकी बहन ने रात भर जागकर मेरी सेवा की, मैं ठीक हो गया लेकिन इस घटना ने मेरे मन में पूनम के प्रति प्रेम के भाव उत्पन्न कर दिए,ये सब उसके उस गाल के स्पर्श का कमाल था।। फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके पूनम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन उसने मना कर दिया,वो बोली अच्छा होगा कि तुम मेरी बहन से विवाह कर लो, अभी तो तुम्हारे मन में मेरे लिए प्रेम के भाव है लेकिन कुछ दिनों बाद यही विष का काम करेंगे,तुम अभी दुनिया को नहीं जानते इसलिए तुम किसी स्वस्थ लड़की से ब्याह करो और मेरा आत्मविश्वास कम मत करो, मुझे मेरी नजरों में बेचारी मत बनाओ।
लेकिन पूनम की बहन ने भी शादी से मना कर दिया वो बोली, मेरी बहन का मैं ही एकमात्र सहारा हूं और मैं उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी, मरते दम तक उनके साथ रहूंगी।मैं उससे शादी तो ना कर सका लेकिन वो स्पर्श मुझे अभी तक याद है।।

