सपने सच हुए
सपने सच हुए
बात उन दिनों की है जब मैं बाइस साल की थी। मेरी माँ गुजरने के बाद मेरा सारी जिम्मेदारी मेरी चाची ने उठाई। मैं ने शिक्षा ग्रहण करके एक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी करने लगी। फिर घर में मेरे शादी की चर्चा होने लगी। शादी का नाम सुनते ही मेरे मन में तरह-तरह के खयाल आने लगे। बहुत ना करने पर मैंने हाँ कर दी। लड़के वाले हमारे घर आए रिश्ता लेकर। उनका नाम राज था। पहली मुलाकात में हम दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया। मैंने कहा में शादी के बाद भी नौकरी करूँगी। मेरी इस बात से सभी सहमत थे। 6 महीने बाद हमारी शादी हुई। मुझे एक प्यार करने वाला पति मिला माँ जैसी सास मिली, पिता समान ससुर मिले। एक प्यारा देवर, एक प्यारी नंद। सब ठीक चल रहा था। कुछ समय बाद मुझे पता लगा कि मेरे देवर को कोई लड़की पसंद है पर वो दूसरे जाती की है। वो लड़की एक अमीर घर से है और उसके पिता एक बड़े व्यवसायी है हमारे यहाँ तो सब शादी के लिए सहमत थे लेकिन उस लड़की के माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे। क्योंकि मेरा देवर डिप्लोमा इंजीनियर था। और उसकी सैलरी मात्र पांच हजार थी। लड़की के पिता ने कहा हमारी
लड़की बहुत आराम में रही हैं इस परिवार में वो कैसे निभाएगी। लेकिन थोड़ा जोर देने पर लड़की वाले भी मान गए। फिर दोनों की सगाई भी हो गई। फिर लड़की ने कहा मुझे आगे MBA करना है उसके बाद ही मैं शादी करूंगी। मेरे देवर ने भी कहा कि मैं तब तक B. E कर लूँगा। और बाद में हम शादी करेंगे। इसके बाद मेरा देवर दूसरे शहर चला गया। उन दोनों की फोन पर ही बात होती थी। फिर फोन आना भी कम हुए फिर दोनों का झगड़ा भी होने लगा। लड़की के पिता का कहना था कि इतनी कम सैलरी में क्या मेरी बेटी खुश रह पाएगी। कुछ समय बाद लड़की ने शादी करने से इंकार कर दिया। मेरे देवर को सदमे लगा। उसे उस लड़की की पिता की बात चुभ गई और उसने अपना पूरा ध्यान अपने कैरियर पर लगाया और एक बड़ी कंपनी में ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुआ । इस हादसे से उसने उभर कर उसे एक प्रेरणा मिली उसके साथ उसका परिवार था। माता-पिता का आशीर्वाद था। मेरे देवर ने अपने सपने हकीकत में सच किए। और वो एक काबिल इंसान बन गया। वो कहते हैं ना कभी किसी की कही बाते भी कोई इंसान के लिए एक प्रेरणा बन जाती है वो इंसान सफल हो जाता है और अपने सपने साकार कर लेता है