जो कहा ना गया हो
जो कहा ना गया हो
वैभव जी बाजार में मिले तो अपने नए मकान के बारे में बताने लगे। आज तो चलना है मेरा मकान देखने आपको। वैभव जी कंपनी के बॉस जो थे मेरी इच्छा नहीं होते हुए भी में उनका मकान देखने गया।
मकान बुहत शानदार बनवाया गया था सुन्दर बाग, चमचमाते मार्बल के फर्श, महंगा फर्निचर, दीवारों पर लगे पेंटिंग, चमचमाते washroom, देखकर मैंने उनके मकान की तारीफ की और मेरे मन में भी ऐसा मकान बनाने की इच्छा जीवंत हो उठी। जैसे मेरा भी मकान बनाने का सपना साकार हो इसी उम्मीद में।
चाय पीने के बाद हम बाहर आए तो वैभव जी बोले तुमने अपनी गाड़ी उधर दायीं तरफ क्यों लगाई है? उधर वालों से हमारा झगड़ा है फिर थोड़ी देर बाद वैभव जी अपनी पत्नी पर बरस गए नीलू तुम्हारे सूखे कपड़े उड
़कर उस तरफ जा रहे हैं संभालो उन्हें। फिर बोले ये इस तरफ वाले भी ऐसे ही है हमारी बोलचाल बंद है उनसे। इतना महंगा मकान तो बना लिया मैंने लेकिन मेरे नाते-रिश्तेदार आज तक मकान देखने नहीं आए सब जलते है मुझसे। फिर कहने लगे कैसा लगा मेरा मकान?
मैंने कहा बहुत सुन्दर, शानदार। फिर वैभव जी बोले तुमने एक बात नोट की मैंने हर कमरे, बरामदे में बिजली कनेक्शन के कई पॉइन्ट लगाए हैं ताकि किसी को इंस्ट्रूमेंट चार्जिंग में कोई मुश्किल नहीं आए है ना मुझ में दूरदर्शिता वाली सोच? बिल्कुल सही कहकर में सोचने लगा काश बिजली कनेक्शन के साथ-साथ आपने संबंधों के कनेक्शन भी जोड़े होते तो डिस्चार्ज हुए रिश्ते भी चार्ज हो जाते।
कहना तो चाहता था पर कह नहीं सका।