* सफरनामा*
* सफरनामा*
हमारे जीवन में यात्रा का भी बड़ा महत्व है। मुझे तो अक्सर यात्रा का अवसर मिल ही जाता है। और मै अधिकतर अकेली ही यात्रा करती हूँ। मै आगरा से नागपुर जा रही थी ए सी टू टियर में मेरी सीट रिजर्व थी ।मै गाड़ी आने पर चढ़ गई और अपनी सीट सम्भाल ली एक बैग ही था जो मैने सीट के ऊपर ही रख लिया ताकि निगरानी रख सकूँ। अपनी सीट पर बैठ गई , यात्रियों का हंगामा चालू था ।मेरे सामने की सीट पर एक लेडी को देखकर अच्छा लगा मुझे। वो भी अपना सामान लगा कर बैठ गई। जब ट्रेन चलने लगी और स्टेशन छोड़ दिया तो मैने अपना खाना निकाला और उनसे भी कहा आपने खाना खा लीजिए,उसने भी अपना खाना निकालकर खाने से पहले थोड़ी औपचारिकता हुई और अपना -अपना खाना खाने लगे। खाने के बाद थोड़ा एक दूसरे को जाना तो पता चला उसका नाम रिचा था ,मै उसे बड़ी होने के नाते नाम से बोलने लगी और वो मुझे दीदी बोलने लगी। वो रायपुर तक जाने वाली थी ,मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि वो मुझसे भी आगे जाने वाली थी ।हम लोग फिर बात करते- करते सो गये ।
सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली और मै देखने लगी कौनसा स्टेशन है ऐसा लगा जैसे भोपाल निकल गया था बोर्ड
नहीं दिख रहा था। रिचा किसी प्राईवेट आफिस में काम करती थी और अपने मायके जा रही थी एक हफ्ते के लिए। हमने सुबह उठकर चाय मँगाई और साथ में बिस्कुट लिए और इधर-उधर की बातों में लग गए।
सुबह की शायद शिफ्ट बदली थी ।
फिर टीटी आया और टिकट चैक करके आगे बढ़ गया। हम दो ही लेडी थे उस डिब्बे में। बाद कोई एक लड़की चढ़ी होगी। वो अकेली ही थी कुछ सामान भी नहीं था,कपड़े भी कुछ-कुछ गंदे से थे ,जो न तो भिखारिन लग रही थी न ही किसी अच्छे घर की थी ।सलवार सूट पहने हुए थी टीटी ने उस लड़की से टिकट माँगा,वो बोली नहीं चुपचाप बैठी रही। टी टी ने बार-बार टिकट माँगा पर वो तो अनजान बनी बैठी रही। टी टी भी एकदम खीज गया लड़की थी इसलिए कुछ कर नहीं पा रहा था। थोड़ी देर सोचकर हमारे पास आया और सारा वाकया बताया फिर कहा आप चलकर उस लड़की से बात करिये ,क्या बात है मै ज्यादा कुछ कहूँगा तो कुछ भी इल्जाम लगायेगी । टीटी भी यंग लग रहा था और भला इंसान भी लग रहा था। ऐसे लोग कम ही मिलते हैं। बड़ी नम्रता से बात कर रहा था। वरना कुछ भी कर देता ।टीटी के कहने पर मै उठी और उस लड़की के सामने जाकर बैठ गई ,रिचा को भी साथ ले गई। मैंने टीटी को अपने साथ आने के लिए मना कर दिया क्योकिं टीटी को देखकर वो कुछ नहीं बोलती ।फिर मैंने धीरे धीरे बात करना शुरू किया पर वो ज्यादा नहीं बोल रही थी।
हमको टालने की कोशिश कर रही थी पर हम भी वही बैठे रहे। बहुत कोशिश के बाद उसने बताया कि आप मुझे गाड़ी से मत उतारने दे मेरी जान खतरे में है। मैने फिर पूछा कि क्यों,आखिर तुमने ऐसा क्या किया है। वो फिर चुप हो गई शायद कुछ हमें बताना नहीं चाहती थी लेकिन हमको सच्चाई जानना जरूरी था जो वो बताना नहीं चाहती थी। फिर मैने कहा तुम घबराओ मत हम सब तुम्हारी मदद करेंगे । लेकिन सच बताओगी तब ही कर सकते हैं। झूठ बोलोगी तो हम कुछ नहीं कर पाएगे ।उसने न तो ये बताया कि आई कहा से है और कहा जा रही है ।टिकट क्यू नहीं लिया। बस एक सीट पर कौने में बैठी रही न किसी से बात कर रही थी न कुछ भी बताने को तैयार थी ।
मै सोचने लगी कैसे इससे बात पता करें। फिर मैने उस लड़की से कहा कुछ खाओगी तुम्हारे पास पैसे है उसने मना कर दिया।
मैने एक होकर को रोककर पकोड़े की एक प्लेट खरीद कर दी उसने खा लिए फिर मैने कहा और लोगी हा में सर हिलाया तो एक प्लेट और दिलवाई और साथ में एक चाय भी खरीद कर दी चाय पीकर उसको थोड़ी शायद शांति मिली। लग रहा था लड़की भूखी थी ,उसके चेहरे पर राहत नज़र आ रही थी ।तब थोड़ा बोली धीरे से मेरी सौतेली माँ किसी बुजुर्ग के साथ उसकी शादी करा रही थी वो भी रुपये लेकर। उसने अपनी माँ को किसी से बात करते सुन लिया था। तब फिर मैने टीटी को सबकुछ बताया और कहा इसकी सुरक्षा हो सकती है तो करवा दो सही में ऐसा होना वरना फिर गलत हाथो में पड़ जाऐगी । टीटी भी बहुत भला इंसान था उसने हमारे सामने ही सारी कार्यवाही की अपने स्टेशन की पुलिस को बुलाकर सारी कार्यवाही की और एक संस्था है जो इस तरह की लड़कियौ को सुरक्षा प्रदान करती है वही ले जाया गया,मैने चुपके से 500/ रुपये दिये ।और उसको ले जाया गया आश्रम में वहां वो ठीक है और पढ़ाई भी कर रही है ।खाना पीना सब मिल रहा है। और वो ठीक है। वो खुश हो गई है कि उसको सौतेली माँ से छुटकारा मिल गया है।
सभी से प्रार्थना है कि इस तरह के केस कभी गाड़ी में मिले तो उचित प्रयास अवश्य ही करने चाहिए। ये इंसानी धर्म भी है ।
