सफ़र
सफ़र
स्टेशन पर अक्सर कई गाड़ियां आती है चली जाती है, कई बार गाड़ी में बैठे हुए सफ़र में कई मुसाफ़िर ऐसे मिल जाते है जो कुछ घंटे साथ रहते हैं लेकिन वो कुछ घंटो का साथ हमेशा का साथ बन जाता है....
मैं इंदौर से भोपाल किसी काम से जा रहा था ट्रेन का माहौल काफ़ी उबाऊ था... क्युं ना लगता, था भी तो मैं अकेला...... यूं तो बहुत से लोग थे ट्रेन, में पर सारे नए चेहरे तो मैंने इयरफोन लगा कर गाने चालू कर लिए ट्रेन शुरू नहीं हुई थी तो मै गाड़ी से उतर कर पानी लेने चला गया वहां मैंने एक बोतल ली और ट्रेन में चढ़ने लगा, तभी मैंने देखा कि टीटी बाहर खड़ा किसी से बहस कर रहा था, पास जाने पर पता चला कि कोई लड़का सीट के लिए गुहार लगा रहा था
लड़का: सर, प्लीज़ कोई सीट करवा दीजिए, ज़रूरी एक्जाम हैं.. रिज़र्वेशन नहीं हो पाया
टीटी: भाई पूरी गाड़ी भरी हुई है, कोई भी खाली नहीं हैं तभी मैंने बोला,
"सर, इजाज़त हो तो मैं अपनी सीट शेयर कर लूंगा"
टीटी(कुछ सोचने के बाद): ठीक हैं....
लड़का: थैंक यू सो मच, आई एम अभी (हाथ बढ़ाते हुए)
मैं: विक्की
फिर उसने किसी को कॉल किया, थोड़ी देर बाद एक लड़की आई और बोली, "अभी, सीट मिल गई"
अभी: हां, ये विक्की है....सीट शेयर कर लेगा
लड़की: हाय, मैं अंकिता थैंक, यू सो मच आपने मेरी हेल्प की
मैं : अरे कितनी बार थैंक्स बोलोगे...... अभी को देख कर मैं सोच रहा था कि सफर में साथी मिल जाएगा, मुझे साथी मिल गई... वो भी इतनी खूबसूरत.. डार्क ब्लू जींस और ऑफ शोल्डर रेड टॉप पहनी थी, खुले बाल, कानो में बाली और आँखो पर काली फ्रेम वाला चश्मा काफ़ी सुंदर लग रहा था... दोनों साथ में बैठे
मैं : अगर तुमको प्रॉब्लम हो तो मैं ऊपर सो जाता हूं
अंकिता: जी कोई बात नहीं.. आप ने जो किया काफ़ी हैं
मैं: आप फॉर्मल लगता है... तुम कहा करो
अंकिता: ठीक है..... वैसे तुम अभी को कैसे जानते हो
मैं: नहीं जानता वो तो मैंने सुना कि एक्जाम देने जाना हैं इसलिए सोचा हेल्प कर दु... इस बहाने साथ में कोई मिल जाएगा
अंकिता: और मैं आफत बन गले पड़ गई...
मैं: नहीं यार बोरिंग सफ़र में इतनी खूबसूरत साथी आफ़त थोड़ी ना लगेगी
अंकिता: चांस मार रहे हो..
मैं: अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है....
अंकिता(हँसते हुए): अरे पता हैं जस्ट किडींग, थैंक यू सो मच
मैं: माय प्लेजर. वैसे तुम अभी को कैसे जानती हों ?
अंकिता: दरअसल हम दोनों बचपन से साथ हैं साथ पढ़े, साथ खेले सब कुछ साथ में, दोनों बेस्ट फ्रेंड्स हैं....
ट्रेन शुरू हुई, हवा चलने लगी उसकी रेशमी ज़ुल्फे उड़ने लगी और मेरे चेहरे को छू रही थी, पहले मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर एक खुशबू आई तो मुझे थोड़ा ठीक लगा, वो ज़ुल्फे उसके चेहरे को भी छू रही थी बार बार उसे चेहरे से हटाना पड़ रहा था इसलिए उसने बाल बांध लिए, मैं मन में सोच रहा था कि मत बांधों लेकिन चुप रहा...... फिर हम लोग बातें करने लगे
मैं: अच्छा तुम कौन सी एक्जाम के लिए जा रही हो
अंकिता: जूनियर इंजीनियर की..... तुम बताओ कहां जा रहे हो
मैं: भोपाल, ऑफिस के काम से
अंकिता: वाह भोपाल तक का ही साथ हैं शायद
मैं: शायद, पर अगर क़िस्मत ने चाहा तो हम ज़रूर मिलेंगे..... वैसे भोपाल में कहां पर एक्जाम हैं
अंकिता: दरअसल एक्जाम तो दिल्ली में है लेकिन भोपाल एक रिश्तेदार के यहां काम हैं दो दिन वहां रुकना है और फिर दिल्ली.....
मैं: तैयारी हो गई
अंकिता: हां, लगभग.....
फिर हम दोनों रीजनिंग पढ़ने लगे क्यूंकि मुझे गणित बिल्कुल नहीं आती थी और रीजनिंग बड़ा पसंद था
सीहोर स्टेशन पर गाड़ी रुकी हमने वहां नाश्ता किया गरम समोसे बन रहे थे देख कर भूख बढ़ गई दोनों ने समोसे लिए पंद्रह मिनट के बाद ट्रेन शुरू होने वाली थी गाड़ी रुकी रही
मैंने स्टेशन पर कुछ लोगो से पूछा "गाड़ी क्युं बंद हैं" किसी को नहीं पता
फिर किसी ने बोला इंजिन खराब हैं करीब एक घंटे तक मैं और अंकिता बातें करते रहे और मैं उसी को देखता रहा
मैं सोच रहा था कि ट्रेन देर से चले ताकि हम ज्यादा देर साथ रहे.... करीब एक घंटे बाद ट्रेन चली अंकिता ने चश्मा उतारा
मैं: लगा रखो ना, अच्छा लगता है.....
अंकिता( हँसते हुए) : इसीलिए उतार रही हूं, कहीं तुम दीवाने न हो जाओ....
चेहरे पर तो सिर्फ़ अट्रैक्शन होता है दीवाना शख्सियत बनाती है
अंकिता: अरे वाह कोई शायर भी हैं
मैं: अरे वो तो ऐसे ही कभी कभी निकल जाती है
अंकिता: वाह मुझे तो बचपन में पोयम्स निकलती थी.....
दोनों साथ में हँसे
फिर वो चश्मा लगाकर पढ़ने लगी, सवाल आया मैथ्स का, बोली "मुझे बता दो"
मैं: फैल होना हैं क्या, मुझे मैथ्स बिल्कुल नहीं आती
अंकिता(हँसते हुए) : अच्छा रहने दो फ़िर..... क्या पढ़ा सकते हो
मैं: इंग्लिश, कंप्यूटर, सबसे फेवरिट रीजनिंग
अंकिता: चलो मुझे इंग्लिश पढ़ाओ
मैं: ज़रूर
उसने मुझसे अपने डाउट क्लियर किए फ़िर बोली,
"यार कितना परेशान करती हूं न"
मैं: क्या यार तुम भी, इसमे परेशानी कैसी.... इस बहाने पता चला कि मैं पढ़ा भी सकता हूं
ट्रेन फ़िर रुकी वहां हम ने कॉफ़ी ली
मैं: बालिके, गुरु दक्षिणा ?
अंकिता: क्या चाहिए
मैं: एक सेल्फी
अंकिता: बस एक ?
मैं: तुमको प्रॉब्लम न हो तो 100 - 200 ले ले
अंकिता: इतनी भी नहीं पर 4-5
मैं: हां ठीक हैं....
मैंने थोड़ा डरते हुए उसके बालो से क्लिप निकाल दी जिससे उसके बाल खुल गये.....
मैं : सॉरी
अंकिता: चिल डियर, मैं खोलने ही वाली थी
स्टेशन पर सेल्फी लेते वक़्त उसने "सेल्फी मैंने ले ली" गुनगुनाया और दोनों साथ में हँसने लगे......
ट्रेन की आवाज़ आई दोनों फिर ट्रेन में बैठे और ट्रेन चलने लगी.....
मैं और अंकिता एक सीट पर बैठे हुए थे इसलिए थोड़ी आफ़त पड़ रही थी, सामने की सीट पर एक लड़का शराब पी कर बैठा था, बोला "क्या बेबी, बैठने में तकलीफ़ हो रही हैं तो मेरी गोद में आ जा"
मैं: ठीक से बात कर
शराबी: तुझे क्या करना, कौन हैं तेरी
मैं: कोई भी हो तुझे क्या करना है
इतने में अंकिता ने टीटी को बुलाया....और उस शराबी को बाहर करवा दिया.....
फ़िर वो पढ़ने लगी उसको थोड़ी झपकी लगी मेरे कंधे पर सर रख कर सो गई, मैंने कुछ नहीं कहा उसे बेपरवाह हो कर सोते हुए देखना अच्छा लग रहा था.... थोड़ी देर बाद उसकी नींद खुली तो बोली "सॉरी तुम्हारे कंधे पर सो गई"
मैं: चलता हैं यार, कितना सॉरी बोलती हो
अंकिता(हँसते हुए) : ओके थैंक्स मेरा तकिया बनने के लिए
मैं: थैंक्स मत बोलो, तीन लोगो को कन्धे पर सुला लेना
दोनों हँस दिए
फ़िर से वो पढ़ने लगी..उसने किताब खोली और मुझे परखने के लिए कंप्यूटर के सवाल करने लगी..... मैंने लगभग सभी सवालों का जवाब दे दिया तो वो बोली "अरे वाह, तुम्हें तो बहोत कुछ आता है.... फ़ीर दोनों ने रीजनिंग पढ़ी थोड़ी देर बाद फ़िर अगला स्टेशन आया ट्रेन रुकी मैंने बाहर जा कर सिगरेट ली उसने मुझे देखा तो बोली "तुम ये क्या गंदी चीज़ पीते हो हेल्थ और वेल्थ दोनों खराब करती है
मुझे फ्रेंड बोला हैं न, तो छोड़ दो इस ज़हर को"
मुझे ज़िन्दगी में पहली बार किसी ने इतने अपनेपन से बोला, मना कैसे करता.... मैंने सिगरेट फेंक दी दोनों ने फ्रूटी ली
वो लड़की बड़ी खुद्दार थी अपने पैसे खुद देती थी मेरे पैसे निकालने से पहले उसने निकाले बोली, "पिछली बार तुमने दिए थे, अब मैं"
मैं: ठीक हैं
दोनों ट्रेन में बैठे भोपाल आने वाला था मैं सोच रहा था नंबर मांग लु लेकिन फिर मैंने सोचा पता नहीं कैसे रिएक्ट करेगी तो मैंने नहीं मांगा हम बातें करने लगे
वो बोली : एक बात बताओ.. कोई गर्लफ्रेंड हैं
मैं: थी, पर अब नहीं...
अंकिता: इफ यू डोंट माइंड, क्या मैं रीजन जान सकती हूं
मैं: उसे कोई और पसंद आ गया
अंकिता: क्या यार इतने अच्छे हो तुम... डोंट वरी, मिल जाएगी कोई
मैं: न भी मिले तो बिना हमसफर के रास्ता कट सकता है.....
अंकिता: हां सही हैं
मैं: अच्छा तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड...
अंकिता: मेरा भी था अब नहीं हैं.... उसे कोई और पसंद आ गई...
मैं मन ही मन सोच रहा था कि अगर हम हमेशा साथ रहे तो क्या बात हो.... ये सोचकर मैंने बोला
"अच्छा सुनो"
अंकिता: हां बोलो....
इतना बोली कि उसका फ़ोन बजा उसने हँसते हुए फोन रखा
मैंने पूछा : क्या हुआ, बड़ी ख़ुश हो
अंकिता: हां, दरअसल एक लड़का हैं मोनू मतलब मनोज, उससे मेरे रिश्ते की बात चल रही थीं, माँ पापा और मुझे लड़का बहुत पसंद हैं पर उसने फ़ाइनल नहीं किया था..... अभी उसी का कॉल था उसने बोला वो शादी के लिए तैयार हैं और लेने आ रहा है
मैं: बधाई हो, शादी पर बुलाओगी न
अंकिता : हां, स्पेशल गेस्ट, वैसे तुम कुछ कह रहे थे
मैं: कुछ नहीं, मैं बोल रहा था कि भोपाल आने वाला हैं....
थोड़ी देर बाद भोपाल आया, हम ट्रेन से उतरे। वहां मनोज खड़ा था, उसने मुझे मिलवाया, मेरा नंबर लिया और चली गई।1 मैं उसका नंबर लेना भूल गया या यू कहो कि हिम्मत नहीं हुई.....
पूरा एक साल हो गया उस सफ़र को पर उस सफ़र का हर लम्हा मेरे जहन में हैं, वो पांच घंटे का सफ़र जो उबाऊ लग रहा था पर अब खूबसूरत हैं, आज भी जब ट्रेन में बैठता हूं तो मुझे याद आते हैं वो हसीं पल और वो खूबसूरत हमसफर...!