सफाईकर्मी
सफाईकर्मी
पूर्व दिशा में लाली छाने लगी थी। पंछी अपने घोंसले से निकलकर सूर्यागमन में कलरव कर रहे थे। कुछ औरतें अपने-अपने हाथ में झाड़ू लिए घर की सफाई में व्यस्त थीं तो कुछ औरतें कुएं से पानी भरने के लिए आ जा रहीं थीं। सारा गाँव जाग चुका था। ग्वाले दूध का कन्टेनर लिए अपनी बाइक से शहर जा रहे थे।
नन्दू कस्बे की गलियों की सफाई करने के लिए लट्ठ में बँधे झाड़ू को लिए घर से निकला ही था कि उसकी मुलाकात जनार्दन जोशी से हो गई। नंदू को देखते ही बोले- "अरे, नंदू ! जल्दी से जा और गली, नुक्कड़, चौपाल सब जगह की अच्छी तरह से सफाई कर दे। आज जाँच करने वाली टीम आ रही है। "
"जी , मालिक शिकायत का मौका नहीं मिलेगा"- नंदू ने विश्वास के साथ कहा।
जनार्दन जोशी ने सरकारी नौकरी के लिए बहुत हाथ पाँव मारे पर सब जगह से निराशा ही हाथ लगी। न जाने कितने सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगाए। यही नहीं कई-कई इंटरव्यू भी फेस किये पर नतीजा वही ढाक के तीन पात। उनके साथ के,उनके गाँव के, उनकी उम्र के कइयों को सरकारी नौकरी मिल चुकी थी। वे अच्छे पदों पर नौकरी करते हुए अपनी घर-गृहस्थी संभाल रहे थे। उन्हें काफी झुंझलाहट तब होती जब उनकी तुलना कोई गांव के दूसरे लड़कों से करता। उच्च वर्ग की उच्चता का दम्भ हमेशा समाज में दूसरों से भिन्न पहचान बनाने को बाध्य करता। लाख चाहकर भी जनार्दन सामाजिक दायरे को तोड़ नहीं पाता था।
शम्भू ने विवेक से कहा-" यार, नगरपालिका में सफाईकर्मियों की भर्ती हो रही है, क्यों न हम भी उसके लिए आवेदन कर दें।"
" बिल्कुल सही।" विवेक ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा।
हाजी बुक स्टॉल पर सफाईकर्मी के आवेदन पत्र उपलब्ध हैं। कल वहाँ से फॉर्म लेकर और उसे भरकर आवेदन-पत्र भेज देंगे। जनार्दन अक्सर वहीं से फॉर्म लेकर संबंधित विभागों में आवेदन किया करता था। उसने अनुभव किया था कि उसके गांव में निम्न जाति के कई लड़के इस पद पर काम करते हुए आराम से जीवन-यापन कर रहे हैं। परिस्थितियों का बवंडर मनुष्य को चैन से बैठने नहीं देता। वह उसे नचाता रहता है। इसे जनार्दन से बेहतर कौन जान सकता है? उसने नौकरी के लिए कितने पापड़ बेले थे वही जानता है फिर भी निराशा ही हाथ लगी।
जनार्दन ने सोचा-" क्यों न मैं भी सफाईकर्मी के लिए आवेदन कर दूँ? आखिर नौकरी तो नौकरी ही होती है। वह भी सरकारी। जहाँ किसी की दादागिरी नहीं चलती। नगरपालिका अध्यक्ष तो अपने खास पहचान के हैं तो किस बात की चिंता।"
उसने भी एक आवेदन फॉर्म खरीद लिया और उसे किसी को बताए बगैर भरकर भेज दिया। उसने यह बात किसी को नहीं बताई। यहाँ तक कि उसने अपने घरवालों को भी इसकी जरा भी भनक न लगने दी।
शाम का समय था। शम्भू और विवेक चौपाल में बैठे बातें कर रहे थे।
शम्भू-"क्या जमाना आ गया है? अब सफाई का काम भी हमसे छिना जा रहा है।"
"बिल्कुल सही कहा। सदियों से सफाई का काम हमारे पूर्वज ही करते आ रहे थे पर अब.... ." विवेक ने कहा।
शम्भू ने कहा-" सरकार हमारे समाज के विकास के लिए योजनाएं बनाती है परन्तु वह भी बड़े लोग हथिया लेते हैं।"
"सुनने में आ रहा है कि जनार्दन जोशी का सफाईकर्मी के पद पर नियुक्ति हो गयी है।"- विवेक ने कहा।
"हाँ,मैंने भी ये बात मुकुल से सुनी है। मुकुल तो यह भी कह रहा था कि जनार्दन सफाई का काम नहीं करेगा। उसकी नगरपालिका अध्यक्ष से गहरी जान-पहचान है।" शम्भू ने कहा।
" तो क्या बिना काम किये उसे सैलरी मिलेगी? आखिर कैसे? थोड़ा सा लेट हो जाने पर कइयों की सैलरी कट जाती है।" विवेक ने कहा।
"ऐसा नहीं होगा। वे बड़े लोग हैं। काम भी नहीं करेंगे और बीस हजार की पगार भी लेते रहेंगे।"
शम्भू ने कहा।
"मैंने तो सुना है कि उनकी जगह नंदू काम किया करेगा। उसके बदले में वे उसे हजार -दो हजार रुपये दे दिया करेंगे।" विवेक ने कहा।
जो सामर्थ्यवान है उसके लिए सारे नियम-कानून धरे के धरे रह जाते हैं। हम कितने साल से सफाई का काम कर रहे थे परंतु हमारे काम को कोई तवज्जो नहीं दिया गया। जिसने कभी झाड़ू पकड़ी नहीं उसे सफाईकर्मी की नौकरी के लिए चयनित कर लिया गया। जहाँ लाभ का काम होता है वहां बड़े लोग जात-पांत नहीं देखते। सारी मलाई ऊपर के हिस्से में, नीचे वाले के हिस्से में खुरचन भी नसीब नहीं।
अब जनार्दन ठाट से नौकरी कर रहा था। हाजिरी लगाने के लिए नगरपालिका के दफ्तर पहुँच जाता था। हस्ताक्षर करके वापस घर आ जाता था। अब वह भी आराम का जीवन जी रहा था।
जब कभी जाँच करने के लिए अधिकारी आते, वह सबसे पहले हाजिर हो जाता। दिखाने के लिए कभी-कभी झाड़ू के साथ फोटो जरूर खिंचवा लेता था। बाकी सारे काम नंदू ही करता था।
तभी नंदू झाडू लिए आ पहुँचा।
"मालिक, सारा काम मैंने चकाचक कर दिया। अब जाँच कमेटी भी आ जाये चिंता की कोई बात नहीं।" नंदू ने आश्वस्त होकर कहा।
जाँच कमेटी ने सर्वे का काम समाप्त किया। रिपोर्ट नगरपालिका अध्यक्ष को सौंप दी। इस नगरपालिका के सर्वश्रेष्ठ सफाईकर्मी के चयन में जनार्दन का नाम सबसे ऊपर था। गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर नगरपालिका अध्यक्ष के द्वारा स्मृति चिह्न प्रदानकर उसे सम्मानित किया गया। नंदू अपने मालिक के लिए तालियाँ बजा रहा था।