सोपान

सोपान

3 mins
486


"चौधरी साहब....कमाल करते हैं आप भी..दुनिया नौकरी लगवाने की सिफारिश करती है, आप नौकरी नही देने को बोल रहे है। आप अपनी बहू रजनी की ही बात कर रहे है ना?" प्रधानाचार्य तिवारी बेहद असमंजस मे थे।

"हाँ तिवारी... हमारे अभी इतने बुरे दिन नही आये कि बहू की कमाई खानी पड़े। असमय बेटा चला गया, इसका यह मतलब हरगिज नही कि अब बहू मनमर्जी करती घूमे।" अनमने से चौधरी साहब बोले।

"अरे... मनमर्जी कैसी? नौकरी करने से रजनी में थोड़ी हिम्मत आयेगी...आपका सहारा बनेगी..." तिवारी जी ने समझाना चाहा।

"हिम्मत आयेगी तो आवारागर्दी करेंगी....कोई सहारा नहीं चाहिए हमे.... वो चुपचाप घर बैठे। हम सब देख लेंगे... कुछ सालों मे दोनों पोतियों की शादी करवा देंगे। बेटा रहा नहीं तो बहू के भी अब क्या खर्चे.... घर संभाले बस..." चौधरी साहब एकदम उखड़ ही गये।

"चौधरी साहब...ऐसा कहीं होता है क्या?? बच्चियों का भविष्य बिगड़ जायेगा....उन्हें पैरों पर खड़ा करना ज़रुरी है।" तिवारी जी का मन मानने को तैयार ही नही था।

"तिवारी...तुम बेकार परेशान मत हो...रजनी को तुम्हारे स्कूल मे नौकरी नही मिलनी चाहिए बस.... नौकरी मिलते ही वो हवा मे उड़ने लगेगी...बेटियों को भी बिगाड़ देगी। उसे काबू मे रखना बहुत जरूरी है, तभी दब कर रहेगी, जमाने की हवा नही लगनी चाहिए।'" यह सुन कर तिवारी जी किंकर्तव्यविमूढ़ रह गये। चौधरी साहब की असलियत उजागर होने लगी तो उनसे कुछ बोलते ही नही बन रहा था। चौधरी साहब का प्रलाप चालू था...

"दो चार जगह नौकरी को मना हो जायेगा तो सारी हेकड़ी निकल जायेगी ...तुम समझ रहे हो ना....अभी 'पर' नही कतरे तो माँ बेटियों को सँभालना मुश्किल हो जायेगा। हमारी तो समाज में नाक कट जायेगी....."

अवाक् खड़े तिवारी जी सोच रहे थे....सच क्या है?? वो चंद घंटे पहले मुख्य अतिथि बने चौधरी साहब का जोरदार भाषण, जो उन्होंने महिला दिवस के उपलक्ष्य मे दिया था और जिस पर देर तक तालियां बजी थी....या यह सब ?? यानि वो झूठ था... पाखंड था.... और यह है कड़वी सच्चाई हमारे समाज की...अपनी राह चुनने वालों का मार्ग अवरुद्ध करना। उनका सहयोग करने के बजाय उन पर और बोझ लाद देना....हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और....

अपनी ही सोच मे उलझे तिवारी जी को चौधरी साहब ने टोका, "तिवारी....क्या सोच रहे हो भाई....समझे कि नहीं..."

"जी...चौधरी साहब...अब मैं सब समझ गया...." शांत एवं सधे स्वर मे तिवारी जी ने जबाब दिया।

"यह नौकरी हर हाल मे रजनी को ही मिलेगी...इसलिए नही कि वो बेचारी विधवा है, बल्कि इसलिए भी कि अब रजनी पर हमारे आने वाले कल को, अगली पीढ़ी को सुशिक्षित करने की जिम्मेदारी है...वो अपनी दोनों मासूम बच्चियों का भविष्य सुदृढ़ बनायेगी, तभी हमारा कल सुदृढ होगा। एक सही निर्णय पर हमारे समाज का उज्जवल भविष्य टिका है। अब मैं किसी असमंजस मे नही हूँ। रजनी को आत्मावलंम्बी बनाने की शुरुआत कर, मैं सही मायने मे नारी सम्मान दिवस का औचित्य सिद्ध करने जा रहा हूँ !!!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational