Mahima Bhatnagar

Drama Inspirational

3.3  

Mahima Bhatnagar

Drama Inspirational

"मुझे चाँद नही चाहिए"

"मुझे चाँद नही चाहिए"

1 min
404


"मुझे चाँद नहीं चाहिए"


"मां... मान जाओ ना,आप की सहमति से मुझे जाने में आसानी होगी .."


"बेकार की जिद करती है... तू क्यों नहीं मान जाती पगली... बहुत अच्छे लोग हैं। पढ़े लिखे,समझदार... चांद जैसा लड़का हैं, खूब खुश रखेगा। राज करेगी राज.. हाँ कर दे शादी के लिए बेटा, मेरा बोझ हल्का हो जायेगा।"


"बोझ हल्का हो जायेगा? जब मेरी अपनी मां मुझे बोझ समझती हो, तो उस घर के लोग क्या समझेंगे।"


"नहीं मेरा वो मतलब नहीं था ..." मां ने सफाई देनी चाही।


"मुझे राज नहीं करना माँ .. अपनी पहचान बनानी हैं। पढ़े लिखे लोग है तो शादी के बाद नौकरी के लिये क्यों मना कर रहे हैं...ये कैसी समझदारी है।"


"सुन तो ...." मां ने बात काटी।


"मुझे कोई और खुश कैसे रख सकता है मां,अगर मैं खुद ही अंदर से दुःखी हूँ तो।" मां के पास कोई जवाब नहीं था।


"मेरी पहली नौकरी है , मुझे खुशी से भेज दो मां। मुझे अपने लिए चांद नहीं चाहिए जिसकी चांदनी को अमावस्या खा जाये....मुझे तो खुद को सूरज बनाना है...समाज में फैला अंधेरा दूर करना है...चारों ओर अपनी रोशनी फैलानी है..."


सहमति मे सिर पर हाथ फेरती मां की नम आंखें चमक रही थी मानो उन्हीं की आँखों मे सूरज उतर आया हो!!!!



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama