बाल जिज्ञासा
बाल जिज्ञासा
आशू और यूषी दोनों भाइयों के बीच प्रगाढ़ प्रेम था। उम्र का अंतर भी दो ही साल का था, सो दोनों के क्रियाकलाप भी एक से ही थे।
"दादा दादा एक बात बताओ, फूलों में इतने सुंदर कलर कौन भरता है ?
इतनी प्यारी स्मेल कैसे आती है ?" यूषी का बालसुलभ मन बड़े भाई से जवाब चाहता था।
"अरे ये सब फूल, बादल, तितली तो भगवान जी बनाते हैं, तुम्हें इतना सा भी नहीं पता" बड़े भाई ने रोब जमाया।
"वो तो पता है लेकिन वो इन सब में कलर कब करते हैं, ये पता नहीं चलता" यूषी की परेशानी जायज थी।
"रात को, जब हम सो जाते हैं ना तब भगवान जी यह सब करने आते हैं। तभी तो सुबह होते ही सब उनकी पूजा करते हैं।" आशू ने ज्ञान बघारा।
"पर दादा स्कूल मे तो जीसस की प्रेयर होती है। भगवान जी और जीसस बिल्कुल एक से बादल कैसे बनाते होंगे। हम दोनों की ड्राईंग तो कभी एक जैसी नहीं होती।" जवाब पर एक सवाल तैयार था।
"अरे बुद्धूराम जैसे गुलाब को इंग्लिश मे रोज़ कहते हैं, वैसे ही भगवान को जीसस कहते हैं। सबके भगवान जी होते तो एक ही है बस नाम की लैग्वेंज अलग अलग होती है।" जवाब तो खूब सही दिया आशू ने।
"अच्छा जैसे मम्मा और माँ दोनों मम्मी के ही नाम है। ऐसे ही ना, भगवान जी के अलग अलग नाम होते हैं। अब मैं सब समझ गया। चलो दादा कार्टून देखते हैं"
एक नन्हे उस्ताद ने अपने नन्हें शार्गिद की सारी उलझनें सुलझा दी।