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Varsha Sharma

Drama

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Varsha Sharma

Drama

सोच

सोच

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नवम्बर की हल्की सर्दी है, गांव से सलीम अपनी बीवी को दिल्ली दिखाने लाया है। लेकिन गांव जाने वाली बस निकल गई। खाना पानी साथ लेकर चलते है। लेकिन अभी दोपहर हो गई, पानी खत्म हो गया। दोनों को प्यास लगी है, लेकिन आस पास कोई साधन नहीं है।


तभी रूही वहां आई और बोली दादाजी आप मेरा पानी ले लो, मेरा घर पास में है। अच्छा बेटा अल्लाह तुम्हें ख़ुश रखे। तभी वहां रूही की माँ आई और डांटने लगी, “बेटा अनजान लोगों से बातें करने के लिए तुम्हें मना किया हुआ है। अगर कुछ हो जाता तो? मेरी तो रूह काँप रही है सोचकर, ज्यादा दानवीर बनने की कोशिश मत करों इन लोगों का क्या भरोसा? ऎसे लोग ही बच्चों को बहला फुसला कर ले जाते है। चलो घर।”


बच्ची सोच रही है क्या पानी पिलाना गलत है? या मदद करना। और सलीम सोच रहा है कि कुछ लोगों की वजह से आज कोई मददगार भी नहीं बनना चाहता!


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