संघर्ष
संघर्ष
"बधाई हो स्वराजी ,अपने नाम के अनुरूप ही आपने संगीत के सातों स्वरों को साध लिया है।आपने बहुत ही बढ़िया ठुमरी गायी । "
"आज से पहले ऐसे आनंद की अनुभूति तुम्हारे दादाजी के कार्यक्रम में हुई थी । उनकी ठुमरी की स्वरलहरियाँ आज भी कानों में गुंजायमान है । "
"साक्षात सरस्वती का वास है आपके कंठ में । "
"संगीत के प्रति आपका जूनून काबिले तारीफ है । "
"बहुत ही किस्मत की धनी हैं आप । जिस कार्य में रूचि रही ;उसी में करियर बनाने का अवसर भी मिल गया । "
आज के संगीत कार्यक्रम के समाप्त होते ही प्रशंसकों ने स्वरा को घेर लिया था;वैसे भी आज शास्त्रीय गायन को सुनने और पसंद करने वाले लोग कितने ही बचे हैं ? राजे -रजवाड़ों के जमाने में कलाकारों और उनकी कला को संरक्षण मिलता था । अब तो उपभोक्तावाद के युग में जो बिकता है ;वही चलता है और जो दिखता है ,वही बिकता है । फ्यूज़न संगीत ने ही शास्त्रीय संगीत को बचाने के लिए कुछ ऑक्सीजन दी । खैर इस मुद्दे पर बहस करने से कोई लाभ नहीं कि फ्यूज़न ने शास्त्रीय संगीत को सँवारा या बिगाड़ा । लेकिन स्वरा ने तो अपना जीवन संगीत के प्रति समर्पित कर दिया था । उसने संगीत को ही अपना जीवनसाथी बना लिया था ;वाद्य यंत्र ही उसका परिवार था । संगीत उसके लिए मात्र आजीविका नहीं ज़िन्दगी था ;ज़िन्दगी । स्वरा ने अभी तक अपने आपको शास्त्रीय संगीत तक ही सीमित रखा था ।
शास्त्रीय संगीत को प्रशंसक तो मिल जाते हैं ;लेकिन पैसा नहीं मिलता । प्रायोजकों के लिए कार्यक्रम आयोजित करवाना ही कई बार बड़ा मुश्किल हो जाता है । ऐसे में गायकों के लिए तो अच्छा पारिश्रमिक मिलना दिवास्वप्न ही है । फिर भी स्वरा जैसे कुछ कलाकार अपनी संस्कृति ,परंपरा और धरोहर को सहेजे हुए हैं । पूंजीवाद द्वारा प्रोत्साहित बाज़ार केवल लाभ के लिए कार्य करता है ;इसीलिए ऐसे कलाकारों के लिए आजीविका चलाना ही मुश्किल हो जाता है । ऐसे में इन कलाकारों को संरक्षण और प्रोत्साहन केवल लोक कल्याणकारी सरकार ही दे सकती है ।स्वरा भी ऐसी ही एक कलाकार थी ;जो अनेक मुश्किलों का सामना करते हुए भी अपनी कला को जीवित रखे हुए थी ।
सभी प्रशंसकों से विदा लेकर स्वरा ने कार्यक्रम के आयोजकों का एक बार फिर से शुक्रिया अदा किया और उनसे रुखसत होने की इज़ाज़त माँगी । आयोजकों ने स्वरा के आने-जाने लिए एक टैक्सी का बंदोबस्त किया हुआ था । आयोजक स्वरा के साथ अपने एक व्यक्ति को भी भेज रहे थे ताकि स्वरा बिना किसी समस्या क अपने घर तक पहुँच सके । कलाकारों को सम्मानित करने के लिए इतना तो कर ही सकते हैं । लेकिन स्वरा ने विनम्रतापूर्वक किसी को भी अपने साथ भेजने से इंकार कर दिया था और अकेले ही टैक्सी की पीछे वाली सीट पर बैठ गयी ।
टैक्सी में 'तू थोड़ी देर और ठहर जा ' गाना चल रहा था । टैक्सी ड्राइवर ने स्वरा के गाड़ी में बैठते ही ,गाना बंद कर दिया ।
"क्या हुआ ?गाना क्यों बंद कर दिया ?"
"मैडम ,वो आपको यह सब गाने पसंद नहीं होंगे । ",ड्राइवर ने डरते हुए सचकुचाकर कहा ।
"मैं शास्त्रीय संगीत की गायिका हूँ ;लेकिन मुझे सभी तरह का संगीत सुनना पसंद है । ",स्वरा ने कहा ।
"जी मैडम । ",टैक्सी ड्राइवर ने गाना चला दिया था ।
"भैया ,आपको एड्रेस तो ठीक से समझ आ गया है न । "
"हाँ मैडम ;आपको लेकर भी तो आया था । एक बार अगर किसी जगह चला जाऊँ तो रास्ता कभी नहीं भूलता । "
"फिर ठीक है । ",स्वरा ने ऐसा कहकर अपनी आँखें बंद कर ली थी ।
कुछ दूर जाने के बाद टैक्सी एक झटके से रुक गयी । झटके के साथ ही स्वरा की आँखें खुल गयी थी ।
"क्या हुआ ?"
"मैडम पता नहीं ,देखता हूँ । ",ऐसा कहकर ड्राइवर गाड़ी से नीचे उतर गया था ।
ड्राइवर ने बाहर आकर गाड़ी का बोनट खोल लिया था । स्वरा कुछ देर तक गाड़ी में बैठी रही ,फिर वह भी बाहर आ गयी थी । सड़क पर लोगों की आवाज़ाही कम ही थी ;वैसे भी स्वरा का घर शहर के बाहरी इलाके में था । मौसम अच्छा था ;ठंडी -ठंडी हवा चल रही थी । शहर के कोलाहल और प्रदूषण से दूर ,चाँद तारे भीआसमान की खिड़की से बाहर झाँक रहे थे।स्वरा गाड़ी के आसपास ही चहलकदमी कर रही थी।
"मैडम ,माफ़ी चाहता हूँ ।पता नहीं एकदम से क्या हो गया ?"
"कोई बात नहीं । यह तो एक मशीन ही तो है ;कभी भी खराब हो सकती है । अभी क्या और टाइम लगेगा ?"
"समझ नहीं आ रहा कि क्या गड़बड़ हुई है ?"
"ठीक है । "
एक घंटे के बाद ड्राइवर स्वरा के पास आया और कहने लगा कि ,"मैडम ,लगता है किसी मैकेनिक को बुलाकर लाना
पड़ेगा । "
"उसमें तो बहुत समय लग जाएगा । ",स्वरा ने अब थोड़ा चिंतित होते हुए कहा ।
"सॉरी मैडम । आप जैसा कहें ,मैं वैसा ही करूँ । "
"ऐसा करते हैं मैं कोई ऑटो या टैक्सी लेकर घर तक चली जाती हूँ । ",स्वरा ने कुछ सेकंड सोचने के बाद कहा ।
"ठीक है मैडम । आपको हुई परेशानी के लिए माफ़ी चाहता हूँ । अभी आपके लिए कोई ऑटो या टैक्सी करता हूँ । ",टैक्सी ड्राइवर ने कहा ।
किस्मत से कुछ ही मिनटों में एक ऑटो दूर से आते हुए दिखाया । ड्राइवर ऑटो देखते ही ,हाथ हिला-हिला कर ऑटो को रोकने की कोशिश करने लगा।ऑटोचालक ने भी ड्राइवर को हाथ हिलाते हुए देख लिया था और अपना ऑटो रोक दिया।
ऑटो चालक पर नज़र पड़ते ही टैक्सी ड्राइवर थोड़ा निराश हो गयाऔर स्वरा की तरफ देखकर बोला कि ,"मैडम ,आप इस ऑटो में नहीं जाओगे न । अब दूसरे ऑटो के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा । "
"क्यों नहीं बैठूँगी ? ऑटोचालक कोई भी हो ;उससे कोई फर्क नहीं पड़ता । ",ऐसा कहकर स्वरा ऑटो की तरफ जाने लगी ।
"मैडम ,एक बार और सोच लें ?",ड्राइवर ने फि कहा ।
"आप को सुरक्षित घर पहुँचा दिया जाएगा । आप निश्चिंत रहें ।",अब तक टैक्सी ड्राइवर और स्वरा की असमंजस्ता को जानकर ऑटो चालक ने कहा ।
"अरे इनकी बात का बुरा मत मानियेगा । ",स्वरा ने ऑटोचालक से कहा ।
"कैसा बुरा मानना मैडम । यह तो रोज़ की ही बात हैं । जब से यह पेशा अपनाया है ;तब से ऐसा ही सुनाई देता आ रहा है ।आप ज्यादा वक़्त बर्बाद मत कीजिये । अगर मेरे साथ चलना है तो ऑटो में बैठ जाइये । ",ऑटो चालक ने कहा ।
"आप ज़रा भी चिंता मत करना । अपनी टैक्सी ठीक करवा लेना । आयोजकों को मैं सूचित कर दूँगी । ",स्वरा ने ऑटो में बैठने से पहले कहा ।
"चलिए । ",स्वरा ने ऑटोचालक से कहा ।
"मैडम ,आप बिलकुल मत डरिये । मैं अपने ऑटो में सारा इंतज़ाम करके चलती हूँ ।आप ज़रा अपनी सीट के नीचे देखिये । ",ऑटो चालक ने स्वरा को आश्वस्त करने के लिए कहा ।
स्वरा ने सीट के नीचे देखा तो उसे लोहे के सरिये और हॉकी स्टिक नज़र आयी ।
"लगता है ,आपने टैक्सी ड्राइवर की बात को बहुत गंभीरता से ले लिया । खैर आपकी कोई गलती नहीं ;हमारे समाज की सोच ही ऐसी है । ऑटो चालक के रूप में किसी महिला को देखना ;समाज के लिए स्वीकारना बड़ा मुश्किल है । वैसे मुझे आपके साथ डर नहीं लग रहा है और आपके सुरक्षा के इंतज़ाम देखकर तो जो थोड़ा बहुत संशय था ;वह भी समाप्त हो गया है । ",स्वरा ने मुस्कुराकर कहा ।
"क्या करें मैडम ? जब से ऑटो चला रही हूँ ;तब से ही इस प्रकार की बातें सुन रही हूँ । शुरू -शुरू में तो लोग मेरे ऑटो में बैठना ही नहीं चाहते थे । ",ऑटो चालक ने कहा ।
"मेरा नाम स्वरा है ;आपका नाम क्या है ?"
"मैडम ,मेरा नाम रागिनी है । "
"रागिनी जी ;वाह क्या संयोग है ?मैं स्वरा और आप रागिनी । आप मुझे मैडम मत कहिये । ",स्वरा और रागिनी की बातें भी ऑटो के साथ -साथ चल रही थीं ।
"स्वरा जी ,कई बार तो सोचा कि ऑटो चलाना छोड़ दूँ । लेकिन अपने परिवार को पालने के लिए मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं था । पति ऑटो चलाते थे ;एक दिन सड़क पार करते हुए उन्हें एक बस ने टक्कर मार दी ;कुछ दिन अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत के मध्य झूलते रहे और एक दिन मौत ने ज़िन्दगी को हरा ही दिया । "
"ओह्ह ;फिर ?"
"वह तो किस्मत अच्छी थी ;पति ज़िंदा थे तब ही उनसे ज़िद करके ऑटो चलाना सीख लिया था ।उस समय कहाँ सोचा था कि एक दिन ज़िंदगी की गाड़ी चलाने के लिए मुझे ऑटो चलाना पड़ेगा ।वैसे भी हम इंसान जैसा सोचते हैं ;सब कुछ वैसा कहाँ होता है ?",ऑटो चालक ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा ।
"बड़ा संघर्षपूर्ण जीवन रहा है आपका ,रागिनीजी । "
"मैडम ,सॉरी स्वराजी ;लेकिन कुंदन बनने के लिए सोने को तपना ही पड़ता है । यही सोचकर हमेशा आने वाली समस्याओं का हँसकर सामना करती रही हूँ । "
"सत्यवचन रागिनी जी ,समस्या को चाहे हँसकर झेलो या रोकर ;झेलना तो पड़ेगा ही । हँसकर झेलना ही बेहतर है । "
"स्वराजी ,हम सही रास्ते पर चल रहे हैं न ?"
"हाँ -हाँ ,आपको तो रास्ता अच्छे से पता है । "
"वर्षों का अनुभव है । फिर पुरुषों के आधिपत्य वाले प्रोफेशन में हर रोज़ अपने आपको साबित करना पड़ता है ।शुरू-शुरू में तो ग्राहक जैसे ही मुझे देखते ;मेरे ऑटो में बैठने से इंकार कर देते थे । ससुराल वाले भी मेरे ऑटो चलाने के विरुद्ध थे ।"
"सही कहा रागिनी जी ;हम स्त्रियों को समाज ,परिवार और न जाने कितनी ही बेड़ियों को तोड़ना पड़ता है । न जाने कितनी ही बंदिशें हम पर सिर्फ यह कहकर लगा दी जाती है कि तुम लड़की हो । "
"स्वराजी ;परिवार ने बिलकुल सहयोग नहीं किया । दिन में बच्चों को देखने वाला कोई नहीं था ;इसीलिए बच्चों को सोता छोड़कर तड़के ही ऑटो चलाने जाती थी । ससुरालवालों को कई बार कहा भी कि समाज हमें रोटी नहीं दे रहा ;अपनी रोटी कमाने के लिए कुछ गलत नहीं कर रही ;समाज की परवाह मत करो । "
"रागिनी जी यह तो हर लड़की का दर्द है । "
"धीरे-धीरे मेरे कुछ स्थायी ग्राहक बनने लगे ;उनमें अधिकतर महिलाएं हैं । वे वक्त -बेवक़्त मुझे कॉल कर लेते हैं और मैं हमेशा उन्हें उनके गंतव्य तक पहुँचाती हूँ । अब तो ससुराल वालों ने भी मुझे अपने इस प्रोफेशन के साथ स्वीकार कर लिया है । "रागिनी ने ख़ुशी के साथ कहा ।
"आगे से बायें ले लेना । ",स्वरा ने कहा ।
"अपनी कहानी सुनाते -सुनाते मैं तो आपके बारे में पूछना ही भूल गयी । आप क्या करती हैं स्वराजी ?",रागिनी ने पूछा ।
"कुछ ख़ास नहीं । गाना गाती हूँ । यहीं रोक दीजिये । मेरा घर आ गया । ",स्वरा ने कहा ।
"यह तो मशहूर संगीत घराने का घर है । एक -दो बार इस घर पर कुछ लोगों को छोड़ा है और उनकी बातों से ही मुझे पता चला था कि यह किसी मशहूर संगीत घराने का घर है । ",रागिनी ने कहा ।
"कितने रूपये हुए ?",स्वरा ने मुस्कुराकर पूछा ।
"450 /-",रागिनी ने जवाब दिया ।
स्वरा ने 500 का नोट रागिनी को दिया । रागिनी ने स्वरा को 50 /- लौटाकर कदम ऑटो की तरफ बढ़ा दिए थे और स्वरा ने कदम अपने घर के मुख्य द्वार की तरफ । तब ही रागिनी कुछ याद करते हुए एकदम से लौटकर आयी और जाती हुई स्वरा को आवाज़ दी ,"स्वरा जी ...."
"क्या हुआ ?",स्वरा ने पलटकर रागिनी की तरफ प्रश्नवाचक नज़रों से देखते हुए पूछा ।
"लेकिन इस घराने में तो लड़कियों को संगीत की शिक्षा नहीं दी जाती । "
"सही सुना है आपने । मैं पहली लड़की हूँ ;जिसने संगीत की शिक्षा हासिल की है । "
"ऐसा क्यों ?"
"हमारा घराना अपनी विरासत किसी और को नहीं देना चाहता । उनका मानना है कि लड़की तो पराये घर की अमानत है ;अगर लड़की को संगीत की शिक्षा दी तो जिस परिवार में इसका विवाह होगा ;हमारा संगीत उस परिवार को मिला जाएगा और फिर इस पर हमारा एकाधिकार नहीं रहेगा । ",स्वरा ने सधे हुए शब्दों में कहा ।
"फिर आपको कैसे ?"
"मैंने प्रतिज्ञा ली कि मैं कभी विवाह नहीं करूँगी । मुझे बहुत मिन्नतों के बाद ही संगीत सीखने की अनुमति मिली । ",स्वरा ने मुस्कुराकर कहा ।
"आपके संघर्ष को सलाम । ",रागिनी ने कहा ।
"हम दोनों के संघर्ष को सलाम । ",स्वरा ने मुस्कुराकर कहा ।
