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संध्या आरती

संध्या आरती

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एक नव युवक जो अपने एक रिश्तेदार की जीवन शैली को देख कर सन्यास के सही अर्थ को समझ जाता है। उनसे प्रभावि़त हो कर वह झूठे सन्यासी के प्रभाव से बाहर आ जाता है। यह कहानी बताती है कि समाज में सामान्य जीवन जीते हुए भी सन्यासी रहा जा सकता है।


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