Twinckle Adwani

Crime

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Twinckle Adwani

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समोसे

समोसे

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घर से निकलते ही दो चौराहे आते हैं एक गायत्री मंदिर का जहां फूलों की खुशबू बड़ी अच्छी आती है खासकर मोगरे और गुलाब की जो मुझे बहुत पसंद है राइट मुड़ते ही सीएमडी चौक जहां हमेशा मुझे लाल सिग्नल मिलता है - कोई गाड़ी आकर ठोकर ना मार दे - इसलिए मैं काफी दूर ही अपनी कार खड़ी कर देती हूं जहां पास के होटल से समोसे की आती हुई खुशबू आकर्षण का केंद्र रहती है इस चौराहे से अक्सर आते जाते समोसे तलते हुए दिखते हैं लगता है आज खा लूं मगर दूसरे ही पल कैलोरी बढ़ जाएगी सोच कर रुक जाती हूं सोचा आने वाले संडे में पक्का खाऊंगी मगर मुझे क्या पता था लॉक डाउन लग जाएगा 


             देश में लगे इसे पहले लाॅकडाउन से दुनिया ही बदल गई और जब पहला लाॅकडाउन खत्म हुआ तब तक तो कोई ज्यादा केस नहीं थे मगर बिलासपुर में लाॅकडाउन खुलने के बाद मरीज अचानक से बढ़ने लगे 


खैर....

अब उसी सड़क से आती मगर मंदिर के पास फूलों की खुशबू पहले जैसी नहीं थी ना ही मंदिरों में भीड़ - कुछ आगे बढ़ते ही समोसे की दुकान तो थी पर पहले जैसी भीड़ नहीं लगीआज तो खरीद लूँ , ज्यादा वर्कआउट कर लूंगी आखिर मैंने समोसे खरीद लिए फिर आगे निकल गई अपने काम से सोचा घर जाकर खा लूंगी फिर से चौक में गाड़ी रुकी कुछ बच्चे सिग्नल पर गुब्बारे बेच रहे थे गाड़ी का कांच खटका कर एक बच्चे ने कहा बहुत भूख लगी है गुब्बारे ले लो मेरे पास चिल्लर नहीं थी तो उसे वह गरम समोसे दे दिए गाड़ी में पड़ा मास्क जिस पर हमारी सामाजिक संस्था सेवा एक नई पहल का लोगों लगा था वह भी दिया वह खुश हो गया मगर उसके ओठ.... ओह !


 2 दिन बाद खबर छपी समोसे के कारण कइयों को हुआ कोरोना पूरी खबर पढ़ने की हिम्मत मुझ में नहीं थी कहीं उस बच्चे को तो नहीं हों गया, मुझे बड़ा दुख था कि वह समोसे तो नहीं थे। नही...नही..... 


         मुझे कर्मों पर आधारित कई कहानियां याद आने लगी खासकर वह दृश्य जिसमें भीष्म पितामह कांटों कि शैय्या पर थे और श्री कृष्ण से पूछते हैं मेरा ऐसा कौन सा कर्म है जिसकी वजह से मैं यहां हूं तो श्रीकृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं आपको अपने पिछले कर्म याद है तो वह कहते हैं मुझे 100 जनों के कर्म याद है और फिर श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं 101 जन्म में आपने जब शिकार पर निकले थे अब शिकार खेल कर वापस आ रहे थे आप के घोड़े के अग्र भाग में करकैटा नीचे गिरा आपने तीर से उठाकर उसे पीछे फेंक दिया वह कांटेदार झाड़ी में पीठ के बल जा गिरा बेजुबान 18 दिन तक जीवित रहा और बहुत तड़पता रहा उसने ईश्वर से प्रार्थना कि जिस तरह मैं तड़प रहा हूं उसी तरह यह राजन भी तड़प तड़प के मरे उसका श्राप आपको लग गया 


        बचपन में कर्मों पर न जाने कितनी कहानियां सुनी थी मुझे एक-एक करके सब याद आने लगी मुझे तलाश थी उस बच्चे की 

कुछ दिनों बाद सिंगल में मेरी गाड़ी रुकी कुछ बच्चे आते जाते दिखे मगर वह नहीं था वह 14-15 साल का रहा होगा गाड़ियों के हॉर्न बजने लगे मैं निकल गई कुछ दिनों बाद सड़क निर्माण की वजह से मैंने दूसरी तरफ से जाना शुरू किया वहां अक्सर नारियल पानी के ठेले लगे रहते थे नारियल पानी वाला मुझे वैसे ही लगा मगर मास्क की वजह से मैं कंफर्म नहीं थी।

 फोन में किसी से बात करते-करते नारियल काट रहा था, मैं अपने बच्चे को नारियल पानी पिला रही थी मैंने सोचा आज मौका मिला है बात कर लूंगी मगर स्वयं की लापरवाही के कारण नारियल काटते काटते उसके हाथ में लग गया शायद उंगली कट गई आसपास के लोग तुरंत उसे अस्पताल ले गए कुछ दिनों तक वह बच्चा मुझे नहीं दिखा


बात को कई दिन हो गए सड़क बन चुकी थी मेरी गाड़ी समोसे वाले के पास ही रुकती मगर अब मन नहीं करता समोसे खाने का, मुझे अब भी उस बच्चे की तलाश थीकुछ दिनों बाद हमारी सामाजिक संस्था सेवा एक नई पहल की तरफ से निशुल्क सर्जरी का शिविर लगा जिसमें कटे फटे होठों का इलाज होना था वहां पहुंचते ही अपने काम में लगी हुई थी मुझे रजिस्ट्रेशन व अन्य काम देखने थे

कई आस-पास के गांव व शहरों के लोग आए थे जिनके बच्चों के होंठ कटे फटे थे जिसकी सर्जरी होनी थी मुझे वह बच्चा फिर से दिखा, हाथ में पट्टी बंधी थी अब मेरे मन में विश्वास हो गया कि वही बच्चा है जो नारियल पानी बेच रहा था और जिसे मैंने समोसे दिए थे ।


  उसके पास जाकर मैं देखना चाह रही थी पर शाम तक काम में व्यस्त रही और जैसे ही मुझे ध्यान आया वह बच्चा मुझे नहीं दिखा कैंप खत्म हो चुका था और पर मेरी तलाश नहीं

        यह कैम्प शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्र में था जहां काफी संख्या में लोग आए हुए थे मैंने वहां के सरपंच से उस बच्चे के बारे में जानना चाहा उसने बातों ही बातों में बताया कि यहां पर नए आए हैं । सरपंच ने बताया कि लॉकडाउन के बाद स्थिति खराब है कुछ लोगों को नौकरी देने की बात के लिए उसे कहीं का बार-बार फोन आता रहा उन्हें नौकरी दिला दीजिए  

          मैंने उस सड़क पर एक पोस्टर पड़ा देखा जिसमें कुछ वोटरों की जरूरत थी और फोन नंबर दिया गया था मैंने उसका व्हाट्सएप पर फोटो खींचकर सरपंच को भेज दिया यह शायद कुछ आसपास के होटलों के नंबर थे।

        जहां के काम करने वाले गांव जा चुके थे उन्हें वेटर की जरूरत है इसमें वह समोसे वाला भी शामिल था कुछ दिनों बाद मैंने उसी समोसे वाले के यहाँ उस बच्चे को काम करते देखा, मुझे कभी उस बच्चे से बात करने का मौका नहीं मिला एक शाम में वहां से हम वॉक करते हुए जा रहे थे, भीड़ कम होने की वजह से वह बाहर ही खड़ा था, मैंने उसे बुला लिया और पूछना चाहा क्या तुम वही बच्चे हो जो सिग्नल पर थे मगर तुम्हारे पिताजी कहते हैं तुम कभी गांव से बाहर ही नहीं गए हो, वह मुझे बहुत कुछ बताना चाहता था मैंने पूछा क्या वह तुम्हारे पिता है और उसने कहा नहीं, मुझे कुछ बताता उसके पहले ही मालिक ने उसे आवाज़ दी

         अब मैं सोच रही थी जब मैं सरपंच से बात कर रही थी तो उस बच्चे के पिता मुझे शक की नजरों से देख रहे थे मानो उन्हें कुछ खटक रहा हो अब मुझे कुछ कुछ समझ में आने लगा इस सिग्नल पर खड़े बच्चे....।


        मेरे दिमाग में एक ही बात थी हुमन ट्रैकिंग का मामला तो नहीं क्योंकि लॉकडाउन के पूर्व कई बच्चों के अपहरण की खबरें थी अब मेरे मन में कई प्रश्न आने लगे कुछ पत्रकार मित्रों को बता कर सच्चाई तक पहुंचना चाहती थी मगर कैसे करूं.......

           कुछ दिनों बाद सिगनल पर कुछ बच्चे सामान बेचते देखें उसमें दो बच्चों के ओठ वैसे ही कटे थे, फुले फुले से मैं सोच रही थी एक ही तरह से कैसे कट सकते हैं कहीं कुछ गड़बड़ है, मगर उन बच्चों पर हर वक्त कोई न कोई नजर रखा रहता फिर कुछ दोस्तों की मदद से शहर के हर चौराहे पर घूम रहे बच्चों पर नजर रखनी शुरू कर दी, उनके ज्यादातर बच्चों के ओठ कटे थे अब सुराग मिल चुका था मगर मैं मुख्य आरोपी तक पहुंचना चाहती थी।  

        मेरी रातों की नींद उड़ गई थी कैंप के बाद कई बार मुझे लगता कोई मेरा पीछा कर रहा है कभी-कभी घर के आसपास कुछ अजनबी चेहरे दिखते बालकनी में खड़ी होती तो वह घुरते मानो धमकी दे रहे हो, कई बार कोई डोर बेल बजाता मैं जब नीचे जाती तो कोई नहीं रहता आसपास आधी रात को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती।

        मैं सोच रही थी अगर लड़कों को डराने के लिए ओठ काटे जाते हैं या उन्हें जला दिया जाता है तो लड़कियों के साथ ...क्या करते होंगे .....

      कई तरह की बातें मन में आ रही थी फिर भी मैं बिना डरे तह तक जाना चाहती थी। अब यह किस्सा स्टिंग ऑपरेशन का रूप ले चुका था बहुत मुश्किल से सही हम मुख्य आरोपी तक पहुंच ही गए और फिर पता चला 20 बच्चों को किडनैप किया गया था जिसमें ज्यादातर लड़कियां थी मगर लॉक डाउन की वजह से उन्हें दिल्ली तक नहीं पहुंचा सके और लाॅक डाउन खुला मगर ट्रेनें नहीं चली जिसके कारण उन बच्चियों को बिलासपुर के आस-पास के गांव में छुपाया गया।

         इन बच्चों में जो कुछ एक बड़े होते थे उन्हें छोटों कि निगरानी करने हेतु अपनी सुविधा के हिसाब से रखते थे बाकी को बाहर भेज दिया जाता 

       उस बच्चे को भी उन्होंने अपनी सुविधा के लिए रखा था क्योंकि वह कई तरह के काम करने लगा था।

बच्चे बस्तर, जशपुर, रायगढ़ के थे ज्यादातर बच्चों को बहला-फुसलाकर लाया गया था कुछ को नौकरी की आदि की लालच देकर। 

इन बच्चों को घरेलू कामों में व देह व्यापार के लिए किडनैप किया जाता था या लालच दिया जाता था।

       बड़ी मुश्किल से उन बेगुनाहों को उनके घर तक पहुंचाया गया, अब हम अपनी संस्था द्वारा गांव गांव जाकर जागरूकता का काम करते हैं, साथ ही उन्हें छोटे-मोटे रोजगार देने के लिए प्रयास करते हैं वह कुछ ऐसा काम सिखाते हैं जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो। बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास करते हैं ताकि वह किसी की बातों मैं न फंसे। 

        इस काम की सफलता के बाद हमारी संस्था की तरफ से एक पार्टी रखी गई उन्हीं फूलों की खुशबू और गरम समोसे के साथ 



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