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Vimla Jain

Tragedy Action

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Vimla Jain

Tragedy Action

समझदारी से सुलझाई उलझन

समझदारी से सुलझाई उलझन

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रीमा बरामदे में बैठी हुई मजे से वातावरण का आनंद लेते हुए चाय के साथ और पेपर पढ़ रही थी। और बहुत खुश थी जिंदगी के 65 साल उतार-चढ़ाव के साथ मगर घर वालों के समझदारी भरे सहयोग के साथ अच्छी तरह से प्रसार हो गए थे। जीवन संध्या में वह इस उम्र का भी आनंद उठा रही थी। अपने मनपसंद पेंटिंग्स करती रहती थी।

 और अपने अतीत में खोई थी कि अचानक फोन की घंटी बजती है।

 वे सोचती है

इतनी सुबह सुबह किसका फोन आ गया ।

फोन उठाकर देखती हैं तो उनके दामाद का फोन होता है ।

दामाद बोलता है मम्मी मैंने आपको आज जानबूझकर सुबह जब आप अकेली हो तब फोन करा है।

 मैं आपको कुछ कहना चाहता हूं और उसका हल बताइए।

 रीमा ने बोला हां बेटा बोलो ना क्या बात है।

 दामाद 

आप मेरी बात को गलत ना लें रीमा बोलती है तुम निःसंकोच कहो क्या बात है।

वह बोलता है इधर बहुत दिनों से आपकी बेटी रेनू का स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा हो गया है।

 वह पहले ऐसी नहीं थी बहुत हंसमुख थी। 

 यह तो आप भी जानते हैं सबके साथ बहुत घुल मिल कर रहती थी।

मगर अबकी जब से जिसका जन्मदिन गया है 45 साल कंप्लीट करें हैं ।तब से रोज ही किसी न किसी बात पर चिढ़ती रहती हैं।

 और कुछ कहो तो रोने लगती हैं।

 थक कर बैठ जाती है काम भी नहीं होता है।

ज्यादा फिर भी बहुत काम करती रहती है निस्तेज होती जा रही है 

 बहुत कमजोर कमजोर भी लग रही है डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने दवाइयां दे दी मगर दवाई से क्या होता है चिड़चिड़ाना तो कम नहीं हुआ है।

 मुझे समझ में नहीं आता मैं क्या करूं ।

आप ही कुछ रास्ता बताइए नहीं तो थोड़े दिन में आपके पास छोड़कर जाता

हूं

शायद उसके स्वभाव में परिवर्तन आ जाए।

 आपके साथ में आने से उसका मन बहल जाए।

 रीमा एकदम चिंता में आ गई। 

क्योंकि दामाद हमेशा बेटी का बहुत ध्यान रखता था। दोनों में बहुत प्यार था बच्चे भी बड़े हो गए थे सब अपने-अपने पढ़ाई में लग गए थे। 

तो जो रेनू पहले घर और बच्चों के अंदर व्यस्त रहती थी अब एकदम खाली हो गई उसके पास समय ही समय और है।

उसके दामाद को टाइम कम मिलता है तो वह घर में भी लेट आते हैं ।

अकेली पड़ी रेनू बहुत ही कमजोर और चिड़चिड़ी होती जा रही थी।

रीमा ने बोला बेटा तुम थोड़ी देर बाद फोन करोगे जब तुम्हारे आसपास कोई नहीं हो तब बात करते हैं।

 तब तक मैं भी कुछ सोचती हूं और तुमको बताती हूं क्या करना है।

दामाद बोलता है मैं ऑफिस जाते हुए आपसे बात करता हूं।

अब रीमा काफी सोच में पड़ जाती है।

 तभी उसे ध्यान आता है कि वह जब 45, 46 साल की थी, तब उसकी भी ऐसी परिस्थिति हो गई थी।

 बच्चे सब अपने-अपने जॉब में लग गए थे शादी हो गई थी,

 और वह बहुत चिड़चिड़ी हो गई थी‌

 तब उसके डॉक्टर पति ने जिनको बिल्कुल टाइम नहीं मिलता था ।

तब उसका किस तरह से ध्यान रखा गया उसको याद आया।

जो रात को 10:00 बजे आते थे वह शाम को 6:00 बजे आने लगे।

 और कभी उससे मनपसंद खाना बनवाते । कभी लॉन्ग ड्राइव पर जाते कभी होटल में जाते

कभी लंबी खाने की लिस्ट दे देते।

 सुबह रोज मॉर्निंग वॉक पर ले जाते कभी होटल में खाना खाने ले जाते

 रोज उसके साथ नियमित कसरत और समय व्यतीत करते।

 दूध फल खुद को अच्छा नहीं लगता था तो भी उसको पिलाने के लिए खुद भी पीते‌

 और सुबह शाम घूमने जाना एकदम खुशनुमा लाइफ जीने लगे।

 और उसका चिड़चिड़ाना एकदम गायब हो गया वह अपने आप को बहुत स्वस्थ महसूस करने लगी। और खुश महसूस करने लगी। उन्होंने उसके मनपसंद काम भी चालू करवाएं उसको पेंटिंग पसंद थी तो उसके लिए पेंटिंग का सामान लेकर आए तो वह अपना मनपसंद काम भी करने लगी।

 और अब तो उसके पास दिन भर खाली रहने के लिए टाइम ही नहीं था।

 और समय बहुत अच्छे से प्रसार हो रहा था।

 ऐसे में 1 दिन उसके पति बोले मेरे दोस्त आ रहे हैं आज खाना बनाओ और लंबी लिस्ट दे दी जब शाम को वह खाना बना कर तैयार होने जा रही थी,

 तब उसने सुना उसके पति अपने दोस्त और उनकी पत्नी से बात कर रहे थे कि मैंने जैसा आपने कहा वैसा ही करा।

 दवाईयां नहीं दी जो आपने दी थी ।

मगर मेरे को भी याद आया कि मेरी मां के साथ भी ऐसा ही हुआ था मीनोपॉज स्टेज में।

 अक्सर लड़कियों में चिड़चिड़ापन खालीपन और एक असुरक्षा की भावना आ जाती है। हार्मोनल चेंज होता है।

 इस बारे में मैंने मेरी मां से बात भी करी थी तब उन्होंने कहा था अगर हम अपने आप को व्यस्त रखें।

 खुश रहे थोड़ा अच्छा खानपान और दूध नियमित कसरत थोड़ा करें तो यह समस्या कम आती है ।

मैंने वही समस्या अपनी पत्नी में देखी और उसके साथ में वही व्यवहार किया अब मैं अपना ज्यादा समय उसके साथ में व्यतीत करता हूं ।

मेरा पहला पेशेंट वही है। बाहर से उसने सुना उसकी आंखों में पानी आ गया। यह सोचने लगी कि मेरे पति मेरे को कितना प्यार करते हैं।

और मेरी कितनी केयर करते हैं।

 सोचते सोचते उसको अपने दामाद को समझाने का तरीका मिल गया।

दामाद का फोन आया तब उन्होंने बोला यह मीनोपॉज स्टेज है इसमें ऐसा हो जाता है।

 और उन्होंने उसको खुद की दिनचर्या बदलने के लिए बोला और रेणुका ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखने के लिए बोला और बोला तुम थोड़े दिन मेरे यहां आ जाओ तुम भी छुट्टी ले लो या कहीं घूमने चले जाओ। उसका भी मन बहल जाएगा। और उसको उसके मनपसंद काम की तरफ जो वह करना चाहती है वह करने दो तो अच्छा लगेगा और उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखो ।

उसका दामाद बोलता है हां मम्मी मैं यह बात को ध्यान रखूंगा और बहुत खुश होता है ।

एक महीने बाद दोनों जने रीमा से मिलने आते हैं।

 रेनू तो आकर मां से लिपट जाती है।

 और उनको बोलती है थैंक्यू मम्मी आपने इनको इतना अच्छा समझाया।

 मेरे को भी समझ में आया और मेरी जिंदगी बहुत अच्छे से चल रही है।

 मैं बहुत खुश हूं कि मुझे आपके जैसे समझदार मम्मी मिली। रीमा अपनी सास को अपने पति की समझदारी सास की समझदारी को याद करते हुए बेटी को गले लगा लेती है। 

और बोलती है यह बात याद रखना अपने स्वास्थ्य का खुद ध्यान रखो उसके प्रति जागरूक बनो रोज कसरत करो और लोगों को भी समझाना कोई भी परेशानी में हो तो उसे समझाना।



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