सलाह
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"हे भगवान ! कोई किसी को कैसे कोई समझाये..."
रोनू दुकान का गेटकीपर आज की घटना पर अचानक ही बोल पड़ा.उसके दुकान के सामने एक भिखारी जो नियमित रूप से कनाटप्लेस में अपनी तयशुदा जगह पर बैठ,यूँ कहें, अपना आसन जमा पूरे दिन भीख मांगता.अब तो उस फुटपाथ पर गुजरने वाले कई लोगों से उसकी पहचान भी हो गई .उस फुटपाथ पर खोमचे/रेहड़ी लगाने वाले कुछ दोस्त भी बन गए .राहगीरों में कुछ लोग ऐसे भी थे जो धर्म के नाम पर चैरिटी करते,वैसे लोगों के परमानेंट लिस्ट में इस भिखारी का नाम भी आ चुका था.मानो भिखारी ना हुआ नौकरी पेशा व्यक्ति बन गया जो अपनी शग़ल के लिए वहां स्थाई तौर पर बना रहता. जहां यह भिखारी बैठा करता, कुछ दिन हुए ,वहां एक इमारत की नींव डाली गई.ढेरों मज़दूर वहां मजदूरी कर रहे होते.उसमें एक दोनो हाथो से अपंग मजदूर को इसने ईंटा ढोते देखा.भिखारी उसे पास बुलाकर कहने लगा...भाई ये सब तुम क्यों कर रहे हो...और इससे तुम्हें कितना मिलने वाला है...उस अपंग व्यक्ति ने कहा ...यह मुझे आत्म संतुष्टि देती है कि मैं अपने लिए किसी पर आश्रित नहीं...पर तुम बताओ कि मजदूरी तो तुम भी कर सकते हो....इज़्ज़त की दो जून रोटी खाने का आनन्द ही कुछ और है...और तुम तो मेरी तरह अपंग भी नहीं... तो फिर भीख ही क्यों...
भिखारी ने कहा...देख भाई ये तेरी सोच है,मेरी सोच ये कहती है कि मैं बेशक मांगता हूँ और वो जो दे जाते हैं उससे परिवार भी चला लेता हूँ और संतुष्ट भी हूँ. भीख ही तो मांगता हूँ ...कभी किसी की जेब तो नहीं काटी,डाका तो नहीं डाला....
तभी कहीं पास से किसी के रेडियो से समाचार की आवाज़ आई..."पहले ऋषि माल्या और अब गौरव मोदी बैंक का करोड़ों रुपये चपत कर विदेश को रफूचक्कर...."