सियाना बचपन

सियाना बचपन

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अफ़साना ने जोर से अब्बू से चिल्ला के कहा -"मैं ज़ुबैर से ही निक़ाह पढ़ूंगी। अब्बू दंग रह गए, पूरे घर में सन्नाटा छा गया। आज तक किसी ने अब्बु से ऊँची आवाज़ में बात नहीं की थी चिल्लाना तो दूर की बात है। पूरे घर में सन्नाटा था। अफ़साना की माँ कुछ कहती इसके पहले अब्बु बाहर चले गए। 16 साल की अफ़साना को 15 साल बड़े ज़ुबैर से मोहब्बत थी।

कोई इस इश्क़ को समझ नहीं पा रहा था। ज़ुबैर एक दुकान में काम करता था, मकान यहाँ नहीं था, किराएदार बनके अफ़साना के घर के बगल में रहने लगा था।

अब्बू को अब अफ़साना से डर लगने लगा था, जैसा हर पिता करता है, कहीं बेटी कोई कदम न उठा ले कहीं बेटी को कुछ हो न जाए। अफ़साना की अम्मी ज़ैरा भी डरी सहमी रहती थी।

बड़ा भाई ज़ैन अब गाँव में नहीं रहता था। माँ ने छुपके ज़ैन को सब बताया। होली पे ज़ैन घर आया हुआ था, उसके कुछ दोस्त घर पे मिलने आये थे।

अब्बू परेशान थे शायद अब कोई और नया डर सता रहा था।

ज़ैन को देखने लड़कीवाले आये थे। रिश्ता पक्का हो गया। शादी ईद के बाद थी। अफ़साना को अब और क्रोध आने लगा था।

"अम्मी मैं लड़की हूँ, मेरा निक़ाह पढ़वा दो पहले भाईजान का बाद में भी कर सकती हो।" अफ़साना ने गुस्से में ज़ैरा से कहा।

"बेटा ज़ुबैर बहुत बड़ा है, तुम दोनों में उम्र का फ़ासला बहुत है और कमाता भी तो नहीं वो तुम्हारे अब्बु की दुकान में नौकरी करता है लोग क्या कहेंगे।" ज़ैरा ने कहा।

कुछ दिन बाद

ईद का दिन था, ज़ैन के ससुराल वाले ज़ैन के लिए मिठाई, सेवईं कपड़े लेके आये थे। सभी के लिए कपड़े आये थे। घर में चहल पहल थी कि अचानक ज़ुबैर के घर से फोन आया।

अफ़साना के अब्बू ने फ़ोन उठाया। थोड़ी ही देर में कुछ लोग आए, ज़ुबैर के चाचा और भाई थे। भाईजान आपसे कुछ खास बात करने आये हैं हम लोग।

हां कहो इरशाद,अब्बू ने इत्मीनान से कहा।

"ज़ुबैर का निकाह तय कर दिया है आगरा, सर्दियों में तारीख है, आपके घर से ज़ुबैर के ससुराल में कोई बार बार फ़ोन कर रहा है।" शायद आपकी लड़की अफ़साना की आवाज़ है।

"ये कैसी बातें कर रहे ?",ज़ैन ने गुस्से में आके कहा।

"सच बोल रहे हैं हम ज़ैन मियां, संभालिये अपनी बहन को "ये तो आग लगा के रखेगी किसी के घर में।

कुछ दिन बाद

ज़ुबैर का निकाह हुए एक साल से ऊपर हो चुका था। ज़ैन का निकाह भी हो चुका था वो अपनी पत्नी के साथ बाहर शहर में रहता था। अफ़साना के लिए अब अब्बु लड़का देख रहे थे।

"अम्मी तुझको तो पता है ना कि मुझे निक़ाह नहीं करना फिर क्यों पीछे पड़ी हो।" अफ़साना गुस्साए हुए बोली।

"याद है तुझे तूने 2 साल पहले कहा था कि ज़ैन का निक़ाह न करो मेरा कर दो अब तू क्यों नहीं करना चाहती है निक़ाह"ज़ैरा ने पूछा।

अफ़साना अब पढ़ना चाहती थी। वो शहर जाना चाहती थी।

अब्बु नहीं मान रहे थे लेकिन जब अम्मी ने समझाया वो तैयार हो गए। अफ़साना आगरा पढ़ने चली गई।

सब कुछ अब ठीक हो गया था। ज़ैन, ज़ैरा, अब्बु और अफ़साना सब अपनी अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगे थे लेकिन दुनिया गोल है सब कुछ एक समान नहीं होता।

शहर- आगरा

आज ताजमहल देखकर लौट रही थी अफ़साना, थक कर एक जगह बैठी चाय पीने लगी कि अचानक से एक चेहरा आँखों से टकरा गया।

"ज़ुबैर "दिल से आवाज़ आयी। ज़ुबैर नज़दीक आया।

"तुम यहाँ कैसे अफ़साना ?" ज़ुबैर चौंक के पूछने लगा।

"पढ़ने आयी हूँ यहाँ आप तो भूल के आधे रास्ते छोड़ गए थे तो ज़िंदगी को चलना ही था।"अफ़साना बोली।

थोड़ी बातें हुईं फिर मिलने का वादा हुआ।

आज कॉफी हाउस में ज़ुबैर खामोश बैठा था।अचानक अफ़साना आयी।

"फिर कैसी हो ? अफ़साना "ज़ुबैर कुछ झेंपता हुआ बोला।

"ठीक हूँ, आप सुनाइये। 

मैं भी अच्छा हूँ, अब यहीं घर ले लिया है ,एक बेटी भी हो गई है 6 महीने हुए।

अफ़साना और ज़ुबैर की बातें लम्बी चली।

धीरे धीरे अब फिर से ज़ुबैर और अफ़साना के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया था। धीरे धीरे फिर से वही मोहब्बत ज़िंदा होने लगी थी।

ज़ैन किसी सिलसिले में आगरा आया था, अफ़साना से मिलने के लिए हॉस्टल पहुंचा। अफ़साना हॉस्टल में नहीं थी। रात के आठ बजे थे। ज़ैन ने फ़ोन किया पर फ़ोन लगा नहीं। हॉस्टल इंचार्ज ने बताया कि अफ़साना बड़े भाई के साथ गई है कही रोज़ जाती है। ज़ैन हैरान हो गया था। ये बड़ा भाई कौन है ? ज़ैन जानना चाहता था। ज़ैन लौट गया।

ज़ैन परेशान था। उसने अम्मी से पूरी बात बताई। अब्बु को डर से कुछ भी नहीं बताया ज़ैरा ने।

अफ़साना से अम्मी की बहस लम्बी हुई। ज़ुबैर का सच अम्मी को पता चल चुका था। अब फिर से वही तूफ़ान उठने लगा। अफ़साना और ज़ुबैर के रिश्ते की लहर अब तेज उठने लगी थी। इस नादानी से पूरा घर परेशान था। अब्बु कमज़ोर हुये जा रहे थे। विद्रोह की भावना अफ़साना के अंदर उसे अंदर ही अंदर खाती जा रही थी।

ज़ैन के लाख समझाने पर अफ़साना नहीं माँनी। अम्मी से गरमा गर्मी हो चुकी थी। चीज़ें फिर खराब हो चुकी थी।

कुछ भी ठीक नहीं हो रहा था। फिर एक दिन अचानक खबर आई।

एक बेटी ने सिटी हॉस्टल में फाँसी लगा ली, घरवालों की वजह से।


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