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Jyotiramai Pant

Inspirational

3  

Jyotiramai Pant

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सिस्टर ब्रेंडा

सिस्टर ब्रेंडा

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अपनी नन की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सिस्टर ब्रेंडा ने अथक सेवा भाव से अपना जीवन चर्च को समर्पित कर दिया।चर्च और कॉन्वेंट का काम हो, चर्च की प्रार्थना में भजन गायन हो,पियानो बजाना हो,गरीबों और मरीजों की सहायता करनी हो ,लड़कियों की पढाई में मदद करनी हो ।हर काम में अग्रणी।हर बार की तरह वह क्रिसमस की तैयारी में जुटी थी कि फादर एल्बर्ट ने उसे बुला भेजा।शीघ्र ही वह उनके पास पहुँची।उससे मिलने थॉमस आया था।सिस्टर ब्रेंडा उसे जानती नहीं थी।थॉमस ने उसे अभिवादन किया और माँफी माँगते हुए रो पड़ा।सिस्टर अचकचा गयी कि आखिर बात क्या है ?उसने फादर की ओर देखा उन्होंने ने दोनों को बैठने का इशारा किया।

            थॉमस ने ही कहना शरू किया कि वह ब्रेंडा का सगा भाई है।बेटे की चाहत में उसके मम्मी डैडी ने अपनी पहली लड़की को नन बनने के लिए बचपन में ही चर्च के हवाले कर दिया था।बड़े होने पर जब उसे पता चला तो उसे अपराध बोध होने लगा कि उसकी वजह से उसकी बहन को घर छोड़ यीशु की शरण लेनी पड़ी।बड़ी मुश्किलों के बाद वह ब्रेंडा को खोज पाया है अब मम्मी डैडी भी अपनी भूल पर पछताते हैं।उन्होंने पुरानी रूढ़ियों का पालन किया। बेटे को ही परिवार में अधिक महत्त्व दिया।सुविधा संपन्न होते हुए भी बेटी का पालन पोषण नहीं किया।उसे घर परिवार से वंचित भी कर दिया था।इसलिए वे बेटी का सामना नहीं कर सकते ।अब ब्रेंडा उन सबको माफ करे तो वह चैन से जी सकेगा।

             सिस्टर ब्रेंडा कुछ क्षण सोचती रही।बचपन की वे दुखद बातें अब वह भूल सी चुकी थी जब वह नाराज़ रहती थी।एक बार भी मम्मी- डैडी ने उसकी सुध नहीं ली।पढ़ाई के दौरान छुट्टियों में सभी घर जाते थे।उसे न तो कोई मिलने आता था न साथ ले जाता था।वह जब अकेली और उदास सी रहती हॉस्टल में सभी उसे बहुत प्यार करते।उसका मन बहलाते।मदर सुपीरियर उसका बहुत ख्याल रखतीं।कभी-कभी फादर उसे समझाते थे कि ''भ्रम में वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं?अनजाने में उन्होंने तुम्हें यीशु की सेवा में भेजा है अतःउनसे नाराज़ न हो।ईश्वर की संताने बराबर हैं जब वे जान पायेंगे तब खुद पश्चाताप करेंगे ''।समय के अंतराल में मासूम ब्रेंडा के मन के भाव भर गए थे।


ब्रेंडा ने एक बार श्रद्धा और आदर से फादर की ओर देखा जैसे कहना चाहती हो ।।''फादर आपकी बात सच निकली''

वह उठी उसने थॉमस के सर पर हाथ फेरा और बोली ''इसमें तुम्हारा दोष ही नहीं मेरे प्रिय भाई !जाओ अपने मम्मी डैडी के साथ सभी की सेवा में मन लगाओ ,खुश रहो ''थॉमस भी सर झुकाए उसे जाते देखता रहा। 

                  क्रिसमस की अर्ध रात्रि की प्रार्थना सभा में उसने उन तीनों को उपस्थित देखा था।सभी प्रार्थना में लीन थे ।चर्च से लौटते समय सभी ने हाथ मिला कर शुभकामनाएँ देते हुए विदा ली ।वे बार बार मुड़ कर उसकी ओर दूर तक आशीर्वाद रूप हाथ हिला रहे थे।आज यीशु की कृपा से सबके मन पवित्र हो गए।                                                   


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