STORYMIRROR

Jyotiramai Pant

Drama

4  

Jyotiramai Pant

Drama

मां का वरदान

मां का वरदान

2 mins
268


घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ चल रहा था।इससे पहले भी कई धार्मिक आयोजन हो चुके थे।जबसे नई बहू ने घर में क़दम रखे परिवार वाले उम्मीद लगाने लगे कि कब घर का वारिस मिले।

रुचि पढ़ी लिखी थी।बैंक में कार्य रत भी थी।

उसने तो दो तीन साल बाद ही अपना परिवार बढ़ाने का सोचा था। अब उस पर सबका इतना दबाव था कि उसकी मर्ज़ी चलने का सवाल ही नहीं उठता। उसने सबकी बात मान ली ।घर में जब से सबको पता लगा कि बहू के पैर भारी है तब से उसकी देखभाल तो शुरू हो गई पर आश्चर्य इस बात का हुआ कि उन्हें बेटा ही चाहिए बेटी नहीं।पढ़े लिखे ,आधुनिक विचारों से युक्त परिवार वालों से उसे यह आशा नहीं थी।

   क्योंकि लिंग जांच करना अपराध होता अतः दाई से ही अनुमान के आधार पर अनुमान लगाया गया कि लक्षण कन्या के हैं।बस फिर तो खुशियां मायूसी में बदलते देर न लगी।

अब हर तरह के पूजा पाठ हो रहे थे।साथ ही यह बात भी उठ रही थी कि एबॉर्शन करा लिया जाय। रूचि में जब यह सुना तो हैरान रह गई।पहले वह तैयार नहीं थी तो कहा गया कि सबकी इच्छा है।नौकरी तो बाद में की जा सकती है।और अब?

बिना जाने बूझे भ्रूण हत्या की योजना। अब तो उसे ही हर हाल में अजन्मी संतति की रक्षा करनी थी।अपने पति को वह कह चुकी कि बेटा या बेटी को भी हो स्वीकार करना होगा।

पाठ सम्पूर्ण होने पर आरती की जा रही थी।जब रूचि को बुलाया तो उसने मां दुर्गा को प्रणाम किया और थाल हाथ में लेकर सबसे बोली " मैं देवी मां को अपने घर में कन्या रूप में आमन्त्रित कर रही हूं।

माँ मेरी प्रार्थना स्वीकार करेंगी। मुझे विश्वास है।दुर्गा माँ के वरदान को कौन अस्वीकार कर सकता है न माँ जी!!!

 कह उसने आरती का थाल सास को थमा दिया।




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama