प्यार के रिश्ते
प्यार के रिश्ते
ट्रांसफर के बाद नए शहर की एक सुंदर कॉलोनी मे शिफ्ट हुए कुछ ही दिन हुए थे। अड़ोस पड़ोस में किसी से जान पहचान नहीं हो पाई थी। वैसे भी मकान मालिक ने बता ही दिया था कि बड़े शहरों
में ऐसा कोई चलन नहीं। सब अपने में मस्त और व्यस्त रहते हैं। हां लिफ्ट में ,पार्किंग में या सब्जी भाजी लेते समय हाय हेलो हो जाए तो बहुत है। तभी एक दिन सुबह ही दरवाजे की घंटी बजी। पम्मी ने देखा एक बहुत ही बुजुर्ग औरत फटे पुराने कपड़ों में ठिठुरती सी भीख मांग रही थी। उसने रात की बची रोटी सब्जी दे दी। वह ढेरों आशीष देकर चली गई। अब वह हर हफ़्ते आ जाती। सभी कुछ न कुछ मदद कर देते। पम्मी उसे कुछ कपड़े भी दे देती। इस बार उसने एक शाल और कार्डीगन भी दिया " अम्मा इतनी ठंड है इसे ओढ़ लो "वह फिर हाथ जोड़ आशीष देकर चली गई थी। लेकिन अगली बार फिर फटे कपड़ों में आई तो पम्मी ने अचरज से पूछा "क्या हुआ अम्मा !शाल स्वेटर तो पहनती। ठंड नहीं लगती?, "तभी पड़ोसन बोली "अरे इनका क्या है? दिन भर चीज मांगो फिर बेच डालो। कपड़े पहनकर आयेगी तो कौन दया कर भीख देगा। यह तो इनके बिसनेस का तरीका है। "अब बूढ़ी अम्मा बोली "बेशक! आपको यही लगता है तो कभी गरीबों की हालत देखने आ जाना। उसकी बात का उपहास करने उस महिला ने पम्मी को भी उसके साथ जानें को उकसा लिया। पम्मी भी बेमन से साथ हो ली क्या बड़े शहरों में इतनी बेईमानी है? उनकी कॉलोनी के पास ही जहां कुछ इमारतें बन रही थी। बड़ी बड़ी पाइप में मैले कुचैले कपड़ों में लिपटे बच्चों ने रहने का प्रबंध किया था। बूढ़ी अम्मा को देखते ही कितने बच्चे दादी दादी कहते आ गए। बूढ़ी अम्मा जो कुछ लाई थी सभी को बांटने लगी। फिर दोनों से बोली " ये बच्चे मेरे नहीं हैं । इन अनाथ बच्चों को भूखा नहीं देख सकती। इन्होंने भी मुझ अकेली को दादी का प्यार दिया है। अब मुझे कोई काम भी नहीं मिलता। इसीलिए भीख मांगती हूं, ताकि कुछ मदद कर सकूं और इनके इस प्यार का मान रख सकूं। "उसकी बातें सुनकर दोनों को बहुत बुरा लगा और शर्मिंदगी हुई। लौटते हुए उन्होंने एक योजना बना डाली। अपनी कॉलोनी के सभी लोगों से मिलकर इन बच्चों के लिए कुछ करना ही होगा। आखिर इस अकेली बूढ़ी अम्मा से रिश्तों की महत्ता तो सीखनी चाहिए।