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Priyanka Gupta

Drama Tragedy Children

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Priyanka Gupta

Drama Tragedy Children

सिसकता बचपन

सिसकता बचपन

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"अरे, ये प्यारी सी मासूम सी लड़की कौन है ",पिंकी के साथ आई सहमी सी, सकुचाई सी अपने ही ख्यालों में गुम बच्ची को देखकर मैंने कहा। पिंकी कहाँ चुप रहने वालों में है ?एक सवाल पूछो तो दस जवाब देती है। एक बार शुरू हो जाए तो रोकना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। मानो मेरे सवाल के ही इंतज़ार में थी, झट से बोली, "दीदी मेरे चाचा की बेटी है, नीचे वाली दीदी के यहाँ काम करेगी। "

" लेकिनपिंकीयेतोअभीबहुतछोटीहै।" मैंने पिंकी से कहा।फिर अपनी ही बेवकूफी पर खीज आई।कितनी बार ये लड़की मुझे बता चुकी है कि उनके घर में बेटी को ७-८ साल की होते ही २४ घंटे के काम पर लगा देते हैं। पिंकी की बुआ तो कहती ही यह है की, "तुम लरकिन को पैदा ही आले कियो है की माँ बाप ने कमार दो।“

पिंकी तो खुद भी ७-८साल की उम्र से ही लोगों के घर में काम कर रही थी।मेरे पास आई थी तब १३-१४ साल की थी।एक बार तो मैंने रखने से मना भी कर दिया था ।फिर सोचा कहीं और काम करेगी तो पता नहीं बेचारी के साथ क्या क्या होगा।मुझे कम से कम इन बच्चियों के साथ सहानुभूति तो है।

हमारी वाचाल पिंकी ने फिरअपना मुँह खोलाऔर बोलना शुरू कर दिया," मीनू है इसका नाम दीदी।हमारे घर में सब लड़कियों में सबसे सुंदर है।"पिंकी सही कह रही थी,मैं भी तो उस मासूम सी बच्ची को देखे जा रही थी।मैंने मीनू को कहा," कभी कोई भी परेशानी हो तो मुझे बताना।" पिंकी उसे चाय नाश्ता कराकर नीचे वाली भाभी के यहाँ काम करने के लिए छोड़ आई।

घर और ऑफिस के कार्यों की व्यस्तता में मैं मीनू को भूल ही जाती, तब एक दिन पिंकी ने बताया कि,"ये मीनू इतनी ज़िद्दी है कि,अपनी सेठानी का कोई कहना ही नहीं मानती।इसलिए सेठानी उसे हटा रही है।"मैं ये सोचकर खुश थी ;चलो, बेचारी बच्ची अपना बचपना तो जी सकेगी।अमीरों के बच्चे तकनिकी के बढ़ते उपयोग के कारण वक्त से पहले बड़े हो जाते हैं,वहीँ गरीबों के बच्चे संसाधनों के कमी के कारण।

"चल पिंकी अच्छा ही है। अब कम से कम ये पढ़ लिख लेगी। इसका बचपन तो सुधर जाएगा "मैंने कहा।

पिंकी बोली,"नहीं दीदी,हमारे चाचाजी ने तो इसके लिए दूसरा काम का घर भी ढूंढ लिया।यहाँ नहीं तो वहां काम तो करना ही पड़ेगा।अब लड़की बनकर जन्मे हैं तो ये सब तो देखना ही है।

मेरे चारों भाइयों को मां बाप अपने साथ रखते हैं,मुझे तो छोटी सी को ही काम पर भेज दिया वो भी २४ घंटे के काम के लिए।बड़ा तो अभी निहाल नहीं कर रहा,छोटे कौनसा करने वालेहैं।मैं तो कभीअपने बच्चों को काम पर नहीं लगाऊंगी।उन्हें खूब अच्छे से पढ़ाऊंगी।"

पिंकी की बातों में उसके दर्द को मैं समझ पा रही थी।लेकिन अपने स्वार्थ के कारन मैंने भी तो उसे अपने घर के कामों में मदद के लिए रखा ही हुआ था।हमारे लिए उपदेश देना बहुत आसान है,लेकिन स्वयं उस पर अमल करना बहुत मुश्किल।अगर उपदेश देने के बजाय हम सब अपना अपना काम ही पूरी निष्ठा से कर ले तो शायद बदलाव हो जाए।

मीनू नीचे वाली भाभी के घर का काम छोड़कर चली गयी। कभी कभी पिंकी से ही मीनू का हाल चाल पूछती रहती थी। तब ही एक दिन पिंकी ने बोला, " दीदी मुझे एक महीने के लिए गांव जाना है। मीनू की शादी है। "

पिंकी की बात सुनकर मुझे ४४० वॉल्ट का झटका लगा।१२-१३साल की बच्ची की शादी।खेलने खाने की उम्र में पता नहीं अब उसे कौन कौन से खेल खेलने पड़ेंगे।खुद को तो सम्हाल नहीं सकती,शादी को कैसे सम्हाल पाएगी।भगवान अगर है भी तो न जाने लड़कियों की किस्मत कौनसी कलम से लिखता है।दर्द और तकलीफों की काली लकीरें ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती।

फिर पिंकी ने कुछ दिनों बाद बताया कि मीनू मां बनने वाली है।१३ साल की लड़की गर्भवती हो गई,मैं तो कल्पना भी नहीं करना चाहती।जो खुद अभी बच्ची है,जिसकी खुद की ज़िन्दगी अभी शुरू हुई है,अब एक नए जीवन को जनम देगी।लेकिन ये तो मीनू के दुखों की शुरुआत मात्र थी।

कुछ दिनों बाद पता चला कि मीनू के पति ने उसे इतना मारा कि उसका गर्भपात हो गया। जब पिंकी ने मीनू के पति के गुस्से का कारण बताया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए।

नीचे वाली भाभी का काम छोड़ने के बाद मीनू ने किसी और घर में काम पकड़ लिया था। उस घर में एक प्रौढ़ महिला अपने मानसिक रूप से बीमार लड़के के साथ रहती थी। कुछ दिनों के लिए परिवार कहीं बाहर गया, साथ में मीनू को भी ले गया। वहां पर एक दिन मीनू और मानसिक रूप से बीमार लड़का दोनों ही घर पर अकेले थे। मीनू अपना काम ख़त्म कर नहाने चली गई,जैसे ही नहाकर लौटी लड़का न जाने कहाँ से आ गया और उसने मीनू को दबोच लिया। अपनी मर्दानगी में अंधे होकर मीनू के बचपन को कुचलकर रख दिया। जब मीनू की सेठानी लौटी, तो मीनू ने उसे सब बताया। वैसे भी बेचारी अनजान जगह पर और करती ही क्या ? लेकिन अपने बेटे के प्यार में अंधी माँ ने बेचारी बच्ची पर ही चार लांछन लगा दिए।

कुछ दिनों बाद परिवार अपने शहर लौटा। अपने दर्द को लिए मीनू आधी रात को ही अपनी सेठानी के घर से भागकर अपने माँ बाप के पास लौटी। आधी रात को इस तरह आया देखकर उसके मां बाप का माथा ठनका। उसने अपनी आपबीती सुनाई। लेकिन हाय रे किस्मत की मारी मीनू, उसके माँ बाप ने उसकी बात पर भरोसा नहीं किया और उसकी सेठानी भी पीछे पीछे आ गयी। उसने कहा कि आपकी बेटी काम नहीं करना चाहती, इसलिए ऐसी कहानियां बना रही है। मैंने जो एडवांस दिया था, वापस कर दो और रख लो अपनी बेटी अपने घर। मीनू के निर्दयी और लालची माँ बाप ने उसे वापस उसी घर में भेज दिया। मीनू का बचपन उसी दिन कहीं खो गया।

इसीलिए जब उसकी शादी की बात हो रही थी,उसने मना नहीं किया।उसका मासूम दिल अपने माँ बाप के व्यवहार से टूट गया था।इस घटना ने उसे रातों रात बड़ा कर दिया था।शादी उसे ऐसी ज़िन्दगी से मुक्ति का एक रास्ता लग रही थी।


शादी के बाद जब उसके पति को उसके साथ हुए बलात्कार का पता लगा तो, उसकी मर्दानगी को यह बात नागवार गुजरी कि उसकी बीवी कुमारी नहीं थी और पता नहीं किसका पाप उसके माथे मड रही है । उस निर्दयी ने अपनी मासूम गर्भवती पत्नी को इतना पीटा की उसका बच्चा जन्मने से पहले ही मर गया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई रक्षा मंत्री की तस्वीरों को देखते हुए मेरे दिमाग में मीनू घूम रही थी। मीनू जैसी बच्चियों की सिसकियों को मुस्कान में अगर बदल पाते, तो शायद वही सच्चा महिलाओं का सशक्तिकरण होगा।


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