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Anju Kharbanda

Tragedy

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Anju Kharbanda

Tragedy

सीता की अग्नि परीक्षा कब तक!

सीता की अग्नि परीक्षा कब तक!

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रोहिणी ! नौकरी करो तभी आर्थिक हालात सुधरेंगे ।

रोहिणी ! नौकरी छोड़ दो! घर और बच्चों को तुम्हारी ज्यादा जरूरत है!

रोहिणी ! साड़ी पहना करो । बहुएं साड़ी में अधिक जचती है!

रोहिणी ! बच्चों को पालने पोसने का हमारा तरीका बढ़िया है, वही अपनाओ !

रोहिणी ! घर के निर्णय हम लेंगे, तुम पराये घर से आई हो!

रोहिणी ! हमारे घर के हिसाब से चला करो!

रोहिणी ! खाना बनाने का तरीका बदलो, ये तुम्हारा मायका नहीं!

रोहिणी !

रोहिणी !

सोते जागते और अब तो सपने में भी सभी के ऑर्डर सुनाई देते हैं

रोहिणी ! ऐसे नहीं,

रोहिणी ! वैसे नहीं,

रोहिणी ! माँ ने कुछ सिखाया नहीं क्या! उफ्फ

सिर चकरा रहा है

मानो सारी धरती गोल गोल धूम रही है,

आँखों के आगे घुप्प अन्धेरा छा गया है,

मम्मा ! मम्मा !

रोहिणी ! रोहिणी !

अरे क्या हुआ !

बस! बस!

"बख्श दो मुझे ! अब और नहीं सहन होता मुझसे!"

पहली बार रोहिणी का जी चाहा चीख चीख कर बोले !

पर आज वो मौका भी खो दिया!

क्योंकि अब वो कभी नहीं बोलेगी!

लाशें बोला नहीं करतीं।


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