श्राद्ध

श्राद्ध

1 min
361


'माँ जी कल क्या-क्या बनाना है ? और कितने पंडित जी आएंगे ? मुझे बता दीजिए, तो सारी तैयारियाँ कर दूंगी और समय पर पूजा भी सम्पन्न हो जाएगी।' मानवी ने अपनी सासू माँ से कहा।

मानवी की बात सुनकर उसकी सास ने कहा कि - 'बहू सुन ज्यादा कुछ नहीं बनाना और मैंने जो उस दिन जो गाय का देशी धी और केसर खरीदा था उसका इस्तमाल खाने में मत करना, नहीं तो सुन तू खीर मत बनाना। बस पूरी-सब्जी और आटे का हलवा बना देना। ठीक है।

'जी... माँ जी मानवी ने सिर हिला कर बोल दिया।

'श्राद्ध ही तो है। वो जिंदा थी, तो क्या कर दिया था। जो.. मैं खाना देशी घी में बनवाऊं। अपने हिस्से की जायदाद तो मरने से पहले ही बेटियों को दे दिया और मुझे तो कभी बेटी समझा ही नहीं.... और मरते समय किसी बेटी ने मुँह उठाकर एक बार भी नहीं आयी। जो किया मैंने ही किया, पर अब.... अब तो नहीं।'

सासू माँ की बात मानवी चुपचाप सुन रही थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama