शराब की लत
शराब की लत
मेरे सामने वाले घर में एक परिवार रहने के लिए आया, परिवार बहुत अच्छा था। पति पत्नी में कोई झगड़ा नहीं होता था। सात्विक उसका नाम था और नौकरी भी अच्छी थी। उसकी एक पांच साल की बेटी थी जो बहुत ही चंचल और सुंदर थी। पूरा परिवार बहुत हँसी ख़ुशी रहता था।
एक दिन कॉलोनी के ही एक घर में पार्टी थी। सात्विक भी वहां आया हुआ था। कुछ लोग शराब भी पी रहे थे। किसी ने सात्विक को भी शराब का भरा हुआ गिलास दे दिया, हालाँकि सात्विक ने कहा की वो शराब नहीं पीता फिर भी लोगों के ये कहने पर कि एक घूँट पीने से कुछ नहीं होगा, उसने गिलास हाथ में ले लिया। हालाँकि उसकी पत्नी ने उसे मना किया फिर भी उसने एक पेग लगा ही लिया।
कॉलोनी में पार्टी तो चलती ही रहती थी। कुछ दिनों बाद मैंने देखा कि सात्विक अब हर पार्टी में दो तीन पेग लेने लगा है। कुछ महीने बीत जाने पर तो वो अब घर में भी शराब पी कर आने लगा और उस के घर से झगड़े की आवाजें भी आने लगीं। शुरू शुरू में हम सबने उसे समझने की कोशिश भी की पर जब वो नहीं माना तो कॉलोनी के लोगों ने भी दखल देना छोड़ दिया।
एक दिन तो हद ही हो गयी जब उसने अपनी बेटी को ही पीटना शुरू कर दिया शायद बेटी ने उसे स्कूल की फीस जमा करवाने के लिए कह दिया था।
कुछ महीने बीत जाने के बाद एक दिन जब सुबह सुबह में उठा तो कॉलोनी के कुछ लोग सात्विक को एम्बुलेंस में ले के जा रहे थे। मेरे पूछने पर उसकी पत्नी ने बताया के रात को सात्विक ने बहुत ज्यादा पी ली थी। तीन दिनों के बाद वो घर तो आ गया पर उसकी माली हालत बहुत पतली हो गयी थी।
कुछ दिनों के बाद उन्होंने वो कॉलोनी छोड़ दी, शायद माकन का किराया भरना भी उन्हें मुश्किल हो रहा था।
में ये सोच रहा था कि मेरे सामने ही एक छोटे से अंतराल में शराब ने कैसे एक हँसते खेलते घर को उजाड़ दिया, कैसे ये शराब एक अच्छे खासे आदमी को हैवान बना देती है।