शपथपत्र
शपथपत्र
परिजनों के बहुत गिड़गिड़ाने के बाद भी डॉक्टर का भौतिकवादी दिल नहीं पसीजा। पूरे पाँच हज़ार रूपये पहले जमा करो नहीं तो...
पाँच हज़ार तो गरीब परिजनों के पास उस समय थे नहीं लिहाजा दर्द से दोहरी होती, तड़पती स्त्री को अस्पताल परिसर से धक्के मारकर बाहर सड़क पर छोड़ दिया गया।
कड़ाके की ठंडी, बर्फीली रात में वह सड़क पर ही गिरकर छटपटाने लगी।
एक मासूम जिंदगी ठण्डी, निर्जन सड़क पर जन्म लेने को विवश थी और जिंदगी को हर हाल में बचाने की शपथ और संकल्प का सर्टिफिकेट डॉक्टर के केबिन में, उसकी कुर्सी के पीछे सुनहरी फ्रेम में जड़ा हुआ दीवार की शोभा बढ़ा रहा था।