Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Vinita Rahurikar

Inspirational

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Vinita Rahurikar

Inspirational

वादा

वादा

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"बेटा कैसे भी करके छुट्टी ले और परसों तक यहाँ पहुँच जा। कुछ जटिलताएँ हो गयी है, डॉक्टर ने कहा है परसों ही ऑपरेशन करके बच्चे का जन्म करवाना जरूरी है।" फोन पर माँ बहुत चिंतित लग रही थी।

"लेकिन अचानक ही क्या हो गया माँ, अभी तो पन्द्रह दिन हैं बच्चे के जन्म में।" मेजर परम का दिल बैठ गया।


"अभी डॉक्टर से चेकअप करवाने ले गयी थी बहु का, बच्चे की धड़कन बहुत धीमी है, एमनियोटिक फ्लूइड भी कम हो गया। अब ऑपरेशन करवाना ही ठीक रहेगा दोनों की जान बचाने के लिए। तू जल्दी आ जा, तेरे रहते बहु को भी तसल्ली रहेगी और हमें भी।" माँ ने मिन्नत भरे स्वर में कहा।


"ठीक है माँ मैं अभी हेडक्वार्टर में बात करता हूँ। तुम चिंता मत करो।" परम ने आश्वस्त किया। किन्तु भीतर से वह टूट सा गया, माँ की आवाज़ से लग रहा था बात कुछ ज्यादा ही गंभीर है। होने वाले बच्चे के लिए मन व्याकुल हो गया। कितने सपने, कितने धागे बंधे हैं मोह के उस नन्ही जान से। वह बेचैन हो गया। 


तभी हेडक्वार्टर से आर्डर आया आधे घण्टे के भीतर राजौरी सेक्टर की तरफ कूच करने का। भारी संख्या में घुसपैठियों के सीमा पार करके देश में प्रवेश करने की खबर के साथ ही और भी घुसपैठियों के आने का अंदेशा सीमा पार से, देश के लिए एक बड़ा ख़तरा। 

पैरा कमांडो परम ने तुरंत अपनी टीम को कूच की तैयारी का आर्डर दिया।

आने वाली जान के लिए परिवार वाले हैं और आगे ईश्वर की इच्छा। अभी तो सिर्फ देश से किये, हर कीमत पर उसकी सुरक्षा के वादे को निभाने का समय है। 



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