शिष्टाचार
शिष्टाचार
नौकरी के लिए एक लंबी कतार, पोस्ट मात्र एक थी। सुबह से शाम सब ने अपने इंटरव्यू दिए, लास्ट में आवाज लगी एक मामूली से सादगी पूर्ण आए लड़के को और उसे नौकरी मिल गई।
सभी ने आश्चर्य किया कि हमारी एजुकेशन और स्टेटस व एप्रोच लगाने पर भी यह नौकरी इस मामूली बंदे को मिल गई।
अंदर गया नवयुवक भी अचंभित था, जब नवयुवक को कहा गया कि तुम्हें नौकरी प्राप्त हो चुकी है तब उस बंदे ने एक ही प्रश्न किया, "महाशय जी मुझसे ज्यादा एजुकेटेड और शिफारशी लोग आए हुए हैं लेकिन आपने मुझे ही चुना।"
इस पर अफसर ने उन्हें जवाब दिया कि जितने भी नवयुवक या नव युवती मेरे पास नौकरी माँगने आए वह किसी ना किसी की सिफारिश ,प्रतिभा और अपनी एजुकेशन को बयान कर गए, जब वह मेरे कैबिन में दाखिल हुए तब ना तो उन्होंने मुझे नमस्कार किया न उन्होंने मेरे कैबिन में आने की आज्ञा माँगी। न जाते वक्त उन्होंने किसी प्रकार का धन्यवाद प्रेषित किया।
यह तीनों उपलब्धियां मुझे तुम्हारे में नजर आई। इसका अर्थ यह हुआ की शिक्षा प्रतिष्ठा के अलावा आपके संस्कार व शिष्टाचार भी किसी भी रोजगार को पाने के लिए अति आवश्यक हैं। अत: जीवन में कितनी ही बड़ी उपलब्धियां प्राप्त कर लो लेकिन अपने शिष्टाचार और संस्कार कभी त्यागना मत।