Priyanka Gupta

Drama Inspirational Others

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Priyanka Gupta

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शहर

शहर

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किशोर के माँ -बाप पहली बार उसके पास शहर में आये थे। किशोर शहर में कैब चलाता था। किशोर को ड्राइविंग आती  थी। गांव से नौकरी की तलाश में आया था ;तब ही उसे कैब ड्राइवर की नौकरी मिल गयी। खुद के खर्चों के बाद 4 पैसे बच जाते थे ;जो वह अपने माँ -बाप को भेज देता था। खेती की आधी जमीन गांव के महाजन के पास गिरवी पड़ी थी। किशोर का सपना था कि जमीन छुड़वा ली जाए। इसके लिए वह प्रयास भी कर रहा था। 

किशोर अपने माँ -बाप को रात में कैब में शहर घुमा रहा था। शहर की रोशनी से किशोर के माँ -बाप की आँखें चुँधिया रही थी। 

"बेटा ,कितने बजे हैं ?",किशोर के बाबूजी ने पूछा। 

"9 बजे हैं। ",किशोर ने बताया। 

"बेटा ,यहाँ सड़कों पर अभी तक इतनी भीड़ है। शहर में लोग सोते नहीं हैं क्या ? अपने गांव में तो दिन ढलते ही सब सो जाते हैं। ",माँ ने कहा। 

"माँ ,हमारी बस्ती में बिजली जो नहीं आती। एक बात और है ,

'ये शहर रात को सोते नहीं हैं ,

क्यूँकि इनकी नींवों में लाखों आँखों के सपने जो दफ़न हैं।'",किशोर ने कहा। 

"बेटा ,तेरा सपना जरूर पूरा होगा। तेरी मेहनत से हम अपनी गांव की जमीन छुड़ा लेंगे। ",बाबूजी ने कहा। 

तब ही किशोर की माँ की नज़र एक मंदिर पर पड़ी। "बेटा ,पीछे एक बड़ा ही सुन्दर मंदिर बना हुआ था। क्या हम उसमें जा सकते हैं ?",किशोर की माँ ने कहा। 

"हाँ माँ ,बिलकुल 

'लाख कमियों के बाद भी शहर मुझे सुहाता है ,

क्यूँकि यहाँ मेरी जाति ,धर्म आदि नहीं ,

बल्कि मेरा हुनर मेरी पहचान कराता है।'",किशोर ने यू टर्न लेते हुए कहा। 


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