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Priya Silak

Romance

4  

Priya Silak

Romance

"शाश्वत मित्रता"

"शाश्वत मित्रता"

2 mins
3


लेकिन सब कुछ होने के बावजूद, प्रेम रितु को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाया। उसे उसके मूर्खतापूर्ण चुटकुले, उसकी संक्रामक हंसी और उसकी खूबसूरत मुस्कान की याद आती थी। उसे एहसास हुआ कि उसने उसे जाने देकर गलती की थी।


एक दिन, जब वह सड़क पर चल रहा था, उसने रितु को बस स्टॉप पर इंतज़ार करते देखा। उसके पास पहुँचते ही उसका दिल धड़क उठा। "रितु, मुझे माफ़ कर दो," उसने कहा, उसकी आवाज़ में अफ़सोस था। "तुम्हें जाने देना मेरी मूर्खता थी। मुझे तुम्हारी याद आती है। मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"


रितु ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखें आँसुओं से भर गईं। "मुझे भी तुम्हारी याद आती है, प्रेम," उसने धीरे से कहा। "मैंने कभी तुमसे प्यार करना नहीं छोड़ा।"


और उस पल में, सारी ग़लतफ़हमियाँ और दुख दूर हो गए। उन्होंने एक-दूसरे को गले लगा लिया, यह जानते हुए कि उन्हें एक साथ रहना ही था। रितु ने प्रेम को माफ़ कर दिया, और उसने वादा किया कि वह उसे फिर कभी नहीं जाने देगा।


उस दिन से, वे अविभाज्य हो गए। वे साथ हँसे, साथ रोए, और पूरे दिल से एक-दूसरे से प्यार किया। उनके दोस्त और परिवार उन्हें साथ में खुश देखकर बहुत खुश थे।


और जब वे हाथ में हाथ डाले खड़े थे, सूर्यास्त को आसमान को गुलाबी और नारंगी रंग में रंगते हुए देख रहे थे, तो उन्हें पता था कि वे हमेशा के लिए एक साथ रहने के लिए बने हैं। अपनी प्रेम कहानी के सुखद अंत के साथ, प्रेम और रितु को पता था कि उन्होंने अपनी खुशी हमेशा के लिए पा ली है।


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