शादी तो तुमसे ही होगी

शादी तो तुमसे ही होगी

7 mins
690


कनक के फुफे के लड़के की शादी अपने ही शहर में, अपनी ही सोसायटी में हुई थी। वो अपने भाई की शादी में गया था, वहीं बारात में अपने ही भाई की साली से मुलाकात हो गई। फिर तो कनक रोजाना उसके घर उसे मिलने जाने लगा। कनक की पढ़ाई पूरी हो गई थी। वो कभी रास्ते में, कभी बाग़ में मुलाकात करने लगा। बात बहुत आगे बढ़ गई। दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करने लगे लेकिन अपनी ही सोसायटी में लक्ष्मी रहती थी, इस लिए लड़की के माँ-बाप ने शादी की परमिशन नहीं दी। दोने अब चोरी छिपे से मिलने लगे। घर में पता चलने से पाबंदी आ गई।

उन्होंने एक दिन मौका पाकर कोर्ट में जाकर सिविल मैरिज कर ली। दोनों के घर रजिस्टर्ड पोस्ट से शादी की मैरिज सर्टिफिकेट आई तब पता चला की उन दोनों ने शादी कर ली है। लक्ष्मी के मात-पिता और भाई-बहन सब चिंता में आ गये। उन्होंने लक्ष्मी को घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी। यहाँ कनक को भी उस लडकी से मिलने पर अपने मात-पिता ने पाबंदी कर दी। कनक और लक्ष्मी दोनों मुसीबत में पड़ गए। एक दिन घर से भाग जाने का प्लान बनाया लेकिन घर में पता चल जाने से प्लान सफल नहीं हुआ।

अब दोनों ने अपने अपने घर में परिवार वालों को धमकी दे दी, अगर, आप हमारी शादी नहीं कराएँगे तो हम अपनी जान दे देंगे। लक्ष्मी के माँ-बाप ने अपने रिश्तेदार और सोसायटी वाले लोगों को इकठ्ठा किया और बात रखी कि अपनी ही सोसायटी में अपनी लड़की की शादी कैसे करे ? सोसायटी वाले भी बोले कि एक ही सोसायटी में परिवार जैसे है हम। दोनों भाई-बहन लगते हैं। अब रिश्तेदारों ने भी अपनी सोच रखी। उन्होंने बताया कि अगर दोनों की शादी नहीं होगी तो अनहोनी होगी। बच्चों को गवाने पड़ेंगे। तब एक रिश्तेदार ने समझदारी की बात की। सभी को समझाया कि ठीक है एक ही सोसायटी में भले रहते हो लेकिन दोनों की बिरादरी एक ही है। अगर सामाजिक रीति-रिवाजों से दोनों की शादी करवाई जाये तो दोनों की जिन्दगी बच सकती है लेकिन लक्ष्मी के पिता तैयार न हुए। उन्होंने शादी करने से मना कर दिया। तब कनक के पिता को भी लोगों ने समझाया कि अपने लड़के को समझालो। उसे और कहीं शादी करवा दो। रजिस्टर्ड शादी केन्सल करवा दो लेकिन कनक मानने को तैयार नहीं था।

उसने सभी के सामने लक्ष्मी को बुलाकर अपनी बात कह दी, कि “शादी तो तुमसे ही होगी।” सभी लोग सोच में पड़ गये। अब क्या किया जाय ? सभी रिश्तेदारों ने एक सुझाव निकाला और बताया कि दोनों को एक दूसरे से वरमाला पहना कर तिलक लगवा कर शादी को मंजूरी दे दे क्योंकि कनक और लक्ष्मी दोनों अपनी जिद पर अड़े थे।

अब लक्ष्मी के पिताजी ने भी बात स्वीकार कर ली। कनक के पिताजी और पूरा परिवार लक्ष्मी को तुरंत ही तिलक और वरमाला डलवाकर, रात में ही अपने घर ले जाना चाहते थे। और हुआ भी ऐसा। लक्ष्मी ने कनक के सिर में वरमाला डाल दी। कनक ने भी लक्ष्मी को वरमाला डाल दी और बालों में सिंदूर लगा दिया। लक्ष्मी के मात-पिता बहुत दुखी हुए, क्योंकि कनक को नौकरी नहीं थी।

अब कनक को कम्प्यूटर ओपरेटर के पद पर एक खानगी स्कूल में नौकरी लग गयी। दोनों ख़ुशी से अपनी जिन्दगी जी रहे थे। धीरे धीरे लक्ष्मी के जीवन में मुसीबतों ने प्रवेश किया। कनक के मात-पिता और कनक की बहनें लक्ष्मी को तंग करने लगे। साल बाद लक्ष्मी को एक बेटा भी हुआ। अब घर में सास-ससुर का त्रास बढ़ता चला। तीनों को घर में रखना और उनकी मांगे पूरी करना, कनक के माँ-बाप को चुभने लगी। क्योंकि साल बाद कनक की नौकरी चली गयी थी। कनक अब ऑटो चलाने लगा लेकिन लक्ष्मी की ननदें और सास-ससुर बहुत परेशान करने लगे।

पूरे घर का काम लक्ष्मी को करना होता था। लक्ष्मी के पिताजी ने लक्ष्मी की गोद भराई के बाद जब बेटा होने से गौना करके लक्ष्मी को विदाई की तब सोने के गहने लक्ष्मी को दिए थे और कनक को भी सोने की, चैन, घड़ी और विटी भैंट की थी, तब भी, कनक के मात-पिता को संतोष नहीं था। वो लक्ष्मी को ताने मारते थे कि तेरे पिताजी ने क्या दिया है ?

अब दिन प्रतिदिन लक्ष्मी के प्रति सास-ससुर और ननदें की जो हुकमी बढ़ती जा रही थी। वो सभी मिलकर लक्ष्मी को पिटते भी थे। लक्ष्मी अच्छी लड़की थी। वो चुपचाप सह लेती थी। क्यूँकि मात-पिता के ना कहने पर वो कनक से शादी करके गयी थी।

लड़के का नाम कुश रखा था। वो तिन साल का हुआ तो बाल-मंदिर में रखा गया। पाँच मास बाद वो प्रथम कक्षा में आया तो, स्कूल फ़ीस भरने में दिक्कत हुई। कनक की ऑटो से इतनी आमदानी नहीं थी कि वो उसकी फ़ीस भरे। माँ-बाप से मांगने पर घर में तकरार होने लगी। कनक और लक्ष्मी ने सोच समझ कर घर से अलग होने का निर्णय किया। दोनों घर से निकल गये और अहमदाबाद में किराये के फ्लेट में रहने लगे। कनक की नौकरी नहीं होने से और किराये की ऑटो लेकर धंधा करने में ज्यादा कमाई नहीं होती थी। कनक ने लक्ष्मी को बताया कि, ऑटो में ऑटो का किराया देने से कुछ बचत नहीं होती है। कुश की फ़ीस कैसे भरेंगे ? लक्ष्मी ने अपने गहने कनक को दिए और बताया कि इसे बेच कर खुद की ऑटो खरीद लो। कनक ने गहने बेचकर नई ऑटो खरीद ली। अब घर में शांति हुई। ज्यादा आवक होने लगी लेकिन नसीब में सुख नहीं होने से दुःख फिर वापस लौट आया। ऑटो का एक्सीडेंट हुआ। भारी नुकसान हुआ। कनक को भी चोट आई। दो महीने तक ऑटो बंद रही। रिपेरिंग का खर्चा भी बहुत ज्यादा हो गया। कनक को भी दवाई में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े।

कनक ठीक हो गया और फिर से अपनी ऑटो लेकर धंधा करने लगा। एक्सीडेंट होने से कर्जा हो गया था। कर्जा उतारने में घर में पैसों की कमी होने लगी। कनक चिंता में रहने लगा। वो धीरे-धीरे अपने साथी मित्रों से व्यसन करना सीख लिया। घर में तकरार होने लगी।

एक दिन कनक शराब पीकर घर लौटा। लक्ष्मी घबराई। उसने कनक को खाना दिया लेकिन कनक ने खाना नहीं खाया। वो चिल्लाने लगा। कनक ने लक्ष्मी को घर से बाहर निकल दिया। लक्ष्मी कुश को लेकर घर से निकल गयी। सामने पड़ोसी के घर बैठ गयी। कनक बिना खाए बक-बक कर रहा था। उसने अपने पिताजी को फोन किया। पिताजी मैं बहुत दुखी हूँ। आप अभी के अभी मेरे पास आओ लेकिन पिताजी बाहर गाँव होने से रात में कनक के पास नहीं पहुंचे। देर रात में कनक ने पंखे पे रस्सी बाँधकर अपनी जान दे दी। लक्ष्मी देर रात जब देखने गई कि कनक क्या कर रहा है, तब लक्ष्मी ने देखा, तो वो जोर से चिल्लाई, रोने लगी, आसपास के लोग जाग उठे। देखा तो कनक ने अपनी जान दे दी थी।

कनक के घर फोन जाता है तब कनक की बहनें सब से पहले पहुँच जाती है। उसके पिताजी को आते-आते सुबह हो गई थी। वो बहुत पछताने लगे और रोने लगे लेकिन, अब क्या ? “जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत” उन्होंने कनक और लक्ष्मी को संभाला होता तो शायद ये दिन न आते।

साल भर निकल गया। कुश की पढ़ाई चल रही थी। लक्ष्मी को फिर से सास-ससुर की परेशानी शुरू हो गयी थी। वो अब कनक के नहीं होने से ज्यादा परेशान करने लगे। लक्ष्मी तंग आ गई। वो अपने पिता के घर चली गयी। कुश को यहाँ छोड़ गई। लक्ष्मी ने उसे घर से छूट जाने से कोर्ट में अर्जी की। सास-ससुर के खिलाफ याचिका दाखिल की गयी लेकिन, रिश्तेदारों ने समझाया और समझौता कर के कोर्ट से याचिका वापिस ले ली। उसने अपने जीवन निर्वाह के लिए अपने ससुर से कुछ पैसे मिले। लक्ष्मी अब खुद कमाने के लिए एक कंपनी में नौकरी जोइन कर ली। लक्ष्मी अपने नसीब मानकर, अब नयी जिंदगी जीने लगी। वो अपनी माँ के साथ रहने लगी क्योंकि पिता का देहांत हो गया था। लक्ष्मी ने अब अपना मन मना लिया था। उसने दुबारा शादी नहीं करने का निर्णय कर लिया है। वो ओम शांति से जुड़ गयी है। सफेद लिबास में सुबह जल्दी मुरली सुनने जाती है। भगवान में लीन हो गयी है। अपनी कमाई में से ज्यादातर हिस्सा ओम शांति में देने लगी। अपना शांतिमय जीवन जीने लगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama