कोयले के काम में हाथ काले
कोयले के काम में हाथ काले
एक मुहावरा है कि "कोयले की दलाली मे हाथ काले "इस का मतलब समझ ने के लिए यहां एक धोबी के लड़के की कहानी से समझने मे आसान रहेगा,
एक धोबी परिवार नदी के किनारे कुटिया में रहता था, वो कपड़े धोने का काम करता था, गांव में से कपड़े इकठ्ठा कर के धोकर इस्त्री लगाकर वो सुबह में दे आता और धोने के लिए कपड़े ले आता था, इस काम में आमदानी कम थी, उसे एक ही लड़का था, वो पढ़ाई भी करता था और अपने मात पिता को काम मे मदद भी करता था।
राम चन्द्र ग्रेजुएट हो गया और फिर उसने अंग्रेजी विषय में एम ए भी किया, वो अब नौकरी की तलाश में था, उसने न्यूज पत्रिका में एक विज्ञापन देखा तो जी पी एस सी की अफसर के पद के लिए विज्ञापन था, उसने फ़ॉर्म भर दिया और परीक्षा में शामिल होकर उत्तीर्ण हो गया, उसे शिक्षा विभाग मे नौकरी मिली, उसकी पत्नी और माता पिता बहुत ही खुश हो गए, राम चन्द्र के मात पिताजी लड़के को अफसर ने रूप में देखकर बहुत राजी हो गए और खुशी से स्वर्ग में गए।
राम चन्द्र को एक बेटा था, राम चन्द्र की नौकरी में 33 साल हो गए, उनका ऑफिस में पी टी सी परीक्षा की परीक्षा और उनके परिणाम तैयार किया जाता था, वे बहुत प्रामाणिक अफसर थे, उनके ऑफिस में और साथी कर्मचारी थे उन्होने कुछ गलत काम करके भ्रस्टाचार किया, राम चन्द्र निर्दोष थे, उनका रिटायर्ड होने का समय आया, उनकी सादगी और प्रमाणिकता देखकर यूनियन ने उनका सम्मान समारंभ रखा था, कार्यक्रम चल रहा था और उसी समय एक चपरासी नोटिस लेकर आया, कार्यक्रम का मज़ा किरकिरा हो गया, सभी लोगों को बहुत दुख हुआ, अब उन्हे रिटायर्ड होने से मिलने वाले आर्थिक लाभ नहीं मिलेंगे, पेंशन, ग्रेज्यूटी प्रोविदंड फंड आदि कुछ नहीं मिलेगा।
उन्होने सोचा था कि रिटायर्ड होने के बाद पेसे मिलेंगे और अपना खुद का घर होगा, कब तक किराए के मकान में रहेंगे लेकिन अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अचानक मुश्किल आ गई, उन्होने सादगी पूर्ण जीवन सादगी से जिया था, अपने बेटे और बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाई गई, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, राम चन्द्र दुखी हो गए, ऑफिस में सबके साथ मिलकर काम करना होता है, इस लिए उनका भी नाम भ्रष्टाचार में शामिल हो गया, इस लिए मुहावरा कहा जाता है कि कोयले के काम में हाथ काले हो ही जाते हैं।