सोनू ने पिंकी की जान बचाई
सोनू ने पिंकी की जान बचाई
अरुणा और अंकित दोनों जॉब करते थे। उन्हे एक लड़की पिंकी और दो लड़के थे। सोनू और मोनू ने अपने दादाजी को कहा कि चलो नदी में नहाने के लिए जाते हैं, मजा आएगा। अपनी मम्मी और पापा से अनुमति लेकर दादाजी के साथ सोनू, मोनू और पिंकी नदी के किनारे पहुँचे।, दादाजी को कहा कि दादाजी आप पिंकी को सम्भालो वो छोटी है इस लिए नदी में स्नान नहीं कर सकती है। दादाजी ने सोनू और मोनू की बात मान ली वो पिंकी को लेकर नदी के किनारे वृक्ष के नीचे बैठे। पिंकी खेल रही थी।
सोनू और मोनू ने नदी के पानी में बहुत मजा लिया। दोनों एक दूसरे के सिर पर पानी डाल रहे थे। पानी में से छिपले इकठ्ठे किए पिंकी खेलेगी, इस लिए बहुत सारे शंख और छिपले इकठ्ठे किए। थोड़ी देर बाद सोनू की नजर अपने दादाजी और पिंकी की ओर गई, वो चौंक गया। पिंकी सर्प के साथ खेल रही थी। सोनू ने दौड़ लगाई और दादाजी को कुछ बताए बिना ही सोनू के हाथ में से सर्प खींच लिया और दूर छोड़कर आ गया। दादाजी ने सोनू को बहुत प्यार किया और कहा कि अच्छा हुआ कि तेरी नजर पिंकी पर गई। यदि तुमने देखा नहीं होता तो पिंकी को सर्प काट लेता और पिंकी मर जाती। हमे अरुणा और अंकित की डांट पड़ती।
मोनू ने भी सोनू को शाबाशी दी। दादाजी के साथ सोनू, मोनू और पिंकी घर पहुँचे। सोनू ने हिम्मत नहीं दिखाई होती तो पिंकी को सर्प काट लेता। अरुणा और अंकित ने सोनू को बहुत शाबाशी दी, और कहा कि बेटा जीवन में ऎसे ही निडर बनकर जीना। सोनू को बहुत सारे लोगो ने बधाई दी और एक स्वेच्छिक संस्था ने सोनू को उसकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया।