सेहत
सेहत
कई बरस हो चुके थे,उसे मालकिन के यहां काम करतेपर वो चाहे कितनी ही सफाई से काम करे मालकिन उसके काम मे मीन मेख निकाल कर।उसे डपटने का कोई अवसर अपने हाँथ से जाने नही देती।
पर अपनी गरीबी के कारण ,वो बेचारी खुद मिली हर दुत्कार को सर झुकाकर चुपचाप सह जाती।
आज फिर मालकिन ने उसे जूठे बर्तन, अपनी ही धुन में साफ करते हुए देखा। और अपनी आदत के अनुसार उसे डपटते हुए बोली,"अरी सोना जरा ये बर्तन धोने के कूचों को संभाल कर उपयोग कर,अभी पिछले सप्ताह ही तो लाई थी। देख जरा तूने घिस घिस कर कितने पतले कर दिये "। सोना बेचारी हर बार की तरह मालकिन की बात को चुपचाप सर झुकाकर सुन गई।फिर काम निपटने के बाद हाँथ मुँह धोते हुए खुद के चहरे को एक पल वहां लगे शीशे में निहारा।
खुद का कमजोर,मुरझाया व झुर्रीदार चेहरा देख आज सहसा ही उसके मन मे ये विचार कौंध गया।"कि मालकिन को बाजार से लाए उन कूचों की सेहत का तो ध्यान है,पर.... "।