सच्ची मोहब्बत
सच्ची मोहब्बत
अमन जल्दी जल्दी ऑफ़िस से आया और अपना मोबाइल ऑन किया। उसपर जारा के वॉइस मैसेज देख उसका दिल जोरों से धड़का जवाब उसे भी पता था। उसने हिम्मत करके वॉइस मैसेज ऑन किया।
अमन मैं ये शादी नहीं कर सकती मेरे अब्बू इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने साफ लफ्ज़ो मैं कहा है। अगर मैं ये शादी करती हूँ तो उनको मरा हुआ समझो। बिना माँ के बच्ची को पालना कितना मुश्किल है ये मैं अच्छी से जानती हूँ मेरे अब्बू ने मुझे दुनिया की सारी खुशी दी कभी माँ की कमी महसूस नहीं होने दी, मेरे लिए उन्होंने दूसरी शादी नहीं की अपनी ख़ुशी के लिए उनका दिल कैसे तोड़ दूँ। उनको दुखी कर के मैं आबाद नहीं हो सकती। मैं अपने अब्बू के दुखों का कारण बनूँ इस से अच्छा मैं मर जाऊँ मेरी मोहब्बत सच्ची है। इसपर कभी शक मत करना एक बेटी और मेहबूबा के बीच मैंने बेटी को जितने दिया। मैं बेवफ़ा नहीं भूल जाओ मुझे तुम्हें अल्लाह का वास्ता मुझे कभी कॉल मत करना वरना मैं समझूँगी तुमने हमसे मोहब्बत ही नहीं की।
अमन का दिल जोरों से धड़का ऐसा लगा जैसे अभी बाहर आ जाएगा उसके आँखों से आँसू बहने लगे, वो जारा के बिना नहीं रह सकता वो तो उसके दिल की धड़कन है, कोई धड़कन के बिना कैसे रह सकता है उसका सर दर्द से फटने लगा उसने फ्रूट से चाकू निकला और अपने हाथों के नस पर डाला नहीं वो ऐसा नहीं कर सकता उसके बाद उसके अम्मी अब्बू का क्या होगा छोटी बहन की पढ़ाई और शादी भी तो करनी है उसके आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे, उसे जीना होगा एक जिन्दा लाश की तरह जिसमे धड़कन नहीं होगी। जारा और अमन बचपन के दोस्त थे स्कूल से इनकी दोस्ती कॉलेज तक चली दोस्ती कब प्यार में बदला पता ही नहीं चला। अब दोनों एक दूसरे के बिना एक पल रहना मुश्किल था। जारा तुम्हारे बिना दिल नहीं लगता अब तो हमारा कॉलेज भी ख़तम हो गया है अब हम कैसे मिलेंगे, जारा ने हँसते हुआ कहा क्यों ना हम शादी कर ले। तुमने सही कहा जारा मैं आज ही अम्मी को कहूँगा तुम्हारे घर जाकर मांग ले तुम्हरा हाथ मेरे लिए क्या तुम्हारे अब्बू तैयार होंगे हमारी बिरादरी अलग अलग है। अमन तुम टेंशन मत लो एक अच्छा जॉब ढूंढो उसके बाद भेज देना अपने अम्मी को मेरा हाथ माँगने मेरे अम्मा मुझ से बहुत प्यार करते हैं वो कभी मना नहीं करेंगे।
जारा बेटा या बात एक माँ पूछती है पर हम आपके माँ और बाप दोनों हैं क्या आपने लड़के की फोटो देखी, नहीं अब्बू अगर आपको पसंद है तो मुझे भी जो आपको अच्छा लगे। जारा के अब्बू हयात अहमद जाने माने करोबारी थे जारा की अम्मी जारा के पैदाइश के वक़्त इन्तेकाल कर गई थी तबसे उन्होने जारा की परवरिश अकेले की और दूसरी शादी नहीं की, जारा की शादी तय हो गई धीरे धीरे हल्दी और मेंहदी के सारे रस्म हो गए। जारा बेजान रहती ना हँसती ना कुछ कहती, बेटा या जेवर कैसा है तुम्हारी अम्मी का है, अब्बू बहुत खूबसूरत है उसकी आँखों से आँसू आ गई आज उसे अपने अम्मी की कमी बहुत महसूस हो रही थी जिसने उसे जाहिर नहीं होने दिया। आज जारा की बारात थी सब तरफ शोर शराबा था अब निकाह का टाइम भी आ गया। क़ाज़ी साहेब जारा के कमरे मैं दाखिल हुए जहाँ जारा सर झुका के सिमटी हुई बैठी थी। जारा हयात क्या आपको अमन बिन मुर्तुज़ा से निकाह कुबूल है। उसे अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ उसने सर ऊपर करके अपने अब्बू को देखा जो उसे देख मुस्कुराने लगे। जारा को ऐसा लगा की उसके जिस्म से सारा खून निकल गया हो, कहीं या उसका वहम तो नहीं उसने अब्बू की तरफ देखा, उसकी आँखों में आँसू आए गए उसके अब्बू ने सर हाँ मैं हिलाने का इशारा किया तो उसने मुस्कुराते हुए हाँ कर दी, सब तरफ मुबारकबाद का सिलसिला शुरू हो गया। अब्बू अमन और जारा एक कमरे में थे रूखसती का वक़्त था। अब्बू के गले लगते हुए उसने धीरे से कहा अब्बू आप ने, हयात साहेब बोले मैंने तुम्हें दुनिया की सारी ख़ुशी दी पर तुमसे तुम्हारी असली खुशी और ज़िन्दगी मांग रहा था। आज जारा और अमन ने शादीशुदा पहली रात की नमाज़ एक साथ अदा की मोहब्बत सच्ची हो तो कुदरत मिला ही देता है।