सबसे बड़ा डर
सबसे बड़ा डर
आपका सबसे बड़ा डर
बचपन से आज तक कभी किसी भी चीज़ से डर नहीं लगा, मगर आज समाज में महिलाओं के साथ जो हो रहा है,वह मेरा वर्तमान का सबसे बड़ा डर है। इंसान के भेष में घूमते दरिंदों का डर है। बेटी अकेली जा रही है,जब तक सही सलामत पहुंच नहीं जाती,तब तक मन मे खटका लगा रहता है। किसी पर विश्वास नहीं रह गया। हर व्यक्ति पर शक होता है। हाल की घटनाओं ने रिश्तों को भी तार- तार कर दिया है। दुधमुंही बच्चियों से लेकर उम्रदराज औरतें कोई भी सुरक्षित नहीं है। दरिंदे दरिंदगी की सारी सीमाएं लांघते जा रहे हैं।
अभी मेरी बेटी अपने 12 साल के बेटे के साथ अकेले गर्मियों की छुट्टियों में भारत भ्रमण के लिए जा रही है,सुनकर दिल में बुरे ख्याल ही उठे, डर लगा, ये डर जायज़ भी है।
हर रोज़ अखबारों, टीवी चैनल्ज़ और अन्य सोशल मीडिया में अनगिनत क्राइम, रेप, मर्डर आदि की ख़बरें और पोस्ट देख पढ़कर, मन में एक डर बैठ गया है। एक अजीब असुरक्षा का माहौल बन गया है।
वह टिकट्स बुक करा चुकी थी,होटल पैकेज बुक था।
मायूस मन से बाहरी तौर पर हम ख़ुशी जता रहे थे। बीच- बीच में हिदायतें भी दे देते। टैक्सी ड्राइवर की तुरंत फोटो खींच कर नाम के साथ वाट्सएप कर देना उसके गाड़ी नम्बर के साथ। बीच- बीच में फ़ोन पर ऐसे ही बात करने का झूठमूठ बहाना करते रहना । जी पी एस ऑन रखना। पेपरस्प्रे रख लेना। । इन सब के बावजूद डर ...कहीं ड्राइवर .. . ज़बरदस्ती की तो उसका यह दस दिन का कार्यक्रम था। वह हमें पल-पल की खबर देती अगर कहीं ट्रैफिक होता और सिग्नल काम करने बंद कर देते तो वह तुरंत फोन मिलाकर हमें सूचना देती।
होटल कैसा है,सुरक्षित है,बाथरूम वगैरह में कैमरे तो नहीं लगे हैं। रूम सर्विस मत लेना...
जब वह ईश्वर की कृपा से सकुशल लौट कर आयी,उसने कहा,मां,यह दुनिया इतनी भी ख़राब नहीं है,जितना हमें मीडिया दिखाता है। उसने कहा, उसे हर जगह अच्छे, और मददगार लोग मिले।
काश कि ऐसा सबका अनुभव बन सके ! मगर मेरे मन में गहरे बैठा डर ट्स से मस नहीं होता।