सबला

सबला

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"मौसी..हम अकेले कहाँ है ? सुम्मी दी और मैं...दोनों साथ है। जाने दो ना, भैया पढ़ाई कर रहे हैं, वो कैसे जायेंगे ?"

"तुम्हें नहीं पता.. यहाँ का माहौल सही नहीं हैं, भाई के साथ ही जाना।"

"अच्छा..बस आज जाने दो..कल भैया का पेपर है,आगे से उनके साथ ही जायेंगे.."

"ठीक है....जाओ, पर संभलकर जाना..शहरी ठसके यहाँ नहीं दिखाना।"कमला ने समझाते हुये कहा।

थोड़ी देर में कमला ने शोर शराबा सुना तो घबराकर बाहर निकली। दोनों बहनों निम्मी और सुम्मी को उत्साहित भीड़ घेरे थी..

हे भगवान... क्या हुआ निम्मी कुछ अस्तव्यस्त सी लग रही थी।

"मना किया था ना...नहीं मानी, अब छोटी को क्या मुँह दिखाऊंगी.. चलो अंदर दोनों।"

"अरे माँ...निम्मी ने गजब कर दिया.. क्या लात घूंसे चलाये, हम तो देखते ही रह गये... वो लम्पट इस तरफ कभी नहीं आयेंगे। लडकी से पिट कर शर्म से ही मर गये वो तो....हाथ जोड़ जोड़ कर माफी मांग रहे थे।"

कमला अवाक् खड़ी थी, कुछ समझ नहीं पायी की क्या हो गया ?"मौसी...फौजी की बेटी हूँ, भाई नहीं हैं तो क्या मैं घर मे बन्द थोड़े ही रह सकती थी। पापा ने बचपन मे ही ड़ांस या पेंटिंग की जगह कराटे ट्रेनिंग शुरू करवा दी थी... दो चार को तो यूँ ही धूल चटा सकती हूँ मै। पापा हमारी सरहदों की और मैं स्वयं की रक्षा करती हूँ।"

"लेकिन बिटिया...." कमला कमजोर स्वर मे बोली

"तू तो चार दिन मे चली जायेगीं .... चोट खाया सांप ज्यादा खतरनाक होता हैं...फिर क्या होगा ?"

"अरे मौसी..चिन्ता ना करो। जाने से पहले सबको सबला बना कर जाऊँगी....अब यहां कोई अबला नहीं रहेंगी। बोलो...कौन कौन कराटे सीखेगा ?"मैं...मैं..मैं भी....एक दो नहीं सभी निम्मी के साथ खड़ी थीं।

"देखो ना मौसी...क्या बच्ची, क्या युवती.... आज तो सभी अबलाऐं सबला बनने को आतुर है।।


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