सब्जी वाले

सब्जी वाले

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आंटी जी कितने ही सब्जी वाले को आवाज़ लगाती पर कोई भी सब्जी वाला उनके सामने नहीं आना चाहता था। आंटी जी से मोहल्ले में सब्जी बेचने वाले अक्सर बहुत परेशान रहते हैं। आंटी जी का नाम बहुत प्यारा है "मौसमी" पर आंटी जी मौसमी के जैसे खट्टी मीठी नहीं है बल्कि बहुत चालाक किस्म की हैं। उनकी चालाकी मोहल्ले भर में विख्यात है।अक्सर आंटी सब्जी वाले को रोक लेती मोलभाव करते हुए कभी एक दो मूली उठाकर बातचीत करते हुए खा जाती तो कभी गाजर टमाटर, खरीदती कुछ भी नहीं। यह वाक्या वर्षों से चला आ रहा था। मैं क्या मोहल्ले के एक भी आदमी बीते हुए वर्षों में एक बार भी सब्जी खरीदते हुए नहीं देखा। अब तो सब्जी वाले भी भगवान से दुआ करते रहते कि जल्दी से आंटी जी का सामना न हो। देख भी लेते तो मोहल्ले की सकरी गली में से अपनी रेहड़ी वापस ले जाते और गुस्से में आंटी जी जलभुन जाती। अगले दिन यदि वही सब्जी वाले आंटी जी से टकरा जाए तो उसकी खैर नहीं। एक दिन काफी बारिश हो रही थी। सुबह से एक भी रेहड़ी वाला हाथ न लगा और न ही आंटी के हाथ लग पाए एक भी मूली टमाटर या गाजर। आंटी जी सब्जी वाले के इंतजार में अपने घर के गेट पर खड़ी थी। सहसा दूर से भींगते हुए आ रहे सब्जी वाले को देखा और उनकी बांछे खिल उठी। सब्जी वाले ने आवाज़ लगाई सब्जी ले लो! आंटी जी ने सब्जी वाले को रोक लिया ए सब्जी वाले भैया, सब्जी वाले रूक गया, आंटी जी के फिर वही राग सब्जी उलट फेर कर देख लिया और एकाध मूली खा लिया खरीदी कुछ भी नहीं। तभी अंकल जी भी घर के दरवाज़े पर आ गए। चुटकी लेते हुए कहा आज भी बिचारे को खाली ही लौटा दोगी या फिर कुछ खरीदोगी भी आंटी जी चलते चलते बिना कुछ खरीदे एक गाजर उठा ली और घर के अंदर खाते हुए चली गई। बेचारा सब्जी वाला आंटी का मुंह देखते बूझे हुए मन से अपनी रेहड़ी खींचते हुए चला जा रहा था। बोहनी जो खराब हो गई थी। वर्षों बीत गए आंटी कि वजह से उस गली से कोई सब्जी वाला नहीं गुजरता लोगों को अब घर के लिए सब्जी मंडी से ख़रीद कर लानी पड़ती है।


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