साया
साया
प्रीतम एक अच्छा छात्र और अच्छा बेटा भी था। पर उसको भूत प्रेत से बहुत डर लगता था। पूरे दिन वह शेर के जैसा था । एकदम निडर लेकिन जब सूरज डूब जाता था तो वह शेर बिल्ली बन जाता था। वह डर के मारे घर से नहीं निकलता था।इसलिए उसके करीब रिस्तेदार और दोस्त उसका मजाक उड़ाते थे।सब दिनों की तरह प्रीतम अपनी बिस्तर पर जल्दी सोने चला गया था।
आधी रात की समय थी । कुत्तों की भाेक ने की आवाज सुनाई दे रही थी। रुक रुक कर अजीब तरह की डराबनी आवाज आ रही थी। अचानक से प्रीतम की आंख खुल गई। वह जब घड़ी देखा तो रात के २:०० बजे थे। उसे कुत्तों की आवाज सुनकर बहुत डर लगने लगा। प्रीतम को सुनी हुई सारी भूत प्रेत की कहानी याद आने लगा।उसकी दिल की धड़कन तेज होने लगा। कुत्तों की आवाज के साथ साथ घड़ी की आवाज उसको और बैचन कर रहे थे।
प्रीतम भूत प्रेत की बात सोचने वक्त खिड़की की दरवाजा अचानक से खुल गया। उस वक्त प्रीतम को ऐसा अहसास हुआ की जैसे उसकी दिल नीचे गिर जाएगा और उसकी वही मौत हो जायेगा।फिर भी प्रीतम हिम्मत करके उस खिड़की के पास जाकर बाहर कुछ है या नहीं नजर डाल दिया। कुछ नहीं है यह देख कर उसकी दिल को थोड़ा तसली हुई।
उसके बाद प्रीतम बिस्तर पर लेटता है की, तभी उसकी दरवाजे के बाहर से कोई पायल पहन कर चलने की जैसा आवाज आई। इस बार उसको दरवाजा खुल कर देखने को थोड़ा हिम्मत जुटाने में मुश्किल हो रहा था।ऊपर से प्रीतम वह कमरें में अकेला था।
बहुत देर ऐसे द्वंद में रहने के बाद आवाज़ आना बंद हो गया। उसके बाद वह सोचा कि घर में कोई बाहर कुछ काम से आया होगा। शायद मां,दादी या कोई नौकरानी होगी।यह सोच कर वह खुद को तसल्ली दिलाया।लेकिन कुछ समय रुक जाने के बाद वह आबाज फिर से सुनाई देने लगी और लगातार ही सुनाई देने लगी।प्रीतम को बाहर जाने का बिलकुल इच्छा नहीं था, पर वह कौन थी जानने के लिए वह बाहर गया।प्रीतम जब बाहर गया उसकी घर की रोशनी बंद और चालू होने लगी।फिर एकदम से आवाज पूरी थम सी गई।यह आवाज सुनकर प्रीतम पसीना से लथपत हो गया था मानो कोई नाहा कर आया हो।
प्रीतम बहुत डरा हुआ था। उसी वक्त उसके पीछे से कोई परछाई दौड़ कर जैसे छुपने जैसा प्रीतम को प्रतीत हुआ।प्रीतम डरा हुआ आवाज में उस परछाई को पूछा की , कौन है... ? कौन है वहां...?
ऐसे बोलकर जब वो सामने मुड़ा तो एक साया खड़ा था। उस साया की आंखों से रोशनी आ रही थी। प्रीतम डर के मारे वहां पर ही बहोश हो गया।

