आसमान की परी
आसमान की परी
पूर्णिमा की रात थी। आसमान में चांद और तारे
जगमगा रहे थे। पेड़ों के छाव , चांद के किरण से सोने जैसे चमक रहे थे । आदि अपनी माँ के पास सोते हुए आसमान के चांद को देख रहा था।वह छोटे छोटे आंखें जैसे चांद को हजार प्रश्न पूछ रहे थे। प्यारी आंखों की हजार प्रश्न उसको वह किसको न बताए रुक नहीं पा रहा था।
आदि अपने आप को और नहीं रुक पाया। उसका मन प्रश्न के उत्तर जान ने को जैसे उतावला हो रहा था।
”माँ उठो ! जल्दी उठो न ।"
"अरे ! क्या हुआ तुझे ?"
"तू अभी तक जाग रहा है।"
"नींद नहीं आ रही है क्या ?"
–माँ ने पूछा।
"नहीं माँ "
आदि ने बताया।
मेरे मन में बहुत सारे प्रश्न हैं ।
माँ यह चांद कितना सुंदर है ।
उस चांद पर कोई रहता है क्या ?
ओहो ! तुझे यह सवाल पुछना था।
"अब तू सो जा, मैं तुझे सुबह बता दूंगी। ठीक है।"
"नहीं नहीं ! मुझे अभी जानना है। "
बताओ ना माँ ।
"आदि तू कितने ज़िद करता है।"
ठीक है सुन ..
वहां चांद पर खूबसूरत जगह है।
वहां पर आसमान की परी रहती हैं।
यह सुन कर आदि ने बड़े उत्साह से पूछा, माँ क्या वह उड़ सकती हैं?
"क्या वह धरती पर आ सकती हैं ,इंसान को मिलने ?"
"हाँ बेटा ! जिसका दिल साफ और मन साफ होता है वह उन लोगों को मिलने को धरती पर आती हैं।"
सच्ची में !
यह सुन कर आदि बहुत खुश हो जाता है और उसके माँ के पास सोने चला जाता है। लेकिन उसे उसकी माँ की बात सुन कर कहां नींद आ रही थी। इसलिए उसकी माँ की सो जाने के बाद ,वह उनकी पास से बिना शोर किए धीरे धीरे खिड़की के पास जाकर चांद को देखने लगा। आदि बिना पलके झपकाए चांद को देख रहा था। अचानक आदि ने कुछ ऐसा देखा की वह हक्का बक्का रह गया। आदि ने देखा कि आसमान से एक चमकीला तारा की जैसा कुछ उसकी घर के तरफ आ रहा था। वह चमकीला तारा जैसा कुछ जब उसके करीब आया तो, वह देखा की एक परी उड़ कर उसकी घर में आ गई।
आदि को वह परी बोली की, "तुम्हारा नाम आदि है न ?"
"हाँ ! आपको मेरा नाम कैसे पता ?
आप आसमान में रहते हो न ?वह जगह बहुत खूबसूरत होगा न? आप यहां मुझसे मिलने आई हो न ?आप तो बहुत सुंदर हो । क्या आप मुझे वहां पर ले जाने आए हैं ?"
"अरे आदि ! मुझे भी थोड़ा तुमसे बात करने की मौका दो। तुम इतने अच्छे हो की मुझे तुमसे मिलने को आसमान से आना पड़ा। आदि क्या तुम मेरे साथ आसमान की सैर करने चलोगे।"
हाँ ज़रूर !
आदि ने बताया ।
परी आदि के हाथ पकड़ कर उसे आसमान में चांद के पास एक दूसरे दुनिया में लेकर चली गई। आदि जब वहां का नजारा देखा तो उसकी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाया। उसने देखा कि वह दुनिया में बहुत सारे झरना है। उसके पास बहुत महक से भरा फूल है और इंद्रधनुष से वह जगह बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। फूल , पुष्प और न जाने कितनी खूबसूरत चीज से वह दुनिया सजी थी। उस परी के अलावा और भी बहुत सारे परी थी। यह देख कर आदि को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसके बाद सब परी से अलविदा कहकर आदि परी के हाथ पकड़ कर वह अपनी घर को चला आया।फिर परी ने कुछ जादू किया और आदि को नींद में सुला दिया।
उसके बाद जाकर जब सुबह आदि की नींद खुली तो आदि ने सारी बात उसकी माँ को बताया। लेकिन उसकी माँ आदि का विश्वास नहीं की, उन्होंने बताया कि वो बस आदि को झूठ बोल था। आदि की मंशा को मिटाने के लिए। आदि अपनी साथ हुए सारे बात को सच मनाता था और यह सोच कर वह आसमान की तरफ देख रहा था।